
कुशीनगर में 52 ग्राम प्रधानों पर लटक रही कार्यवाही की तलवार,डीएम ने भेजा नोटिस
वर्ष 2022-23 की लेखा परीक्षा में वित्तीय गड़बड़ी उजागर
जवाब असंतोषजनक मिलने पर होगी रिकवरी और कानूनी कार्यवाही
लोकायुक्त न्यूज
ब्यूरो,कुशीनगर। जनपद में ग्राम पंचायतों के धन के दुरुपयोग, अपव्यय और वित्तीय अनियमितताओं के मामलों को लेकर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने वर्ष 2022-23 की लेखा परीक्षा में पाई गई वित्तीय गड़बड़ियों के आधार पर जनपद के 52 ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
डीएम द्वारा जारी नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि यदि ग्राम प्रधानों द्वारा निर्धारित समय सीमा – दो माह – के भीतर जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के समक्ष संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं प्रस्तुत किया गया, तो संबंधित धनराशि की वसूली भू-राजस्व के बकाये के रूप में की जाएगी और विधिसम्मत कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाएगी। जिला लेखा परीक्षा अधिकारी द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि 2022-23 में कई ग्राम पंचायतों में ग्राम निधि का दुरुपयोग किया गया है। इनमें कार्यों के भुगतान में अनियमितता, बिना कार्य के भुगतान, सामग्री की फर्जी आपूर्ति, और निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन न करने जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं।इस सूची में जनपद के पडरौना, खड्डा, नेबुआ नौरंगिया, विशुनपुरा, तमकुहीराज, दुदही और फाजिलनगर विकास खंड की ग्राम पंचायतें शामिल हैं। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं: मीना देवी (जंगल चौरिया), मंजू देवी (टड़वा), प्रीती सिंह (जिगना), राजेश चौबे (पडरी), नबीबून (पिपरासी), यासमीन खातून (फागूपुर), उग्रसेन यादव (बैजनाथपुर), विनोद (बलडीहा), जियाउद्दीन (बरवा कला), श्यामा दुलारी (भगड़ा पिपरासी), कविता देवी (रम्हवलिया), सरिता सिंह (रसूलपुर बेलही), रीता देवी (तुर्कहा), रामबहाल सिंह (रामपुर खुशहाल टोला) आदि।जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने कहा “जनधन की लूट किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन ग्राम पंचायतों में गड़बड़ी सामने आई है, वहां से जवाब मांगा गया है। जानकार बताते हैं कि जवाब असंतोषजनक मिलने पर कड़ी कार्यवाही तय है। पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।” नोटिस उत्तर प्रदेश पंचायत राज नियमावली 1947 के नियम 256(1) के अंतर्गत भेजा गया है, जिसके तहत लेखा परीक्षा में अधिभार प्रतिवेदन के आधार पर संबंधित जनप्रतिनिधियों से जवाब मांगा गया है। अगर ग्राम प्रधानों द्वारा दी गई सफाई संतोषजनक नहीं पाई जाती है तो न केवल धनराशि की वसूली की जाएगी, बल्कि उनके खिलाफ कानूनी कारवाई भी हो सकती है।