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2MP फैक्टर जिससे ‘AAP-दा’ मुक्त हुई दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि राजधानी में 27 साल बाद भाजपा की वापसी हो रही है। नतीजे देख न केवल बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता खुश हैं बल्कि वो आम जनता भी खुश है जो रोजमर्रा की समस्याओं से तंग आकर सत्ता परिवर्तन को ही एक विकल्प मान रही थी। वैसे तो इतने वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद सत्ता में वापसी के लिए भाजपा ने कई फैक्टर्स पर काम किया होगा, लेकिन दिल्ली की जनता ने उन्हें असल में किसलिए वोट दिया ये समझना जरूरी है। आइए दिल्ली में जब पूर्ण बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन रही हैं तो समझते हैं कि आखिर वो कौन-कौन से कारण थे जिनके चलते भाजपा पर लोगों ने विश्वास जताया। क्या वो सिर्फ केजरीवाल की अगुवाई वाली AAP सरकार से छुटकारा चाहते थे या वाकई उन्हें दिल्ली में विकास की दरकार है? क्या उनके लिए सिर्फ फ्री बिजली पानी महत्व रखता था या उनको स्वच्छ क्षेत्र, पक्की सड़कें, साफ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ भी चाहिए? दिल्ली में भाजपा की जीत के सबसे बड़ा कारण इस बार महिलाओं की भागीदारी को, मिडिल क्लास को मिली राहत को, पूर्वांचलियों के प्रयास, साफ पानी के वादे को माना जा सकता है…। महिलाओं का रिकॉर्ड मतदान इस विधानसभा चुनाव में राजधानी में पंजीकृत महिला मतदाताओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था। महिलाएँ समाज का वो वर्ग हैं जो बुनियादी सुविधाएँ न मिलने पर सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। इन्हें पता होता है कि घर के नल से आता गंदा पानी, गली की टूटी सड़क, नाले में भरा पानी कैसे उनके परिवार के लिए घातक है। दिल्ली की महिलाओं को इन्हीं सबसे छुटकारा चाहिए था। उन्हें फ्री बिजली से ज्यादा साफ पानी की जरूरत थी। उन्हें मोहल्ला क्लिनिक से ज्यादा आयुष्माम योजना की जरूरत थी। इसीलिए उन्होंने 10 साल पहले केजरीवाल सरकार में संभावना देखकर उन्हें मौका दिया था, मगर जब उनकी जरूरतें पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने AAP को देखा-परखा और फिर बदलाव के नाम पर अपना वोट दिया। मोदी की गारंटी दूसरा, आम आदमी पार्टी ने इन्हीं महिलाओं को टारगेट करते हुए 2100 रुपए देने का ऐलान किया था। लेकिन, दिल्ली की महिलाएँ AAP की फ्री वाले हथकंडे को भाँप चुकी थी। उन्हें उन 2100 रुपए से ज्यादा दिल्ली के विकास को तवज्जो दी। उधर भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र में महिलाओं से साफ कह दिया था कि वो न केवल दिल्ली को हर स्तर पर बेहतर बनाएँगे बल्कि जो दिल्ली सरकार इस समय जनकल्याण की योजना चला रहे हैं उन्हें भी बंद नहीं करेंगे। महिलाओं को इस बात पर डर नहीं था कि अगर वो AAP को वोट नहीं देंगी तो उनके घरेलू बजट पर कोई असर पड़ेगा। उलटा वह संतुष्ट थीं कि भाजपा से उन्हें सम्मान के तौर पर 2500 रुपए की राशि तो मिलेगी ही। साथ ही गर्भवतियों को 25000 रुपए की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा घर के गैस सिलेंडर, बिजली की भी उन्हें चिंता नहीं करनी होगी और दिल्ली में बीजेपी के आने पर आयुष्मान योजना जैसी स्कीम भी लागू हो पाएँगी जिससे उनके परिवार को ही फायदा होगा। मिडिल क्लास की ताकत आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस जिस समय जातियों पर लोगों को बाँटकर भाजपा के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रही थीं उस समय बीजेपी लगातार मिडल क्लास वर्ग पर फोकस बनाए हुई थी। बजट वाले दिन विपक्षी दलों की बाजी तब पलटी जब ऐलान हुआ कि अब 12 लाख रुपए तक कमाने वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। विपक्ष ने इस बजट को बकवास तक बताया, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि इस एक घोषणा ने दिल्ली के मिडल क्लास को सीधे बीजेपी के पाले में खड़ा कर दिया है। अभी तक आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस भाजपा के खिलाफ जिस मिडल क्लास को भड़का रही थीं, उसी मिडल क्लास को चुनावों से ठीक पहले केंद्र सरकार ने टैक्स में छूट देकर बड़ा तोहफा दे दिया था। इसके