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मजहब से नहीं है वक़्फ़ बोर्ड का कोई सरोकार, किरेन रिजिजू ने सदन में गिनाए 3 उदाहरण: अब महिलाएँ भी बनेंगी वक़्फ़ बोर्ड का हिस्सा, ग़ैर-मुस्लिम भी अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने वक़्फ़ बिल पर चर्चा के दौरान संसद में कहा कि वक़्फ़ का मामला संपत्ति का है, इन संपत्तियों का प्रबंधन मुतव्वली करते हैं। उन्होंने इस दौरान सदन में 3 मामलों का जिक्र किया, ताकि समझा सकें कि वक़्फ़ का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। पहला, सैयद फजल पूकोया थंगल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया। इसमें केरल हाईकोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि वक़्फ़ बोर्ड एक नियामक संस्था है, ये मुस्लिमों की प्रतिनिधि संस्था नहीं है। दूसरा, हाफिज ज़फर अहमद बनाम यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि वक़्फ़ बोर्ड का काम सिर्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन है, मुनव्वलियों के कामकाज की प्रकृति सेक्युलर है, मजहबी नहीं। तीसरा, तिलकायत श्री गोविंदलाल जी महाराज बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिरों की संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार सेक्युलर मामला है, धार्मिक नहीं। किरेन रिजिजू ने 2014 में हुए संशोधन की बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले 123 संपत्तियों को दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया। ये सरकारी संपत्ति थी। उन्होंने कहा कि लोग समझदार हैं, ऐसे काम करने से वोट नहीं मिलता है। उन्होंने बताया कि 1995 में जो प्रावधान नहीं थे, उन्हें 2013 में जोड़ा गया था। इसमें बताया गया है कि वक़्फ़ बोर्ड को जमीन वही व्यक्ति दान कर सकता है, जिसने कम से कम 5 वर्ष इस्लाम की प्रैक्टिस की हो। वक़्फ़ बोर्ड में सब शिया, सुन्नी, बोहरा और पिछड़े मुस्लिम भी रहेंगे, महिलाएँ भी रहेंगी। इसमें मुस्लिम विशेषज्ञों को भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘सेन्ट्रल वक़्फ़ काउंसिल’ में 4 ग़ैर-मुस्लिम सदस्य रह सकते हैं और 2 महिलाएँ होनी ही चाहिए। साथ ही किसी भी धर्म/मजहब के 3 सांसद इसमें रहेंगे। इसके अलावा 10 सदस्य मुस्लिम समिति से होंगे, इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के 2 पूर्व जज रहेंगे। एक वकील भी रहेगा। 4 प्रतिष्ठित लोग विभिन्न क्षेत्रों से रहेंगे। एक अधिकारी भी रहेंगे। 10 मुस्लिम सदस्यों में ही 2 महिलाएँ रहेंगी। किरेन रिजिजू ने बताया कि वक़्फ़ बोर्ड में जो प्रावधान ज़रूरी नहीं थे, उन्हें देश के क़ानून के हिसाब से कर दिया गया है। किरेन रिजिजू ने इस आँकड़े की भी चर्चा की, जिसमें बताया गया है कि रेलवे और डिफेन्स के बाद सबसे अधिक जमीनें वक़्फ़ बोर्ड की है। उन्होंने बताया कि रेलवे की संपत्तियाँ देश की संपत्ति है, इसी तरह डिफेन्स की संपत्ति भी देश की है। वहीं उन्होंने कहा कि वक़्फ़ की प्रॉपर्टी प्राइवेट होती है, दुनिया में सबसे अधिक वक़्फ़ संपत्ति भारत में है। उन्होंने सवाल उठाया कि इसके बावजूद देश के मुस्लिम ग़रीब क्यों है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार दलित मुस्लिमों के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि चंद वोटों और सत्ता के लिए मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है। किरेन रिजिजू ने कहा कि 2006 में 4.90 लाख वक़्फ़ संपत्तियाँ थीं, जिसकी आय थी 163 करोड़ रुपए। 2013 में बदलाव के बाद भी मात्र 3 करोड़ रुपए ही आय बढ़ी है। उन्होंने आगे कहा कि सच्चर कमिटी ने भी कहा है कि अच्छे से प्रबंधन होता तो उसी वक़्त वक़्फ़ प्रॉपर्टी से 12,000 करोड़ रुपए का राजस्व आता। किरेन रिजिजू ने कहा कि सोचिए इससे कितने मुस्लिमों को फ़ायदा होता। आज कुल वक़्फ़ संपत्तियाँ 8.72 लाख वक़्फ़ संपत्तियाँ हो गई हैं।   