
प्रखर साहित्य संगम की 130वीं मासिक कवि गोष्ठी में गूंजे काव्य के सुर
ओंकारेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में हुआ आयोजन, कवियों ने श्रोताओं का मन मोहा
लोकायुक्त न्यूज
बनकटा बाजार, कुशीनगर। प्रखर साहित्य संगम, बेलवा द्वारा आयोजित 130वीं मासिक कवि गोष्ठी रविवार को ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, बेलवा कारखाना के प्रांगण में संपन्न हुई। हर माह की तरह इस बार भी काव्य प्रेमियों की मौजूदगी में कार्यक्रम में भावों की सुंदर रसधारा बही और श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से कवियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ मंगल प्रसाद की मधुर सरस्वती वंदना “वीणा वादिनी वर दे” से हुआ, जिसने वातावरण को सुरमय बना दिया। इसके बाद मुरारी मतवाला की हास्य-विनोदी कविता “सगरो रिश्ता क के देखीं एगो रिश्ता साढ़ू के” ने खूब ठहाके बटोरे। आकाश महेशपुरी की रचना “जिनिगिया हरदम नाच नचाइ” ने कार्यक्रम को ऊंचाई दी, जबकि हिमांशु शेखर की कविता “शब्दों के परिवहन मार्ग में” ने विचारशीलता का संचार किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहे संतोष संगम ने “नजरिया ह चाभी नजरिया ह ताला” सुनाकर भावों की गहराई से श्रोताओं को जोड़े रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि उमेश चौबे ‘अश्क’ ने की, जिनकी गरिमामयी उपस्थिति ने कवि गोष्ठी को विशेष आयाम दिया। इस अवसर पर नथुनी राय ‘व्यथित’, श्यामनारायण गुप्ता कन्हैया लाल ‘सरस’, कौशलेश पांडेय, भरत ‘शब्द’, सत्यप्रकाश शुक्ल ‘बाबा’ सहित अन्य कवियों ने भी अपनी शानदार रचनाओं से गोष्ठी को संगीतमय और भावविभोर बना दिया।