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सरस अस्पताल पर गंभीर आरोप: परिजनों ने लगाया जबरन वसूली और बंधक बनाने का आरोप सरस अस्पताल पर गंभीर आरोप: परिजनों ने लगाया जबरन वसूली और बंधक बनाने का आरोप इलाज में लापरवाही और मरीज को रोकने का मामला आया सामने blank कुशीनगर। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार लगातार प्रयासरत है, लेकिन कुछ निजी अस्पतालों में लापरवाही और मनमानी की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। इसी क्रम में कुशीनगर जिले के सरस अस्पताल पर मरीज को बंधक बनाने और जबरन पैसे वसूलने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी को शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई है।

परिजनों का आरोप – बहला-फुसलाकर अस्पताल में भर्ती कराया, फिर मांगे पैसे

  पडरौना कोतवाली क्षेत्र के पडरी गांव निवासी रामहरेश कुशवाहा ने डीएम को दिए गए अपने पत्र में बताया कि उनकी पत्नी को 15 मार्च को प्रसव पीड़ा के कारण जिला मुख्यालय स्थित मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। अगले दिन ब्लड बैंक में कार्यरत निखिल सिंह पहुंचे और परिवार की गैर-मौजूदगी में उनकी पत्नी और सास को सस्ते और बेहतर इलाज का झांसा देकर सरस अस्पताल में भर्ती करवा दिया। अस्पताल प्रशासन ने पहले सामान्य प्रसव की बात कही, लेकिन बाद में ऑपरेशन कर दिया और नवजात को एनआईसीयू में रखकर 80,000 रुपये की मांग की। परिजनों का कहना है कि किसी तरह 50,000 रुपये का इंतजाम कर अस्पताल को दिया, लेकिन इसके बाद भी उनकी पत्नी को अस्पताल में रोककर 30,000 रुपये और मांगे जा रहे हैं।

मारपीट और दुर्व्यवहार का आरोप

रामहरेश कुशवाहा का आरोप है कि जब उनके रिश्तेदार उमेश कुशवाहा नवजात को डिस्चार्ज कराकर जिला अस्पताल ले गए, तो इस बात से नाराज अस्पताल संचालक डॉ. आदर्श दुबे ने उन्हें अपने चेंबर में बुलाया और वहां गाली-गलौज की। इतना ही नहीं, अस्पताल के बाउंसरों के साथ मिलकर उनके साथ मारपीट भी की गई।

परिजनों का दावा – प्रशासन से नहीं मिल रही मदद

शिकायतकर्ता का कहना है कि अस्पताल प्रशासन उन्हें धमकी दे रहा है कि पुलिस और प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। परिजनों ने डीएम और एसपी से इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है।

स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल

इस मामले ने जिले में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।
  Click to listen highlighted text! सरस अस्पताल पर गंभीर आरोप: परिजनों ने लगाया जबरन वसूली और बंधक बनाने का आरोप सरस अस्पताल पर गंभीर आरोप: परिजनों ने लगाया जबरन वसूली और बंधक बनाने का आरोप इलाज में लापरवाही और मरीज को रोकने का मामला आया सामने कुशीनगर। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार लगातार प्रयासरत है, लेकिन कुछ निजी अस्पतालों में लापरवाही और मनमानी की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। इसी क्रम में कुशीनगर जिले के सरस अस्पताल पर मरीज को बंधक बनाने और जबरन पैसे वसूलने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी को शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई है। परिजनों का आरोप – बहला-फुसलाकर अस्पताल में भर्ती कराया, फिर मांगे पैसे   पडरौना कोतवाली क्षेत्र के पडरी गांव निवासी रामहरेश कुशवाहा ने डीएम को दिए गए अपने पत्र में बताया कि उनकी पत्नी को 15 मार्च को प्रसव पीड़ा के कारण जिला मुख्यालय स्थित मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। अगले दिन ब्लड बैंक में कार्यरत निखिल सिंह पहुंचे और परिवार की गैर-मौजूदगी में उनकी पत्नी और सास को सस्ते और बेहतर इलाज का झांसा देकर सरस अस्पताल में भर्ती करवा दिया। अस्पताल प्रशासन ने पहले सामान्य प्रसव की बात कही, लेकिन बाद में ऑपरेशन कर दिया और नवजात को एनआईसीयू में रखकर 80,000 रुपये की मांग की। परिजनों का कहना है कि किसी तरह 50,000 रुपये का इंतजाम कर अस्पताल को दिया, लेकिन इसके बाद भी उनकी पत्नी को अस्पताल में रोककर 30,000 रुपये और मांगे जा रहे हैं। मारपीट और दुर्व्यवहार का आरोप रामहरेश कुशवाहा का आरोप है कि जब उनके रिश्तेदार उमेश कुशवाहा नवजात को डिस्चार्ज कराकर जिला अस्पताल ले गए, तो इस बात से नाराज अस्पताल संचालक डॉ. आदर्श दुबे ने उन्हें अपने चेंबर में बुलाया और वहां गाली-गलौज की। इतना ही नहीं, अस्पताल के बाउंसरों के साथ मिलकर उनके साथ मारपीट भी की गई। परिजनों का दावा – प्रशासन से नहीं मिल रही मदद शिकायतकर्ता का कहना है कि अस्पताल प्रशासन उन्हें धमकी दे रहा है कि पुलिस और प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। परिजनों ने डीएम और एसपी से इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है। स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल इस मामले ने जिले में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।