अलावा पिछले दिनों केंद्र सरकार ने जो 8वें वेतन आयोग को बनाने की घोषणा की थी उससे भी मिडल क्लास काफी प्रभावित हुआ था। इस फैसले से करीबन 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी मिलती। वहीं 65 लाख रिटायर्ड केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की पेंशन और भत्ते में बढौतरी होती। पूर्वांचली भी साथ आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला के एक बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हुए ऐसे दिखाया था कि भाजपा पूर्वांचलियों से इतनी नफरत करती है कि उन्हें गाली दे रही है। हकीकत जबकि ये थी कि पूनावाला ने वहाँ गाली नहीं दी थी। लेकिन जो खेल आप खेल रही थी उससे निपटना जरूरी था। नतीजतन जमीनी स्तर पर काम करने की कमान बीजेपी ने कई पूर्वांचलियों को सौंपी। इन्हीं पूर्वांचलियों ने दिल्ली में अपनी पूर्वांचल सम्मान मार्च जैसे इवेंट करके अपनी ताकत लगाई और नतीजे सामने हैं। करप्शन से केजरीवाल चित इन सब वजहों के अलावा एक सबसे बड़ा कारण दिल्ली में भाजपा की जीत का यह भी था कि दिल्ली की जनता आए दिन AAP के काल में हो रहे भ्रष्टाचार की खबरों से त्रस्त हो गई थी। कभी शीश महल पर खर्च हुए 30-40 करोड़ रुपए की बात मीडिया में आ रही थी तो कभी दिल्ली शराब घोटाला के जरिए फजीहत हो रही थी। इन सारे मुद्दों ने पार्टी की छवि और नेताओं की ईमानदारी पर तमाम सवाल खड़े कर दिए थे। वहीं दिल्ली की सड़कों में हर साल भरने वाला पानी और 10 साल से यमुना के साफ करने के झूठे वादे ने भी लोगों का विश्वास AAP से उठा दिया था। इन्हीं सब बिंदुओं का फायदा भाजपा को दिल्ली के विधानसभा चुनावों में जमकर हुआ और उनके दिए नारे ‘AAP-DA मुक्त’ का असर दिखा। जनता ने मोदी की गारंटियों पर भरोसा दिखाते हुए 5 फरवरी को कमल दबाया। जिसके परिणाम आज देखने को मिले। बीजेपी की इस जीत में 2M (महिला+मिडिल क्लास) 2P (पूर्वांचली+पानी) फैक्टर का बड़ा रोल दिख रहा है। दिल्ली में भाजपा 48 सीट जीत रही है जबकि आम आदमी पार्टी को केवल 22। पिछले चुनाव में इसी आप ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी।   Click to listen highlighted text! 2MP फैक्टर जिससे ‘AAP-दा’ मुक्त हुई दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि राजधानी में 27 साल बाद भाजपा की वापसी हो रही है। नतीजे देख न केवल बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता खुश हैं बल्कि वो आम जनता भी खुश है जो रोजमर्रा की समस्याओं से तंग आकर सत्ता परिवर्तन को ही एक विकल्प मान रही थी। वैसे तो इतने वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद सत्ता में वापसी के लिए भाजपा ने कई फैक्टर्स पर काम किया होगा, लेकिन दिल्ली की जनता ने उन्हें असल में किसलिए वोट दिया ये समझना जरूरी है। आइए दिल्ली में जब पूर्ण बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन रही हैं तो समझते हैं कि आखिर वो कौन-कौन से कारण थे जिनके चलते भाजपा पर लोगों ने विश्वास जताया। क्या वो सिर्फ केजरीवाल की अगुवाई वाली AAP सरकार से छुटकारा चाहते थे या वाकई उन्हें दिल्ली में विकास की दरकार है? क्या उनके लिए सिर्फ फ्री बिजली पानी महत्व रखता था या उनको स्वच्छ क्षेत्र, पक्की सड़कें, साफ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ भी चाहिए? दिल्ली में भाजपा की जीत के सबसे बड़ा कारण इस बार महिलाओं की भागीदारी को, मिडिल क्लास को मिली राहत को, पूर्वांचलियों के प्रयास, साफ पानी के वादे को माना जा सकता है…। महिलाओं का रिकॉर्ड मतदान इस विधानसभा चुनाव में राजधानी में पंजीकृत महिला मतदाताओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था। महिलाएँ समाज का वो वर्ग हैं जो बुनियादी सुविधाएँ न मिलने पर सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। इन्हें पता होता है कि घर के नल से आता गंदा पानी, गली की टूटी सड़क, नाले में भरा पानी कैसे उनके परिवार के लिए घातक है। दिल्ली की महिलाओं को इन्हीं सबसे छुटकारा चाहिए था। उन्हें फ्री बिजली से ज्यादा साफ पानी की जरूरत थी। उन्हें मोहल्ला क्लिनिक से ज्यादा आयुष्माम योजना की जरूरत थी। इसीलिए उन्होंने 10 साल पहले केजरीवाल सरकार में संभावना देखकर उन्हें मौका दिया था, मगर