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समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान कर विरोध करते हुए जताया असंतोष समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान कर विरोध करते हुए जताया असंतोष लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में पिशाच मोचन कुंड पर केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान करके अपने असंतोष और विरोध को सांकेतिक रूप से प्रकट किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय सचिव जीशान अंसारी ने किया। https://youtu.be/R0bTqrJ-434 प्रदर्शन का कारण : जीशान अंसारी ने कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग अपनी निष्पक्षता और स्वायत्तता खो चुका है। उन्होंने आयोग पर सत्तारूढ़ दल, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), के पक्ष में काम करने और विपक्षी दलों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। चुनावी प्रक्रिया में पक्षपात : आयोग द्वारा विभिन्न राज्यों और उपचुनावों में मतदान प्रतिशत और आंकड़ों में मनमानी ढंग से बदलाव किए जाने का आरोप है। यह बदलाव सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। चुनाव आयोग पर नियंत्रण : जीशान अंसारी ने कहा कि आयोग अब "स्वतंत्र संस्था" नहीं रहा है। उन्होंने इसे "बीजेपी के नेताओं, विशेष रूप से अमित शाह और नरेंद्र मोदी की कठपुतली" और "पिंजरे में बंद तोता" करार दिया। पिंडदान का उद्देश्य : समाजवादी पार्टी ने केंद्रीय चुनाव आयोग को "मृत" घोषित कर दिया और वैदिक मंत्रोच्चार एवं विधि-विधान के साथ पिंडदान किया। इसका प्रतीकात्मक उद्देश्य था: चुनाव आयोग की निष्पक्षता को पुनर्स्थापित करने के लिए इसे मृत मानकर श्राद्ध कर्म करना। आयोग की कथित "भटकती आत्मा" को शांति प्रदान करना। यह दिखाना कि मौजूदा चुनावी व्यवस्था और प्रक्रिया को सुधारने की आवश्यकता है। भविष्य की योजना : जीशान अंसारी ने बताया कि पिंडदान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं की योजना गया जाकर श्राद्ध कर्म करना है। गया में यह धार्मिक अनुष्ठान इस उद्देश्य से होगा कि "मृत आयोग" को अंतिम शांति मिले। समाजवादी पार्टी का संदेश : यह प्रदर्शन केवल एक विरोध नहीं था, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और लोकतंत्र की शुचिता पर सवाल उठाने का एक तरीका था। उनका कहना है कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थान के रूप में कार्य करना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक समाजवादी पार्टी इस प्रकार के प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कदम उठाती रहेगी। इस घटना ने वाराणसी में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है और चुनाव आयोग की भूमिका पर बहस को और तेज कर दिया है।   Click to listen highlighted text! समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान कर विरोध करते हुए जताया असंतोष समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान कर विरोध करते हुए जताया असंतोष लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में पिशाच मोचन कुंड पर केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान करके अपने असंतोष और विरोध को सांकेतिक रूप से प्रकट किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय सचिव जीशान अंसारी ने किया। https://youtu.be/R0bTqrJ-434 प्रदर्शन का कारण : जीशान अंसारी ने कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग अपनी निष्पक्षता और स्वायत्तता खो चुका है। उन्होंने आयोग पर सत्तारूढ़ दल, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), के पक्ष में काम करने और विपक्षी दलों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। चुनावी प्रक्रिया में पक्षपात : आयोग द्वारा विभिन्न राज्यों और उपचुनावों में मतदान प्रतिशत और आंकड़ों में मनमानी ढंग से बदलाव किए जाने का आरोप है। यह बदलाव सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। चुनाव आयोग पर नियंत्रण : जीशान अंसारी ने कहा कि आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रहा है। उन्होंने इसे बीजेपी के नेताओं, विशेष रूप से अमित शाह और नरेंद्र मोदी की कठपुतली और पिंजरे में बंद तोता करार दिया। पिंडदान का उद्देश्य : समाजवादी पार्टी ने केंद्रीय चुनाव आयोग को मृत घोषित कर दिया और वैदिक मंत्रोच्चार एवं विधि-विधान के साथ पिंडदान किया। इसका प्रतीकात्मक उद्देश्य था: चुनाव आयोग की निष्पक्षता को पुनर्स्थापित करने के लिए इसे मृत मानकर श्राद्ध कर्म करना। आयोग की कथित भटकती आत्मा को शांति प्रदान करना। यह दिखाना कि मौजूदा चुनावी व्यवस्था और प्रक्रिया को सुधारने की आवश्यकता है। भविष्य की योजना : जीशान अंसारी ने बताया कि पिंडदान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं की योजना गया जाकर श्राद्ध कर्म करना है। गया में यह धार्मिक अनुष्ठान इस उद्देश्य से होगा कि मृत आयोग को अंतिम शांति मिले। समाजवादी पार्टी का संदेश : यह प्रदर्शन केवल एक विरोध नहीं था, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और लोकतंत्र की शुचिता पर सवाल उठाने का एक तरीका था। उनका कहना है कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थान के रूप में कार्य करना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक समाजवादी पार्टी इस प्रकार के प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कदम उठाती रहेगी। इस घटना ने वाराणसी में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है और चुनाव आयोग की भूमिका पर बहस को और तेज कर दिया है।

