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कुशीनगर में शिलान्यास के 17 सालों बाद शुरू हुई यूपी-बिहार के लगभग 200 गांवों को जोड़ने वाली रेल परियोजना का कार्य कुशीनगर में शिलान्यास के 17 सालों बाद शुरू हुई यूपी-बिहार के लगभग 200 गांवों को जोड़ने वाली रेल परियोजना का कार्य छितौनी-तमकुही 62 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था शुरूblank blank blank blank blank blank blank blank साजिद अंसारी लोकायुक्त न्यूज ब्यूरो,कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और बिहार के पश्चिमी चंपारण के दूर-दराज क्षेत्रों को जोड़ने वाली छितौनी-तमकुही रेल परियोजना पर एक बार फिर काम शुरू हो गया है। 62 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने शुरू किया था। अब, लंबे संघर्षों और विलंब के बाद, इस परियोजना को फिर से हरी झंडी मिल चुकी है। परियोजना की कुल लागत 265 करोड़ रुपये है, जिसमें से 106 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुके हैं। पिछले 17 सालों की कहानी इस रेल परियोजना का उद्देश्य दियारा इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ना है। छितौनी में रेलवे स्टेशन और पनियहवा पर ओवरब्रिज बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद के कारण काम ठप हो गया था। बिहार ने अपने हिस्से में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया पूरी कर ली थी। फिर से शुरू हुआ काम लोकसभा सांसद विजय कुमार दूबे के प्रयासों और रेलवे बोर्ड के निर्देश पर परियोजना को फिर से चालू करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने 2019 से इस परियोजना के लिए बजट आवंटन की मांग की थी। अब रेलवे ने इसे प्राथमिकता दी है, और 2025 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य है। परियोजना के फायदे 1. दियारा क्षेत्र का विकास: परियोजना के माध्यम से कुशीनगर और पश्चिमी चंपारण के करीब 200 गांवों को एक नई पहचान मिलेगी। 2. कृषि और व्यापार: यह रेल लाइन सब्जी और अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों को बाजार से जोड़ेगी। 3. रोजगार और पर्यटन: परियोजना के पूर्ण होने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। 4. बाढ़ राहत: नारायणी नदी के बाढ़ग्रस्त इलाकों को राहत मिलेगी। 5. भूमि की बढ़ती कीमतें: रेलवे लाइन और स्टेशनों के पास की कृषि भूमि की कीमतों में इजाफा होगा।   प्रमुख स्टेशनों और हाल्ट् का प्रस्ताव परियोजना के तहत छितौनी, जटहा बाजार, मधुबनी, धनहा, खैरा टोला, और पिपराही में रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। इसके अलावा तीन हाल्ट भी बनाए जाएंगे। भविष्य की संभावनाएं इस परियोजना से यूपी के छितौनी, तमकुहीराज, और सेवरही तथा बिहार के भितहा, मधुबनी, पिपरासी, और ठकरहा ब्लॉकों का सीधा संपर्क स्थापित होगा। इससे क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास की नई संभावनाएं खुलेगी।   Click to listen highlighted text! कुशीनगर में शिलान्यास के 17 सालों बाद शुरू हुई यूपी-बिहार के लगभग 200 गांवों को जोड़ने वाली रेल परियोजना का कार्य कुशीनगर में शिलान्यास के 17 सालों बाद शुरू हुई यूपी-बिहार के लगभग 200 गांवों को जोड़ने वाली रेल परियोजना का कार्य छितौनी-तमकुही 62 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था शुरू साजिद अंसारी लोकायुक्त न्यूज ब्यूरो,कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और बिहार के पश्चिमी चंपारण के दूर-दराज क्षेत्रों को जोड़ने वाली छितौनी-तमकुही रेल परियोजना पर एक बार फिर काम शुरू हो गया है। 62 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने शुरू किया था। अब, लंबे संघर्षों और विलंब के बाद, इस परियोजना को फिर से हरी झंडी मिल चुकी है। परियोजना की कुल लागत 265 करोड़ रुपये है, जिसमें से 106 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुके हैं। पिछले 17 सालों की कहानी इस रेल परियोजना का उद्देश्य दियारा इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ना है। छितौनी में रेलवे स्टेशन और पनियहवा पर ओवरब्रिज बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद के कारण काम ठप हो गया था। बिहार ने अपने हिस्से में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया पूरी कर ली थी। फिर से शुरू हुआ काम लोकसभा सांसद विजय कुमार दूबे के प्रयासों और रेलवे बोर्ड के निर्देश पर परियोजना को फिर से चालू करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने 2019 से इस परियोजना के लिए बजट आवंटन की मांग की थी। अब रेलवे ने इसे प्राथमिकता दी है, और 2025 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य है। परियोजना के फायदे 1. दियारा क्षेत्र का विकास: परियोजना के माध्यम से कुशीनगर और पश्चिमी चंपारण के करीब 200 गांवों को एक नई पहचान मिलेगी। 2. कृषि और व्यापार: यह रेल लाइन सब्जी और अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों को बाजार से जोड़ेगी। 3. रोजगार और पर्यटन: परियोजना के पूर्ण होने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। 4. बाढ़ राहत: नारायणी नदी के बाढ़ग्रस्त इलाकों को राहत मिलेगी। 5. भूमि की बढ़ती कीमतें: रेलवे लाइन और स्टेशनों के पास की कृषि भूमि की कीमतों में इजाफा होगा।   प्रमुख स्टेशनों और हाल्ट् का प्रस्ताव परियोजना के तहत छितौनी, जटहा बाजार, मधुबनी, धनहा, खैरा टोला, और पिपराही में रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। इसके अलावा तीन हाल्ट भी बनाए जाएंगे। भविष्य की संभावनाएं इस परियोजना से यूपी के छितौनी, तमकुहीराज, और सेवरही तथा बिहार के भितहा, मधुबनी, पिपरासी, और ठकरहा ब्लॉकों का सीधा संपर्क स्थापित होगा। इससे क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास की नई संभावनाएं खुलेगी।