जब उनकी जरूरतें पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने AAP को देखा-परखा और फिर बदलाव के नाम पर अपना वोट दिया। मोदी की गारंटी दूसरा, आम आदमी पार्टी ने इन्हीं महिलाओं को टारगेट करते हुए 2100 रुपए देने का ऐलान किया था। लेकिन, दिल्ली की महिलाएँ AAP की फ्री वाले हथकंडे को भाँप चुकी थी। उन्हें उन 2100 रुपए से ज्यादा दिल्ली के विकास को तवज्जो दी। उधर भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र में महिलाओं से साफ कह दिया था कि वो न केवल दिल्ली को हर स्तर पर बेहतर बनाएँगे बल्कि जो दिल्ली सरकार इस समय जनकल्याण की योजना चला रहे हैं उन्हें भी बंद नहीं करेंगे। महिलाओं को इस बात पर डर नहीं था कि अगर वो AAP को वोट नहीं देंगी तो उनके घरेलू बजट पर कोई असर पड़ेगा। उलटा वह संतुष्ट थीं कि भाजपा से उन्हें सम्मान के तौर पर 2500 रुपए की राशि तो मिलेगी ही। साथ ही गर्भवतियों को 25000 रुपए की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा घर के गैस सिलेंडर, बिजली की भी उन्हें चिंता नहीं करनी होगी और दिल्ली में बीजेपी के आने पर आयुष्मान योजना जैसी स्कीम भी लागू हो पाएँगी जिससे उनके परिवार को ही फायदा होगा। मिडिल क्लास की ताकत आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस जिस समय जातियों पर लोगों को बाँटकर भाजपा के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रही थीं उस समय बीजेपी लगातार मिडल क्लास वर्ग पर फोकस बनाए हुई थी। बजट वाले दिन विपक्षी दलों की बाजी तब पलटी जब ऐलान हुआ कि अब 12 लाख रुपए तक कमाने वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। विपक्ष ने इस बजट को बकवास तक बताया, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि इस एक घोषणा ने दिल्ली के मिडल क्लास को सीधे बीजेपी के पाले में खड़ा कर दिया है। अभी तक आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस भाजपा के खिलाफ जिस मिडल क्लास को भड़का रही थीं, उसी मिडल क्लास को चुनावों से ठीक पहले केंद्र सरकार ने टैक्स में छूट देकर बड़ा तोहफा दे दिया था। इसके अलावा पिछले दिनों केंद्र सरकार ने जो 8वें वेतन आयोग को बनाने की घोषणा की थी उससे भी मिडल क्लास काफी प्रभावित हुआ था। इस फैसले से करीबन 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी मिलती। वहीं 65 लाख रिटायर्ड केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की पेंशन और भत्ते में बढौतरी होती। पूर्वांचली भी साथ आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला के एक बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हुए ऐसे दिखाया था कि भाजपा पूर्वांचलियों से इतनी नफरत करती है कि उन्हें गाली दे रही है। हकीकत जबकि ये थी कि पूनावाला ने वहाँ गाली नहीं दी थी। लेकिन जो खेल आप खेल रही थी उससे निपटना जरूरी था। नतीजतन जमीनी स्तर पर काम करने की कमान बीजेपी ने कई पूर्वांचलियों को सौंपी। इन्हीं पूर्वांचलियों ने दिल्ली में अपनी पूर्वांचल सम्मान मार्च जैसे इवेंट करके अपनी ताकत लगाई और नतीजे सामने हैं। करप्शन से केजरीवाल चित इन सब वजहों के अलावा एक सबसे बड़ा कारण दिल्ली में भाजपा की जीत का यह भी था कि दिल्ली की जनता आए दिन AAP के काल में हो रहे भ्रष्टाचार की खबरों से त्रस्त हो गई थी। कभी शीश महल पर खर्च हुए 30-40 करोड़ रुपए की बात मीडिया में आ रही थी तो कभी दिल्ली शराब घोटाला के जरिए फजीहत हो रही थी। इन सारे मुद्दों ने पार्टी की छवि और नेताओं की ईमानदारी पर तमाम सवाल खड़े कर दिए थे। वहीं दिल्ली की सड़कों में हर साल भरने वाला पानी और 10 साल से यमुना के साफ करने के झूठे वादे ने भी लोगों का विश्वास AAP से उठा दिया था। इन्हीं सब बिंदुओं का फायदा भाजपा को दिल्ली के विधानसभा चुनावों में जमकर हुआ और उनके दिए नारे ‘AAP-DA मुक्त’ का असर दिखा। जनता ने मोदी की गारंटियों पर भरोसा दिखाते हुए 5 फरवरी को कमल दबाया। जिसके परिणाम आज देखने को मिले। बीजेपी की इस जीत में 2M (महिला+मिडिल क्लास) 2P (पूर्वांचली+पानी) फैक्टर का बड़ा रोल दिख रहा है। दिल्ली में भाजपा 48 सीट जीत रही है जबकि आम आदमी पार्टी को केवल 22। पिछले चुनाव में इसी आप ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी।