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान कर विरोध करते हुए जताया असंतोष

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान कर विरोध करते हुए जताया असंतोष

लोकायुक्त न्यूज़ 

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में पिशाच मोचन कुंड पर केंद्रीय चुनाव आयोग का पिंडदान करके अपने असंतोष और विरोध को सांकेतिक रूप से प्रकट किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय सचिव जीशान अंसारी ने किया।

प्रदर्शन का कारण : जीशान अंसारी ने कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग अपनी निष्पक्षता और स्वायत्तता खो चुका है। उन्होंने आयोग पर सत्तारूढ़ दल, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), के पक्ष में काम करने और विपक्षी दलों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

चुनावी प्रक्रिया में पक्षपात : आयोग द्वारा विभिन्न राज्यों और उपचुनावों में मतदान प्रतिशत और आंकड़ों में मनमानी ढंग से बदलाव किए जाने का आरोप है।

यह बदलाव सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।

चुनाव आयोग पर नियंत्रण : जीशान अंसारी ने कहा कि आयोग अब “स्वतंत्र संस्था” नहीं रहा है।

उन्होंने इसे “बीजेपी के नेताओं, विशेष रूप से अमित शाह और नरेंद्र मोदी की कठपुतली” और “पिंजरे में बंद तोता” करार दिया।

पिंडदान का उद्देश्य : समाजवादी पार्टी ने केंद्रीय चुनाव आयोग को “मृत” घोषित कर दिया और वैदिक मंत्रोच्चार एवं विधि-विधान के साथ पिंडदान किया। इसका प्रतीकात्मक उद्देश्य था:

चुनाव आयोग की निष्पक्षता को पुनर्स्थापित करने के लिए इसे मृत मानकर श्राद्ध कर्म करना।

आयोग की कथित “भटकती आत्मा” को शांति प्रदान करना।

यह दिखाना कि मौजूदा चुनावी व्यवस्था और प्रक्रिया को सुधारने की आवश्यकता है।

भविष्य की योजना : जीशान अंसारी ने बताया कि पिंडदान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं की योजना गया जाकर श्राद्ध कर्म करना है। गया में यह धार्मिक अनुष्ठान इस उद्देश्य से होगा कि “मृत आयोग” को अंतिम शांति मिले।

समाजवादी पार्टी का संदेश : यह प्रदर्शन केवल एक विरोध नहीं था, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और लोकतंत्र की शुचिता पर सवाल उठाने का एक तरीका था।

उनका कहना है कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थान के रूप में कार्य करना चाहिए।

जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक समाजवादी पार्टी इस प्रकार के प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कदम उठाती रहेगी।

इस घटना ने वाराणसी में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है और चुनाव आयोग की भूमिका पर बहस को और तेज कर दिया है।

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