Click to listen highlighted text! मजहब से नहीं है वक़्फ़ बोर्ड का कोई सरोकार, किरेन रिजिजू ने सदन में गिनाए 3 उदाहरण: अब महिलाएँ भी बनेंगी वक़्फ़ बोर्ड का हिस्सा, ग़ैर-मुस्लिम भी अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने वक़्फ़ बिल पर चर्चा के दौरान संसद में कहा कि वक़्फ़ का मामला संपत्ति का है, इन संपत्तियों का प्रबंधन मुतव्वली करते हैं। उन्होंने इस दौरान सदन में 3 मामलों का जिक्र किया, ताकि समझा सकें कि वक़्फ़ का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। पहला, सैयद फजल पूकोया थंगल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया। इसमें केरल हाईकोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि वक़्फ़ बोर्ड एक नियामक संस्था है, ये मुस्लिमों की प्रतिनिधि संस्था नहीं है। दूसरा, हाफिज ज़फर अहमद बनाम यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि वक़्फ़ बोर्ड का काम सिर्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन है, मुनव्वलियों के कामकाज की प्रकृति सेक्युलर है, मजहबी नहीं। तीसरा, तिलकायत श्री गोविंदलाल जी महाराज बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिरों की संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार सेक्युलर मामला है, धार्मिक नहीं। किरेन रिजिजू ने 2014 में हुए संशोधन की बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले 123 संपत्तियों को दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया। ये सरकारी संपत्ति थी। उन्होंने कहा कि लोग समझदार हैं, ऐसे काम करने से वोट नहीं मिलता है। उन्होंने बताया कि 1995 में जो प्रावधान नहीं थे, उन्हें 2013 में जोड़ा गया था। इसमें बताया गया है कि वक़्फ़ बोर्ड को जमीन वही व्यक्ति दान कर सकता है, जिसने कम से कम 5 वर्ष इस्लाम की प्रैक्टिस की हो। वक़्फ़ बोर्ड में सब शिया, सुन्नी, बोहरा और पिछड़े मुस्लिम भी रहेंगे, महिलाएँ भी रहेंगी। इसमें मुस्लिम विशेषज्ञों को भी जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘सेन्ट्रल वक़्फ़ काउंसिल’ में 4 ग़ैर-मुस्लिम सदस्य रह सकते हैं और 2 महिलाएँ होनी ही चाहिए। साथ ही किसी भी धर्म/मजहब के 3 सांसद इसमें रहेंगे। इसके अलावा 10 सदस्य मुस्लिम समिति से होंगे, इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के 2 पूर्व जज रहेंगे। एक वकील भी रहेगा। 4 प्रतिष्ठित लोग विभिन्न क्षेत्रों से रहेंगे। एक अधिकारी भी रहेंगे। 10 मुस्लिम सदस्यों में ही 2 महिलाएँ रहेंगी। किरेन रिजिजू ने बताया कि वक़्फ़ बोर्ड में जो प्रावधान ज़रूरी नहीं थे, उन्हें देश के क़ानून के हिसाब से कर दिया गया है। किरेन रिजिजू ने इस आँकड़े की भी चर्चा की, जिसमें बताया गया है कि रेलवे और डिफेन्स के बाद सबसे अधिक जमीनें वक़्फ़ बोर्ड की है। उन्होंने बताया कि रेलवे की संपत्तियाँ देश की संपत्ति है, इसी तरह डिफेन्स की संपत्ति भी देश की है। वहीं उन्होंने कहा कि वक़्फ़ की प्रॉपर्टी प्राइवेट होती है, दुनिया में सबसे अधिक वक़्फ़ संपत्ति भारत में है। उन्होंने सवाल उठाया कि इसके बावजूद देश के मुस्लिम ग़रीब क्यों है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार दलित मुस्लिमों के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि चंद वोटों और सत्ता के लिए मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है। किरेन रिजिजू ने कहा कि 2006 में 4.90 लाख वक़्फ़ संपत्तियाँ थीं, जिसकी आय थी 163 करोड़ रुपए। 2013 में बदलाव के बाद भी मात्र 3 करोड़ रुपए ही आय बढ़ी है। उन्होंने आगे कहा कि सच्चर कमिटी ने भी कहा है कि अच्छे से प्रबंधन होता तो उसी वक़्त वक़्फ़ प्रॉपर्टी से 12,000 करोड़ रुपए का राजस्व आता। किरेन रिजिजू ने कहा कि सोचिए इससे कितने मुस्लिमों को फ़ायदा होता। आज कुल वक़्फ़ संपत्तियाँ 8.72 लाख वक़्फ़ संपत्तियाँ हो गई हैं।