2MP फैक्टर जिससे ‘AAP-दा’ मुक्त हुई दिल्ली

दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि राजधानी में 27 साल बाद भाजपा की वापसी हो रही है। नतीजे देख न केवल बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता खुश हैं बल्कि वो आम जनता भी खुश है जो रोजमर्रा की समस्याओं से तंग आकर सत्ता परिवर्तन को ही एक विकल्प मान रही थी। वैसे तो इतने वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद सत्ता में वापसी के लिए भाजपा ने कई फैक्टर्स पर काम किया होगा, लेकिन दिल्ली की जनता ने उन्हें असल में किसलिए वोट दिया ये समझना जरूरी है।

आइए दिल्ली में जब पूर्ण बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन रही हैं तो समझते हैं कि आखिर वो कौन-कौन से कारण थे जिनके चलते भाजपा पर लोगों ने विश्वास जताया।

क्या वो सिर्फ केजरीवाल की अगुवाई वाली AAP सरकार से छुटकारा चाहते थे या वाकई उन्हें दिल्ली में विकास की दरकार है? क्या उनके लिए सिर्फ फ्री बिजली पानी महत्व रखता था या उनको स्वच्छ क्षेत्र, पक्की सड़कें, साफ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ भी चाहिए?

दिल्ली में भाजपा की जीत के सबसे बड़ा कारण इस बार महिलाओं की भागीदारी को, मिडिल क्लास को मिली राहत को, पूर्वांचलियों के प्रयास, साफ पानी के वादे को माना जा सकता है…।

महिलाओं का रिकॉर्ड मतदान

इस विधानसभा चुनाव में राजधानी में पंजीकृत महिला मतदाताओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था। महिलाएँ समाज का वो वर्ग हैं जो बुनियादी सुविधाएँ न मिलने पर सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। इन्हें पता होता है कि घर के नल से आता गंदा पानी, गली की टूटी सड़क, नाले में भरा पानी कैसे उनके परिवार के लिए घातक है। दिल्ली की महिलाओं को इन्हीं सबसे छुटकारा चाहिए था। उन्हें फ्री बिजली से ज्यादा साफ पानी की जरूरत थी। उन्हें मोहल्ला क्लिनिक से ज्यादा आयुष्माम योजना की जरूरत थी। इसीलिए उन्होंने 10 साल पहले केजरीवाल सरकार में संभावना देखकर उन्हें मौका दिया था, मगर जब उनकी जरूरतें पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने AAP को देखा-परखा और फिर बदलाव के नाम पर अपना वोट दिया।

मोदी की गारंटी

दूसरा, आम आदमी पार्टी ने इन्हीं महिलाओं को टारगेट करते हुए 2100 रुपए देने का ऐलान किया था। लेकिन, दिल्ली की महिलाएँ AAP की फ्री वाले हथकंडे को भाँप चुकी थी। उन्हें उन 2100 रुपए से ज्यादा दिल्ली के विकास को तवज्जो दी। उधर भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र में महिलाओं से साफ कह दिया था कि वो न केवल दिल्ली को हर स्तर पर बेहतर बनाएँगे बल्कि जो दिल्ली सरकार इस समय जनकल्याण की योजना चला रहे हैं उन्हें भी बंद नहीं करेंगे।