कुशीनगर में शिलान्यास के 17 सालों बाद शुरू हुई यूपी-बिहार के लगभग 200 गांवों को जोड़ने वाली रेल परियोजना का कार्य

कुशीनगर में शिलान्यास के 17 सालों बाद शुरू हुई यूपी-बिहार के लगभग 200 गांवों को जोड़ने वाली रेल परियोजना का कार्य

छितौनी-तमकुही 62 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था शुरूblank blank blank blank blank blank blank blank

साजिद अंसारी
लोकायुक्त न्यूज

ब्यूरो,कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और बिहार के पश्चिमी चंपारण के दूर-दराज क्षेत्रों को जोड़ने वाली छितौनी-तमकुही रेल परियोजना पर एक बार फिर काम शुरू हो गया है। 62 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने शुरू किया था। अब, लंबे संघर्षों और विलंब के बाद, इस परियोजना को फिर से हरी झंडी मिल चुकी है। परियोजना की कुल लागत 265 करोड़ रुपये है, जिसमें से 106 करोड़ रुपये पहले ही खर्च हो चुके हैं।

पिछले 17 सालों की कहानी

इस रेल परियोजना का उद्देश्य दियारा इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ना है। छितौनी में रेलवे स्टेशन और पनियहवा पर ओवरब्रिज बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद के कारण काम ठप हो गया था। बिहार ने अपने हिस्से में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया पूरी कर ली थी।

फिर से शुरू हुआ काम

लोकसभा सांसद विजय कुमार दूबे के प्रयासों और रेलवे बोर्ड के निर्देश पर परियोजना को फिर से चालू करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने 2019 से इस परियोजना के लिए बजट आवंटन की मांग की थी। अब रेलवे ने इसे प्राथमिकता दी है, और 2025 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य है।

परियोजना के फायदे

1. दियारा क्षेत्र का विकास: परियोजना के माध्यम से कुशीनगर और पश्चिमी चंपारण के करीब 200 गांवों को एक नई पहचान मिलेगी।

2. कृषि और व्यापार: यह रेल लाइन सब्जी और अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों को बाजार से जोड़ेगी।

3. रोजगार और पर्यटन: परियोजना के पूर्ण होने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

4. बाढ़ राहत: नारायणी नदी के बाढ़ग्रस्त इलाकों को राहत मिलेगी।

5. भूमि की बढ़ती कीमतें: रेलवे लाइन और स्टेशनों के पास की कृषि भूमि की कीमतों में इजाफा होगा।

 

प्रमुख स्टेशनों और हाल्ट् का प्रस्ताव

परियोजना के तहत छितौनी, जटहा बाजार, मधुबनी, धनहा, खैरा टोला, और पिपराही में रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। इसके अलावा तीन हाल्ट भी बनाए जाएंगे।

भविष्य की संभावनाएं

इस परियोजना से यूपी के छितौनी, तमकुहीराज, और सेवरही तथा बिहार के भितहा, मधुबनी, पिपरासी, और ठकरहा ब्लॉकों का सीधा संपर्क स्थापित होगा। इससे क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास की नई संभावनाएं खुलेगी।

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