
दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहा पुलिसकर्मी ने कहा-जीता तो विधानसभा जाऊँगा और हारा तो ड्यूटी पर!
लोकायुक्त न्यूज़
यह रोचक कहानी एक ऐसे पुलिसकर्मी की है, जिसने लोकतंत्र और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को एक अलग रूप में निभाने का साहसिक कदम उठाया है। पंकज शर्मा, जो कि दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हैं और 22 वर्षों से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े होकर एक नई मिसाल कायम की है।
उनका चुनाव चिह्न “जूता” है, जिसे वे भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतीक के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि यह ऐसा प्रतीक है, जो भ्रष्टाचारी को डराता है और ईमानदारी का संदेश देता है।
चुनाव लड़ने के क्या हैं कारण :
दिल्ली की समस्याओं का गहरा ज्ञान : दिल्ली में 40 वर्षों से रहने और पुलिस की नौकरी में 22 साल बिताने के कारण, पंकज शर्मा को न केवल दिल्ली की समस्याओं का गहन अनुभव है, बल्कि पुलिस और जनता के बीच पुल बनने की भी क्षमता है।
अपराध और भ्रष्टाचार पर काबू : दिल्ली में बढ़ते अपराध को वे चुनावी मुद्दा मानते हैं और इसे हल करने का वादा करते हैं।
लोकतांत्रिक उदाहरण पेश करना : पंकज ने कहा कि उनका चुनाव लड़ना लोकतंत्र के स्वर्णिम पन्नों में लिखा जाएगा, क्योंकि सरकारी नौकरी करने वाला एक साधारण व्यक्ति राजनीति में बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है।
चुनाव लड़ने की कानूनी स्थिति : पंकज शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि सरकारी कर्मचारी चुनाव लड़ सकते हैं, और हारने पर अपनी ड्यूटी पर लौट सकते हैं। यह उन्हें आत्मविश्वास देता है कि उनकी सरकारी नौकरी पर कोई खतरा नहीं है।पंकज शर्मा का चुनाव लड़ना यह दिखाता है कि यदि कोई व्यक्ति समाज की सेवा के प्रति प्रतिबद्ध हो, तो वह किसी भी बाधा को पार कर सकता है। उनका यह कदम न केवल पुलिसकर्मियों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी प्रेरणादायक है।