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जर्मनी जाकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लगाई पश्चिमी देशों की क्लास, दो टूक बोले- हमारा लोकतंत्र खतरे में नहीं, अपना मॉडल न थोपें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को लोकतंत्र को लेकर आइना दिखाया और कहा भारत में यह समय के साथ और भी जीवंत होते जा रहा है। उन्होंने ‘खतरे में लोकतंत्र’ की बात करने वाले पश्चिमी देशों पर बांग्लादेश का लिए बिना कटाक्ष किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम ने ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित किया। वे बाकी दुनिया पर अपने लोकतंत्र का मॉडल थोपने में लगे रहते हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पश्चिमी देशों को भी पश्चिम के बाहर के सफल मॉडलों को अपनाना चाहिए। उन्होंने मतदान के दौरान अंगुली पर लगी स्याही को दिखाते हुए कहा, “हमारे लिए लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है।” उन्होंने पश्चिमी देशों को बताया कि बीतते समय के साथ भारत में लोकतंत्र और भी जीवंत होते जा रहा है। जयशंकर ने कहा, “भारत ने आजादी के बाद लोकतंत्र को इसलिए अपनाया, क्योंकि यह हमारे परामर्शात्मक (consultative) और बहुलवादी (pluralistic) समाज के मूल्यों से मेल खाता था।” पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि अतीत में पश्चिम ने लोकतंत्र को सिर्फ अपने तक सीमित रखा और ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक शक्तियों को समर्थन दिया। In conversation with PM @jonasgahrstore, @ElissaSlotkin and @trzaskowski_ on the topic ‘Live to Vote Another Day: Fortifying Democratic Resilience’ at #MSC2025. https://t.co/IQqJ6XY6f3— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025 जयशंकर ने शुक्रवार (14 फरवरी 2025) को जर्मनी की राजधानी म्यूनिख में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान कुछ वक्ताओं ने दुनिया में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में बताया। हालाँकि, भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने इसे खारिज कर दिया और कहा, “मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूँ। मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूँ।” उन्होंने आगे बताया, “बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।” उन्होंने अंगुली पर मतदान वाली स्याही को दिखाते हुए कहा, “मैं एक अपेक्षाकृत निराशावादी पैनल में आशावादी व्यक्ति हूँ। मैं अपनी अंगुली उठाकर शुरू करूँगा। इसे बुरा मत मानिएगा। जो निशान आप मेरे नाखून पर देख रहे हैं, वह अभी-अभी हुए मतदान का निशान है।” जयशंकर ने बताया कि राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 90 करोड़ मतदाताओं में लगभग 70 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया। उन्होंने बताया, “हम एक ही दिन में इन सभी वोटों की गिनती करते हैं। जब परिणाम घोषित होता है तो कोई भी उस पर विवाद नहीं करता। हम अच्छे से मतदान कर रहे हैं और हमारे लोकतंत्र की दिशा के बारे में आशावादी हैं। इससे जुड़ा तर्क देते हुए उन्होंने कहा, “आधुनिक युग में जब से हमने मतदान करना शुरू किया है, तब से लेकर आज जो मतदान हो रहा है, उसमें 20 प्रतिशत अधिक लोग मतदान कर रहे हैं। इसलिए, पहला संदेश यह है कि लोकतंत्र पर कोई संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए चुनौतियाँ भी हैं। अलग-अलग देशों में हालात अलग-अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है। वक्ताओं में शामिल अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन ने कहा कि लोकतंत्र ‘खाने की मेज पर भोजन नहीं रखता’। इस पर जयशंकर ने कहा कि भारत 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता देता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ ऐसे हिस्से हो सकते हैं जहाँ ऐसा नहीं होता हो, लेकिन कुछ ऐसे हिस्से भी हैं, जहाँ ये सब हो रहा है और इनमें भारत भी शामिल है।   Click to listen highlighted text! जर्मनी जाकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लगाई पश्चिमी देशों की क्लास, दो टूक बोले- हमारा लोकतंत्र खतरे में नहीं, अपना मॉडल न थोपें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को लोकतंत्र को लेकर आइना दिखाया और कहा भारत में यह समय के साथ और भी जीवंत होते जा रहा है। उन्होंने ‘खतरे में लोकतंत्र’ की बात करने वाले पश्चिमी देशों पर बांग्लादेश का लिए बिना कटाक्ष किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम ने ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित किया। वे बाकी दुनिया पर अपने लोकतंत्र का मॉडल थोपने में लगे रहते हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पश्चिमी देशों को भी पश्चिम के बाहर के सफल मॉडलों को अपनाना चाहिए। उन्होंने मतदान के दौरान अंगुली पर लगी स्याही को दिखाते हुए कहा, “हमारे लिए लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है।” उन्होंने पश्चिमी देशों को बताया कि बीतते समय के साथ भारत में लोकतंत्र और भी जीवंत होते जा रहा है। जयशंकर ने कहा, “भारत ने आजादी के बाद लोकतंत्र को इसलिए अपनाया, क्योंकि यह हमारे परामर्शात्मक (consultative) और बहुलवादी (pluralistic) समाज के मूल्यों से मेल खाता था।” पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि अतीत में पश्चिम ने लोकतंत्र को सिर्फ अपने तक सीमित रखा और ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक शक्तियों को समर्थन दिया। In conversation with PM @jonasgahrstore, @ElissaSlotkin and @trzaskowski_ on the topic ‘Live to Vote Another Day: Fortifying Democratic Resilience’ at #MSC2025. https://t.co/IQqJ6XY6f3— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025 जयशंकर ने शुक्रवार (14 फरवरी 2025) को जर्मनी की राजधानी म्यूनिख में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान कुछ वक्ताओं ने दुनिया में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में बताया। हालाँकि, भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने इसे खारिज कर दिया और कहा, “मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूँ। मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूँ।” उन्होंने आगे बताया, “बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।” उन्होंने अंगुली पर मतदान वाली स्याही को दिखाते हुए कहा, “मैं एक अपेक्षाकृत निराशावादी पैनल में आशावादी व्यक्ति हूँ। मैं अपनी अंगुली उठाकर शुरू करूँगा। इसे बुरा मत मानिएगा। जो निशान आप मेरे नाखून पर देख रहे हैं, वह अभी-अभी हुए मतदान का निशान है।” जयशंकर ने बताया कि राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 90 करोड़ मतदाताओं में लगभग 70 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया। उन्होंने बताया, “हम एक ही दिन में इन सभी वोटों की गिनती करते हैं। जब परिणाम घोषित होता है तो कोई भी उस पर विवाद नहीं करता। हम अच्छे से मतदान कर रहे हैं और हमारे लोकतंत्र की दिशा के बारे में आशावादी हैं। इससे जुड़ा तर्क देते हुए उन्होंने कहा, “आधुनिक युग में जब से हमने मतदान करना शुरू किया है, तब से लेकर आज जो मतदान हो रहा है, उसमें 20 प्रतिशत अधिक लोग मतदान कर रहे हैं। इसलिए, पहला संदेश यह है कि लोकतंत्र पर कोई संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए चुनौतियाँ भी हैं। अलग-अलग देशों में हालात अलग-अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है। वक्ताओं में शामिल अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन ने कहा कि लोकतंत्र ‘खाने की मेज पर भोजन नहीं रखता’। इस पर जयशंकर ने कहा कि भारत 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता देता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ ऐसे हिस्से हो सकते हैं जहाँ ऐसा नहीं होता हो, लेकिन कुछ ऐसे हिस्से भी हैं, जहाँ ये सब हो रहा है और इनमें भारत भी शामिल है।