सरस अस्पताल पर गंभीर आरोप: परिजनों ने लगाया जबरन वसूली और बंधक बनाने का आरोप

सरस अस्पताल पर गंभीर आरोप: परिजनों ने लगाया जबरन वसूली और बंधक बनाने का आरोप

इलाज में लापरवाही और मरीज को रोकने का मामला आया सामने

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कुशीनगर। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार लगातार प्रयासरत है, लेकिन कुछ निजी अस्पतालों में लापरवाही और मनमानी की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। इसी क्रम में कुशीनगर जिले के सरस अस्पताल पर मरीज को बंधक बनाने और जबरन पैसे वसूलने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी को शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई है।

परिजनों का आरोप – बहला-फुसलाकर अस्पताल में भर्ती कराया, फिर मांगे पैसे

 

पडरौना कोतवाली क्षेत्र के पडरी गांव निवासी रामहरेश कुशवाहा ने डीएम को दिए गए अपने पत्र में बताया कि उनकी पत्नी को 15 मार्च को प्रसव पीड़ा के कारण जिला मुख्यालय स्थित मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। अगले दिन ब्लड बैंक में कार्यरत निखिल सिंह पहुंचे और परिवार की गैर-मौजूदगी में उनकी पत्नी और सास को सस्ते और बेहतर इलाज का झांसा देकर सरस अस्पताल में भर्ती करवा दिया।

अस्पताल प्रशासन ने पहले सामान्य प्रसव की बात कही, लेकिन बाद में ऑपरेशन कर दिया और नवजात को एनआईसीयू में रखकर 80,000 रुपये की मांग की। परिजनों का कहना है कि किसी तरह 50,000 रुपये का इंतजाम कर अस्पताल को दिया, लेकिन इसके बाद भी उनकी पत्नी को अस्पताल में रोककर 30,000 रुपये और मांगे जा रहे हैं।

मारपीट और दुर्व्यवहार का आरोप

रामहरेश कुशवाहा का आरोप है कि जब उनके रिश्तेदार उमेश कुशवाहा नवजात को डिस्चार्ज कराकर जिला अस्पताल ले गए, तो इस बात से नाराज अस्पताल संचालक डॉ. आदर्श दुबे ने उन्हें अपने चेंबर में बुलाया और वहां गाली-गलौज की। इतना ही नहीं, अस्पताल के बाउंसरों के साथ मिलकर उनके साथ मारपीट भी की गई।

परिजनों का दावा – प्रशासन से नहीं मिल रही मदद

शिकायतकर्ता का कहना है कि अस्पताल प्रशासन उन्हें धमकी दे रहा है कि पुलिस और प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। परिजनों ने डीएम और एसपी से इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है।

स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल

इस मामले ने जिले में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।

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