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SGPGI : डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान-फैकल्टी फोरम नाराज़,कहा-निदेशक ने नहीं सुनी बात SGPGI : डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान-फैकल्टी फोरम नाराज़,कहा-निदेशक ने नहीं सुनी बात लोकायुक्त न्यूज़  यह मुद्दा संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में प्रशासनिक और संस्थागत प्रबंधन से जुड़ी गंभीर समस्याओं को उजागर करता है। फैकल्टी फोरम द्वारा उठाए गए आरोप और निदेशक प्रो.आरके धीमन का प्रतिवाद संस्थान के अंदर असंतोष और संवादहीनता की ओर इशारा करते हैं। डॉक्टरों का संस्थान छोड़ना: फैकल्टी फोरम का कहना है कि 4 साल में 24 डॉक्टरों ने संस्थान छोड़ा है, जबकि निदेशक इसे केवल 4 डॉक्टरों तक सीमित बताते हैं। यह विवाद तथ्यात्मक जांच की मांग करता है। प्रोफेसर्स की एसीआर समीक्षा न होना: गोपनीय रिपोर्ट (ACR) की समय पर समीक्षा न होना और पदोन्नति के लिए साक्षात्कार न आयोजित करना संस्थान के प्रशासनिक ढांचे में खामियां दर्शाता है। संकाय सदस्यों की असंतुष्टि: फैकल्टी फोरम ने आरोप लगाया कि संकाय सदस्यों को उनके मूल कार्यों से हटाकर गैर-उत्पादक कार्यों में लगाया जा रहा है, जिससे संस्थान के मूल उद्देश्यों (मरीजों की देखभाल, शिक्षण और अनुसंधान) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। निदेशक पर वीआईपी कल्चर का आरोप: निदेशक पर केवल खास लोगों की बात सुनने और प्रशासनिक उदासीनता का आरोप लगाया गया है। प्राइवेट अस्पतालों का प्रभाव: उत्तर प्रदेश में निजी/कॉर्पोरेट अस्पतालों की वृद्धि और उनकी आकर्षक वेतन संरचना से SGPGI जैसे संस्थानों में प्रतिभा को बनाए रखना एक चुनौती बन गई है। निदेशक का कार्यकाल समाप्ति: फरवरी 2024 में निदेशक का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। फैकल्टी फोरम ने नए निदेशक के चयन में पारदर्शिता और वरिष्ठ फैकल्टी को मौका देने की मांग की है। निदेशक का पक्ष : निदेशक प्रो. धीमन ने लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि फैकल्टी फोरम को तथ्यों के साथ आरोप प्रस्तुत करना चाहिए। समाधान के लिए सुझाव: स्वतंत्र जांच समिति: डॉक्टरों के संस्थान छोड़ने और एसीआर से जुड़े मुद्दों पर स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए। डायलॉग और संवाद : फैकल्टी और प्रशासन के बीच एक संवाद मंच बनाया जाए, जिससे समस्याओं को हल किया जा सके। पारदर्शिता: भविष्य के निदेशक चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता दी जाए। प्रोत्साहन और सुधार : संकाय सदस्यों की समस्याओं का समाधान कर उन्हें बेहतर प्रोत्साहन दिया जाए। यह मामला SGPGI जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की कार्यक्षमता और छवि के लिए गंभीर है। इसे सुलझाने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।   Click to listen highlighted text! SGPGI : डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान-फैकल्टी फोरम नाराज़,कहा-निदेशक ने नहीं सुनी बात SGPGI : डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान-फैकल्टी फोरम नाराज़,कहा-निदेशक ने नहीं सुनी बात लोकायुक्त न्यूज़  यह मुद्दा संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में प्रशासनिक और संस्थागत प्रबंधन से जुड़ी गंभीर समस्याओं को उजागर करता है। फैकल्टी फोरम द्वारा उठाए गए आरोप और निदेशक प्रो.आरके धीमन का प्रतिवाद संस्थान के अंदर असंतोष और संवादहीनता की ओर इशारा करते हैं। डॉक्टरों का संस्थान छोड़ना: फैकल्टी फोरम का कहना है कि 4 साल में 24 डॉक्टरों ने संस्थान छोड़ा है, जबकि निदेशक इसे केवल 4 डॉक्टरों तक सीमित बताते हैं। यह विवाद तथ्यात्मक जांच की मांग करता है। प्रोफेसर्स की एसीआर समीक्षा न होना: गोपनीय रिपोर्ट (ACR) की समय पर समीक्षा न होना और पदोन्नति के लिए साक्षात्कार न आयोजित करना संस्थान के प्रशासनिक ढांचे में खामियां दर्शाता है। संकाय सदस्यों की असंतुष्टि: फैकल्टी फोरम ने आरोप लगाया कि संकाय सदस्यों को उनके मूल कार्यों से हटाकर गैर-उत्पादक कार्यों में लगाया जा रहा है, जिससे संस्थान के मूल उद्देश्यों (मरीजों की देखभाल, शिक्षण और अनुसंधान) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। निदेशक पर वीआईपी कल्चर का आरोप: निदेशक पर केवल खास लोगों की बात सुनने और प्रशासनिक उदासीनता का आरोप लगाया गया है। प्राइवेट अस्पतालों का प्रभाव: उत्तर प्रदेश में निजी/कॉर्पोरेट अस्पतालों की वृद्धि और उनकी आकर्षक वेतन संरचना से SGPGI जैसे संस्थानों में प्रतिभा को बनाए रखना एक चुनौती बन गई है। निदेशक का कार्यकाल समाप्ति: फरवरी 2024 में निदेशक का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। फैकल्टी फोरम ने नए निदेशक के चयन में पारदर्शिता और वरिष्ठ फैकल्टी को मौका देने की मांग की है। निदेशक का पक्ष : निदेशक प्रो. धीमन ने लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि फैकल्टी फोरम को तथ्यों के साथ आरोप प्रस्तुत करना चाहिए। समाधान के लिए सुझाव: स्वतंत्र जांच समिति: डॉक्टरों के संस्थान छोड़ने और एसीआर से जुड़े मुद्दों पर स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए। डायलॉग और संवाद : फैकल्टी और प्रशासन के बीच एक संवाद मंच बनाया जाए, जिससे समस्याओं को हल किया जा सके। पारदर्शिता: भविष्य के निदेशक चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता दी जाए। प्रोत्साहन और सुधार : संकाय सदस्यों की समस्याओं का समाधान कर उन्हें बेहतर प्रोत्साहन दिया जाए। यह मामला SGPGI जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की कार्यक्षमता और छवि के लिए गंभीर है। इसे सुलझाने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।