जर्मनी जाकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लगाई पश्चिमी देशों की क्लास, दो टूक बोले- हमारा लोकतंत्र खतरे में नहीं, अपना मॉडल न थोपें

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को लोकतंत्र को लेकर आइना दिखाया और कहा भारत में यह समय के साथ और भी जीवंत होते जा रहा है। उन्होंने ‘खतरे में लोकतंत्र’ की बात करने वाले पश्चिमी देशों पर बांग्लादेश का लिए बिना कटाक्ष किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम ने ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित किया। वे बाकी दुनिया पर अपने लोकतंत्र का मॉडल थोपने में लगे रहते हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पश्चिमी देशों को भी पश्चिम के बाहर के सफल मॉडलों को अपनाना चाहिए। उन्होंने मतदान के दौरान अंगुली पर लगी स्याही को दिखाते हुए कहा, “हमारे लिए लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है।” उन्होंने पश्चिमी देशों को बताया कि बीतते समय के साथ भारत में लोकतंत्र और भी जीवंत होते जा रहा है।

जयशंकर ने कहा, “भारत ने आजादी के बाद लोकतंत्र को इसलिए अपनाया, क्योंकि यह हमारे परामर्शात्मक (consultative) और बहुलवादी (pluralistic) समाज के मूल्यों से मेल खाता था।” पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि अतीत में पश्चिम ने लोकतंत्र को सिर्फ अपने तक सीमित रखा और ग्लोबल साउथ में गैर-लोकतांत्रिक शक्तियों को समर्थन दिया।

In conversation with PM @jonasgahrstore, @ElissaSlotkin and @trzaskowski_ on the topic ‘Live to Vote Another Day: Fortifying Democratic Resilience’ at #MSC2025. https://t.co/IQqJ6XY6f3— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025

जयशंकर ने शुक्रवार (14 फरवरी 2025) को जर्मनी की राजधानी म्यूनिख में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरान कुछ वक्ताओं ने दुनिया में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में बताया। हालाँकि, भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने इसे खारिज कर दिया और कहा, “मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूँ। मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूँ।”

उन्होंने आगे बताया, “बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।” उन्होंने अंगुली पर मतदान वाली स्याही को दिखाते हुए कहा, “मैं एक अपेक्षाकृत निराशावादी पैनल में आशावादी व्यक्ति हूँ। मैं अपनी अंगुली उठाकर शुरू करूँगा। इसे बुरा मत मानिएगा। जो निशान आप मेरे नाखून पर देख रहे हैं, वह अभी-अभी हुए मतदान का निशान है।”

जयशंकर ने बताया कि राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 90 करोड़ मतदाताओं में लगभग 70 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया। उन्होंने बताया, “हम एक ही दिन में इन सभी वोटों की गिनती करते हैं। जब परिणाम घोषित होता है तो कोई भी उस पर विवाद नहीं करता। हम अच्छे से मतदान कर रहे हैं और हमारे लोकतंत्र की दिशा के बारे में आशावादी हैं।

इससे जुड़ा तर्क देते हुए उन्होंने कहा, “आधुनिक युग में जब से हमने मतदान करना शुरू किया है, तब से लेकर आज जो मतदान हो रहा है, उसमें 20 प्रतिशत अधिक लोग मतदान कर रहे हैं। इसलिए, पहला संदेश यह है कि लोकतंत्र पर कोई संकट नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए चुनौतियाँ भी हैं। अलग-अलग देशों में हालात अलग-अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है।

वक्ताओं में शामिल अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन ने कहा कि लोकतंत्र ‘खाने की मेज पर भोजन नहीं रखता’। इस पर जयशंकर ने कहा कि भारत 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता देता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ ऐसे हिस्से हो सकते हैं जहाँ ऐसा नहीं होता हो, लेकिन कुछ ऐसे हिस्से भी हैं, जहाँ ये सब हो रहा है और इनमें भारत भी शामिल है।

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