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Update : संभल जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित Update : जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश के संभल में चर्चित जामा मस्जिद परिसर के अंदर स्थित एक कुएं को लेकर विवाद ने हाल के दिनों में तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार और जामा मस्जिद कमेटी के बीच इस कुएं की स्थिति को लेकर असहमति है। https://youtu.be/A-InxmNLuYY उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जामा मस्जिद और उसके परिसर में स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना हुआ है। इस दावे का मस्जिद कमेटी ने पुरजोर विरोध किया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह भूमि मस्जिद की निजी संपत्ति है और सदियों से इसका धार्मिक महत्व है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पहले तय तारीख पर होनी थी, लेकिन इसे एक हफ़्ते के लिए टाल दिया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 4 मार्च 2025 तय की गई है। जामा मस्जिद कमेटी के शाही अध्यक्ष जफर अली ने बताया कि अदालत ने उन्हें इस मामले में स्थिति को स्पष्ट करने के लिए और समय दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद और परिसर की जमीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से मस्जिद की है, और सरकार का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है। सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक भूमि का उपयोग धार्मिक या निजी उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि मस्जिद और कुएं का निर्माण एक सार्वजनिक क्षेत्र पर हुआ है, और इसकी जांच रिपोर्ट पहले ही कोर्ट में पेश की जा चुकी है। यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। वहीं, सरकार इस मामले को कानूनी नजरिए से देख रही है। अब 4 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि मामले को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए। मस्जिद कमेटी को अपनी दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इस विवाद का हल अदालत के फैसले के बाद ही हो सकेगा।   Click to listen highlighted text! Update : संभल जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित Update : जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश के संभल में चर्चित जामा मस्जिद परिसर के अंदर स्थित एक कुएं को लेकर विवाद ने हाल के दिनों में तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार और जामा मस्जिद कमेटी के बीच इस कुएं की स्थिति को लेकर असहमति है। https://youtu.be/A-InxmNLuYY उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जामा मस्जिद और उसके परिसर में स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना हुआ है। इस दावे का मस्जिद कमेटी ने पुरजोर विरोध किया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह भूमि मस्जिद की निजी संपत्ति है और सदियों से इसका धार्मिक महत्व है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पहले तय तारीख पर होनी थी, लेकिन इसे एक हफ़्ते के लिए टाल दिया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 4 मार्च 2025 तय की गई है। जामा मस्जिद कमेटी के शाही अध्यक्ष जफर अली ने बताया कि अदालत ने उन्हें इस मामले में स्थिति को स्पष्ट करने के लिए और समय दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद और परिसर की जमीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से मस्जिद की है, और सरकार का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है। सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक भूमि का उपयोग धार्मिक या निजी उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि मस्जिद और कुएं का निर्माण एक सार्वजनिक क्षेत्र पर हुआ है, और इसकी जांच रिपोर्ट पहले ही कोर्ट में पेश की जा चुकी है। यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। वहीं, सरकार इस मामले को कानूनी नजरिए से देख रही है। अब 4 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि मामले को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए। मस्जिद कमेटी को अपनी दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इस विवाद का हल अदालत के फैसले के बाद ही हो सकेगा।

Update : संभल जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित

Update : जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित

मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया

लोकायुक्त न्यूज़ 
उत्तर प्रदेश के संभल में चर्चित जामा मस्जिद परिसर के अंदर स्थित एक कुएं को लेकर विवाद ने हाल के दिनों में तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार और जामा मस्जिद कमेटी के बीच इस कुएं की स्थिति को लेकर असहमति है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जामा मस्जिद और उसके परिसर में स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना हुआ है। इस दावे का मस्जिद कमेटी ने पुरजोर विरोध किया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह भूमि मस्जिद की निजी संपत्ति है और सदियों से इसका धार्मिक महत्व है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पहले तय तारीख पर होनी थी, लेकिन इसे एक हफ़्ते के लिए टाल दिया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 4 मार्च 2025 तय की गई है।

जामा मस्जिद कमेटी के शाही अध्यक्ष जफर अली ने बताया कि अदालत ने उन्हें इस मामले में स्थिति को स्पष्ट करने के लिए और समय दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद और परिसर की जमीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से मस्जिद की है, और सरकार का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है।

सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक भूमि का उपयोग धार्मिक या निजी उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि मस्जिद और कुएं का निर्माण एक सार्वजनिक क्षेत्र पर हुआ है, और इसकी जांच रिपोर्ट पहले ही कोर्ट में पेश की जा चुकी है।

यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। वहीं, सरकार इस मामले को कानूनी नजरिए से देख रही है।

अब 4 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि मामले को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए। मस्जिद कमेटी को अपनी दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इस विवाद का हल अदालत के फैसले के बाद ही हो सकेगा।

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