
कुंभ में खोई कुशीनगर की सरपति देवी को तीन दोस्तों ने पहुंचाया घर
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। मौनी अमावस्या पर प्रयागराज कुम्भ में स्नान के दौरान मची भगदड़ में अपने परिवार से बिछड़ी 60 वर्षीय सरपति देवी को बैंगलोर से आए तीन युवकों ने सुरक्षित उनके घर तक पहुचाया। इस घटना ने न केवल मानवता की मिसाल पेश की, बल्कि यह भी दिखाया कि मुश्किल वक्त में नेकदिल इंसान किसी देवदूत से कम नहीं होते।
कुम्भ स्नान के दौरान परिवार से बिछड़ी सरपति देवी
बताते चलें कि जिले के कप्तानगंज थाना क्षेत्र के खराभार गाँव स्थित करनहा टोले से 24 श्रद्धालु मौनी अमावस्या के अवसर पर पवित्र संगम स्नान के लिए प्रयागराज गए थे। इनमें 60 वर्षीय सरपति देवी और उनके 65 वर्षीय पति सूचित सहानी भी शामिल थे। सोमवार को सभी यात्री प्रयागराज पहुँचे और मंगलवार को संगम तट पर रुक गए।आधी रात को अचानक नागा साधुओं के आगमन की सूचना फैलते ही अफरा-तफरी मच गई। चारों ओर भगदड़ का माहौल बन गया, लोग धक्के खाते हुए इधर-उधर भागने लगे। इसी भगदड़ में सरपति देवी अपने पति और गाँव के अन्य लोगों से बिछड़ गईं। उन्होंने अपने पति को आवाज दी, लेकिन शोरगुल और भीड़ के कारण उनकी आवाज किसी तक नहीं पहुँची।
कई घंटों तक अकेली भटकती रहीं
घबराई सरपति देवी ने देखा कि उनके गाँव के कुछ लोग वहाँ मौजूद थे, लेकिन भगदड़ के कारण वे उन्हें देख नहीं पाए। इस बीच लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ रहे थे। खुद को बचाने के लिए सरपति देवी एक कोने में दुबक गईं और कई घंटे वहीं बैठी रहीं। जब भीड़ शांत हुई, तो उन्होंने इधर-उधर तलाश किया, लेकिन कोई भी अपना परिचित नहीं मिला। इस दौरान वह रोती-बिलखती रहीं और संगम तट पर भटकने लगीं। प्रयागराज की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर अकेले किसी बुजुर्ग महिला का भटकना किसी बड़ी मुश्किल से कम नहीं था।
तीन दोस्तों ने बढ़ाया मदद का हाथ
इसी दौरान बैंगलोर से कार लेकर प्रयागराज स्नान करने आए तीन दोस्त—भूपेंद्र गौड़, मुन्ना और की नजर सरपति देवी पर पड़ी। जब उन्होंने उन्हें इस हालत में देखा तो पास जाकर कारण पूछा। बदहवास सरपति देवी ने रोते हुए सिर्फ अपने गाँव, जिले और टोले का नाम बताया। संयोग से ये तीनों युवक भी कुशीनगर जिले के ही मूल निवासी थे। उन्होंने तुरंत फैसला किया कि वे इस बुजुर्ग महिला को सुरक्षित उनके घर पहुँचाएँगे।
खाने-पीने का इंतजाम कर महिला को लेकर निकले घर की ओर
तीनों युवकों ने पहले महिला को नाश्ता-पानी कराया और फिर उन्हें अपनी कार में बैठाया। लेकिन समस्या यह थी कि सरपति देवी के पास न तो कोई फोन था और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य का संपर्क नंबर। इस वजह से वे सीधे गाँव भी नहीं जा सकते थे।
सोशल मीडिया बना सहारा
तीनों युवकों ने एक वीडियो बनाया, जिसमें सरपति देवी ने अपने गाँव और बेटे का नाम बताया। इस वीडियो को उन्होंने कुशीनगर के स्थानीय सोशल मीडिया नेटवर्क पर प्रसारित कर दिया। गाँव में पहले से ही महिला के लापता होने की खबर थी, इसलिए यह वीडियो तेजी से उनके बेटों तक पहुँच गया। जैसे ही परिवार को जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत इन युवकों से संपर्क किया और अपनी माँ को वापस लाने के लिए उत्सुकता जाहिर की।
गुरुवार देर रात परिवार को सौंपे
गुरुवार की देर रात, तीनों दोस्तों ने सरपति देवी को लेकर उनके गाँव पहुँचने की सूचना दी। परिवार के लोग तुरंत वहाँ पहुँचे। जब बेटों ने अपनी माँ को सुरक्षित देखा तो उनकी आँखों से आँसू छलक पड़े। माँ और बेटे फूट-फूटकर रोने लगे।
परिवार ने युवकों को दिया धन्यवाद
परिजनों ने तीनों युवकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “अगर ये तीनों हमारे गाँव के बेटे न मिलते, तो हमारी माँ शायद कभी घर नहीं लौट पातीं। हमने उम्मीद ही छोड़ दी थी। लेकिन इन्होंने निःस्वार्थ भाव से हमारी माँ की मदद की। हम इनका जीवनभर कर्जदार रहेंगे।”
सरपति देवी ने भी उस डरावनी रात को याद करते हुए कहा, “मुझे लगा था कि अब मैं कभी अपने घर नहीं लौट पाऊँगी। चारों तरफ भगदड़ थी, लोग एक-दूसरे को धक्का देकर गिरा रहे थे। कई घंटों तक मैं अकेली थी। लेकिन इन बाबू लोगों (तीनों दोस्तों) ने मुझे बचा लिया।”