SGPGI : डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान-फैकल्टी फोरम नाराज़,कहा-निदेशक ने नहीं सुनी बात

SGPGI : डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान-फैकल्टी फोरम नाराज़,कहा-निदेशक ने नहीं सुनी बात

लोकायुक्त न्यूज़ 
यह मुद्दा संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में प्रशासनिक और संस्थागत प्रबंधन से जुड़ी गंभीर समस्याओं को उजागर करता है। फैकल्टी फोरम द्वारा उठाए गए आरोप और निदेशक प्रो.आरके धीमन का प्रतिवाद संस्थान के अंदर असंतोष और संवादहीनता की ओर इशारा करते हैं।

डॉक्टरों का संस्थान छोड़ना:
फैकल्टी फोरम का कहना है कि 4 साल में 24 डॉक्टरों ने संस्थान छोड़ा है, जबकि निदेशक इसे केवल 4 डॉक्टरों तक सीमित बताते हैं। यह विवाद तथ्यात्मक जांच की मांग करता है।

प्रोफेसर्स की एसीआर समीक्षा न होना:
गोपनीय रिपोर्ट (ACR) की समय पर समीक्षा न होना और पदोन्नति के लिए साक्षात्कार न आयोजित करना संस्थान के प्रशासनिक ढांचे में खामियां दर्शाता है।

संकाय सदस्यों की असंतुष्टि:
फैकल्टी फोरम ने आरोप लगाया कि संकाय सदस्यों को उनके मूल कार्यों से हटाकर गैर-उत्पादक कार्यों में लगाया जा रहा है, जिससे संस्थान के मूल उद्देश्यों (मरीजों की देखभाल, शिक्षण और अनुसंधान) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

निदेशक पर वीआईपी कल्चर का आरोप:
निदेशक पर केवल खास लोगों की बात सुनने और प्रशासनिक उदासीनता का आरोप लगाया गया है।

प्राइवेट अस्पतालों का प्रभाव:
उत्तर प्रदेश में निजी/कॉर्पोरेट अस्पतालों की वृद्धि और उनकी आकर्षक वेतन संरचना से SGPGI जैसे संस्थानों में प्रतिभा को बनाए रखना एक चुनौती बन गई है।

निदेशक का कार्यकाल समाप्ति:
फरवरी 2024 में निदेशक का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। फैकल्टी फोरम ने नए निदेशक के चयन में पारदर्शिता और वरिष्ठ फैकल्टी को मौका देने की मांग की है।

निदेशक का पक्ष : निदेशक प्रो. धीमन ने लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि फैकल्टी फोरम को तथ्यों के साथ आरोप प्रस्तुत करना चाहिए।

समाधान के लिए सुझाव:

स्वतंत्र जांच समिति: डॉक्टरों के संस्थान छोड़ने और एसीआर से जुड़े मुद्दों पर स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए।

डायलॉग और संवाद : फैकल्टी और प्रशासन के बीच एक संवाद मंच बनाया जाए, जिससे समस्याओं को हल किया जा सके।

पारदर्शिता: भविष्य के निदेशक चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता दी जाए।

प्रोत्साहन और सुधार : संकाय सदस्यों की समस्याओं का समाधान कर उन्हें बेहतर प्रोत्साहन दिया जाए।

यह मामला SGPGI जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की कार्यक्षमता और छवि के लिए गंभीर है। इसे सुलझाने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।

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