महिलाओं को इस बात पर डर नहीं था कि अगर वो AAP को वोट नहीं देंगी तो उनके घरेलू बजट पर कोई असर पड़ेगा। उलटा वह संतुष्ट थीं कि भाजपा से उन्हें सम्मान के तौर पर 2500 रुपए की राशि तो मिलेगी ही। साथ ही गर्भवतियों को 25000 रुपए की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा घर के गैस सिलेंडर, बिजली की भी उन्हें चिंता नहीं करनी होगी और दिल्ली में बीजेपी के आने पर आयुष्मान योजना जैसी स्कीम भी लागू हो पाएँगी जिससे उनके परिवार को ही फायदा होगा।

मिडिल क्लास की ताकत

आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस जिस समय जातियों पर लोगों को बाँटकर भाजपा के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रही थीं उस समय बीजेपी लगातार मिडल क्लास वर्ग पर फोकस बनाए हुई थी। बजट वाले दिन विपक्षी दलों की बाजी तब पलटी जब ऐलान हुआ कि अब 12 लाख रुपए तक कमाने वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। विपक्ष ने इस बजट को बकवास तक बताया, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि इस एक घोषणा ने दिल्ली के मिडल क्लास को सीधे बीजेपी के पाले में खड़ा कर दिया है।

अभी तक आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस भाजपा के खिलाफ जिस मिडल क्लास को भड़का रही थीं, उसी मिडल क्लास को चुनावों से ठीक पहले केंद्र सरकार ने टैक्स में छूट देकर बड़ा तोहफा दे दिया था।

इसके अलावा पिछले दिनों केंद्र सरकार ने जो 8वें वेतन आयोग को बनाने की घोषणा की थी उससे भी मिडल क्लास काफी प्रभावित हुआ था। इस फैसले से करीबन 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी मिलती। वहीं 65 लाख रिटायर्ड केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की पेंशन और भत्ते में बढौतरी होती।

पूर्वांचली भी साथ

आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला के एक बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हुए ऐसे दिखाया था कि भाजपा पूर्वांचलियों से इतनी नफरत करती है कि उन्हें गाली दे रही है। हकीकत जबकि ये थी कि पूनावाला ने वहाँ गाली नहीं दी थी। लेकिन जो खेल आप खेल रही थी उससे निपटना जरूरी था। नतीजतन जमीनी स्तर पर काम करने की कमान बीजेपी ने कई पूर्वांचलियों को सौंपी। इन्हीं पूर्वांचलियों ने दिल्ली में अपनी पूर्वांचल सम्मान मार्च जैसे इवेंट करके अपनी ताकत लगाई और नतीजे सामने हैं।

करप्शन से केजरीवाल चित

इन सब वजहों के अलावा एक सबसे बड़ा कारण दिल्ली में भाजपा की जीत का यह भी था कि दिल्ली की जनता आए दिन AAP के काल में हो रहे भ्रष्टाचार की खबरों से त्रस्त हो गई थी। कभी शीश महल पर खर्च हुए 30-40 करोड़ रुपए की बात मीडिया में आ रही थी तो कभी दिल्ली शराब घोटाला के जरिए फजीहत हो रही थी। इन सारे मुद्दों ने पार्टी की छवि और नेताओं की ईमानदारी पर तमाम सवाल खड़े कर दिए थे। वहीं दिल्ली की सड़कों में हर साल भरने वाला पानी और 10 साल से यमुना के साफ करने के झूठे वादे ने भी लोगों का विश्वास AAP से उठा दिया था।

इन्हीं सब बिंदुओं का फायदा भाजपा को दिल्ली के विधानसभा चुनावों में जमकर हुआ और उनके दिए नारे ‘AAP-DA मुक्त’ का असर दिखा। जनता ने मोदी की गारंटियों पर भरोसा दिखाते हुए 5 फरवरी को कमल दबाया। जिसके परिणाम आज देखने को मिले। बीजेपी की इस जीत में 2M (महिला+मिडिल क्लास) 2P (पूर्वांचली+पानी) फैक्टर का बड़ा रोल दिख रहा है। दिल्ली में भाजपा 48 सीट जीत रही है जबकि आम आदमी पार्टी को केवल 22। पिछले चुनाव में इसी आप ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी।

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