मजहब से नहीं है वक़्फ़ बोर्ड का कोई सरोकार, किरेन रिजिजू ने सदन में गिनाए 3 उदाहरण: अब महिलाएँ भी बनेंगी वक़्फ़ बोर्ड का हिस्सा, ग़ैर-मुस्लिम भी

अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने वक़्फ़ बिल पर चर्चा के दौरान संसद में कहा कि वक़्फ़ का मामला संपत्ति का है, इन संपत्तियों का प्रबंधन मुतव्वली करते हैं। उन्होंने इस दौरान सदन में 3 मामलों का जिक्र किया, ताकि समझा सकें कि वक़्फ़ का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है।

पहला, सैयद फजल पूकोया थंगल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया। इसमें केरल हाईकोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि वक़्फ़ बोर्ड एक नियामक संस्था है, ये मुस्लिमों की प्रतिनिधि संस्था नहीं है। दूसरा, हाफिज ज़फर अहमद बनाम यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि वक़्फ़ बोर्ड का काम सिर्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन है, मुनव्वलियों के कामकाज की प्रकृति सेक्युलर है, मजहबी नहीं। तीसरा, तिलकायत श्री गोविंदलाल जी महाराज बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिरों की संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार सेक्युलर मामला है, धार्मिक नहीं।

किरेन रिजिजू ने 2014 में हुए संशोधन की बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले 123 संपत्तियों को दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया। ये सरकारी संपत्ति थी। उन्होंने कहा कि लोग समझदार हैं, ऐसे काम करने से वोट नहीं मिलता है। उन्होंने बताया कि 1995 में जो प्रावधान नहीं थे, उन्हें 2013 में जोड़ा गया था। इसमें बताया गया है कि वक़्फ़ बोर्ड को जमीन वही व्यक्ति दान कर सकता है, जिसने कम से कम 5 वर्ष इस्लाम की प्रैक्टिस की हो। वक़्फ़ बोर्ड में सब शिया, सुन्नी, बोहरा और पिछड़े मुस्लिम भी रहेंगे, महिलाएँ भी रहेंगी। इसमें मुस्लिम विशेषज्ञों को भी जोड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कि ‘सेन्ट्रल वक़्फ़ काउंसिल’ में 4 ग़ैर-मुस्लिम सदस्य रह सकते हैं और 2 महिलाएँ होनी ही चाहिए। साथ ही किसी भी धर्म/मजहब के 3 सांसद इसमें रहेंगे। इसके अलावा 10 सदस्य मुस्लिम समिति से होंगे, इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के 2 पूर्व जज रहेंगे। एक वकील भी रहेगा। 4 प्रतिष्ठित लोग विभिन्न क्षेत्रों से रहेंगे। एक अधिकारी भी रहेंगे। 10 मुस्लिम सदस्यों में ही 2 महिलाएँ रहेंगी।

किरेन रिजिजू ने बताया कि वक़्फ़ बोर्ड में जो प्रावधान ज़रूरी नहीं थे, उन्हें देश के क़ानून के हिसाब से कर दिया गया है। किरेन रिजिजू ने इस आँकड़े की भी चर्चा की, जिसमें बताया गया है कि रेलवे और डिफेन्स के बाद सबसे अधिक जमीनें वक़्फ़ बोर्ड की है। उन्होंने बताया कि रेलवे की संपत्तियाँ देश की संपत्ति है, इसी तरह डिफेन्स की संपत्ति भी देश की है। वहीं उन्होंने कहा कि वक़्फ़ की प्रॉपर्टी प्राइवेट होती है, दुनिया में सबसे अधिक वक़्फ़ संपत्ति भारत में है।

उन्होंने सवाल उठाया कि इसके बावजूद देश के मुस्लिम ग़रीब क्यों है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार दलित मुस्लिमों के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि चंद वोटों और सत्ता के लिए मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है। किरेन रिजिजू ने कहा कि 2006 में 4.90 लाख वक़्फ़ संपत्तियाँ थीं, जिसकी आय थी 163 करोड़ रुपए। 2013 में बदलाव के बाद भी मात्र 3 करोड़ रुपए ही आय बढ़ी है। उन्होंने आगे कहा कि सच्चर कमिटी ने भी कहा है कि अच्छे से प्रबंधन होता तो उसी वक़्त वक़्फ़ प्रॉपर्टी से 12,000 करोड़ रुपए का राजस्व आता। किरेन रिजिजू ने कहा कि सोचिए इससे कितने मुस्लिमों को फ़ायदा होता। आज कुल वक़्फ़ संपत्तियाँ 8.72 लाख वक़्फ़ संपत्तियाँ हो गई हैं।

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