
नियम ताख पर रख हो रहा है नपा कुशीनगर में काम
नपा के विकास कार्यों के शिलापट्ट पर नपा कर्मचारी ने अंकित कराया अपना नाम
डीएम के नाक के नीचे चला पूरा खेल,शासनादेश की उड़ी धज्जिया
लोकायुक्त संवाद
कुशीनगर। नगर पालिका परिषद कुशीनगर में आचार संहिता के दौरान 70 सोलर बैटरी खरीदे जाने का मामला अभी शांत हुआ नहीं की,नियम को ताख पर रखकर नपा द्वारा कराए गए विकास कार्यों के शिलान्यास/लोकार्पण बोर्ड पर एक नपा कर्मचारी का ही नाम अंकित कराये जाने का मामला तूल पकड़ लिया है। जी हा हम बात कर रहें कुशीनगर नगर पालिका परिषद का जहाँ 15 वां वित्त आयोग से कराए गए विकास कार्य के लोकार्पण /शिलान्यास के बोर्ड पर नपा में तैनात दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी पम्प चौकीदार एवं लिपिकीय कार्य देख रहें उग्रसेन कुमार ने स्थानीय निकाय निदेशालय के आदेश की अवहेलना करते हुए अपना ही नाम अंकित करवा लिया है।जबकि शासनादेश की बात करें तो ऐसे शिलालेख पट्टीकाओं में नगर आयुक्त,अधिशासी अधिकारी अथवा अन्य अधिकारियों के नाम अंकित किए न जाने का साफ-साफ निर्देशन है। लेकिन अधिकारी की बात छोड़िये यहां कर्मचारी ही नाम अंकित करा रहें हैं।इस मामले को लेकर भाजपा सोशल मीडिया के जिला संयोजक शुभम दीक्षित ने एक शिकायत पत्र सौंप कर जिलाधिकारी से कठोर कार्रवाई की मांग की है।दिए गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि नगर पालिका परिषद में पदस्थापित दैनिक वेतन भोगी पंप चौकीदार एवं लिपिकीय कार्य देख रहे उग्रसेन कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी पत्नी श्रीमती शैल देवी जो वार्ड नंबर 4 अंबेडकर नगर की सभासद है,के साथ अपना नाम भी शिलापट्ट पर अंकित करा लिया है।शिकायत में यह भी आरोप लगाया है कि उग्रसेन कुमार ने अपनी पत्नी के चुनाव में नगर पालिका परिषद के संसाधनों का खुला दुरुपयोग किया।अधिकारियों को विश्वास में लेकर अपनी पत्नी के वार्ड का प्रभारी नियुक्त करवाने के साथ-साथ चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी धन का बंदरबाट कर शासनादेश की धज्जियां उड़ाई गई।भाजपा पदाधिकारी ने आरोप लगाया है कि पूरा प्रकरण शासनादेश की अवधारणा और भ्रष्टाचार का प्रमाण है,जिस पर तत्काल जांच कर जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए।
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समिति गठित कर जांच हो तो खुले भ्रष्टाचार की गठरी
इस मामले में जब नगरवासियों से बात की गई तो कुछ प्रबुद्ध नगरवासियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह कर 15वां वित आयोग अंतर्गत विकास कार्य कराया गया है। जिसके मालिक जिलाधिकारी होते हैं, सारा खेल जिलाधिकारी के नाक के नीचे खेला गया और शासनादेश की धज्जियां उड़ाई गई। अगर समिति गठित कर इस मामले की जांच किसी मजिस्ट्रेट की निगरानी में हो जाये तो भ्रस्टाचार की गठरी खुल जाएगी और कई चेहरे बेनकाब हो जायेंगे।