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जानकी जन्मस्थली के उद्धार का मार्ग बिहार सरकार ने किया प्रशस्त, अयोध्या की तर्ज पर पुनौरा धाम का होगा विकास: बोले PM मोदी- यह सनातन गौरव का प्रतीक बनेगा अयोध्या रामजन्मभूमि के भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम के विराजमान होने के बाद से ही यह पूछा जा रहा था कि सीतामढ़ी के पुनौरा धाम स्थित जानकी जन्मस्थली का उद्धार कब होगा। इसकी घड़ी भी आ गई है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की एनडीए सरकार ने 1950 के बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम में संशोधन करते हुए पुनौरा धाम मंदिर और उससे जुड़ी संपत्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस जगह को अयोध्या की तरह विकसित करने के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (30 मई 2025) को बिहार के काराकाट में रैली को संबोधित करते हुए भी इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पुनौरा धाम का विकास धार्मिक परियोजना नहीं है। यह भारत की सांस्कृतिक पहचान और सनातन परंपरा के वैश्विक गौरव का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें मिलकर इस परियोजना को सफल बनाएँगी। अध्यादेश से जुड़ी खास बातें अधिनियम की धारा 32 में संशोधन: बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 की धारा 32 में उपधारा 32(5) जोड़ी गई है, जिससे राज्य सरकार को पुनौराधाम मंदिर के विकास के लिए योजना बनाने का अधिकार प्राप्त हुआ है। विकास योजना का दायरा: इस योजना में भूमि और सभी परिसंपत्तियों का प्रशासन शामिल होगा, जिसका उद्देश्य मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का धार्मिक और पर्यटन आकर्षण बनाना है। समिति का गठन: राज्य सरकार इस योजना के प्रशासन के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति गठित करेगी। वर्तमान न्यास समिति का विघटन: अधिनियम के लागू होने की तिथि से पुनौराधाम मंदिर की वर्तमान न्यास समिति भंग मानी जाएगी, और सभी पदाधिकारी कार्य करना बंद कर देंगे। न्यास के कर्मचारियों की स्थिति: न्यास के सभी कर्मचारी अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित समिति के पूर्ण नियंत्रण के अधीन रहते हुए न्यास की सेवा करते रहेंगे। समिति का नियंत्रण: राज्य सरकार द्वारा गठित समिति न्यास और उसकी सभी मूर्त और अमूर्त परिसंपत्तियों के प्रबंधन का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में लेगी। समिति की रिपोर्टिंग: समिति राज्य सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट करेगी। निर्देशों की बाध्यता: राज्य सरकार योजना के उचित कार्यान्वयन के हित में समिति को निर्देश जारी कर सकती है, और ऐसे निर्देश बाध्यकारी होंगे। योजना में संशोधन का अधिकार: राज्य सरकार न्यास के समुचित विकास के हित में वर्तमान योजना को संशोधित, परिवर्तित या प्रतिस्थापित कर सकेगी। समिति का पुनर्गठन: राज्य सरकार किसी भी समय समिति का पुनर्गठन कर सकती है, जिसमें नए सदस्यों को शामिल करना या वर्तमान सदस्यों को बाहर करना शामिल है। धारा 28 रहेगी लागू: अधिनियम की धारा 28 के अंतर्गत परिषद की सामान्य शक्तियाँ और कर्तव्य न्यास पर लागू रहेंगे। *पुनौराधाम के विकास हेतु समिति के गठन के लिए अध्यादेश हुआ जारी*——————————————————————————मुझे अत्यंत हर्ष है कि बिहार सरकार द्वारा "बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास (संशोधन) अध्यादेश, 2025" जारी किया गया है, जिससे पुनौराधाम (सीतामढ़ी) के तीव्र और समर्पित विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ… pic.twitter.com/zVrO0IgQvP— Nitish Mishra (@mishranitish) May 29, 2025 गौरतलब है कि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार से जानकी जन्मस्थली पर भी भव्य मंदिर के निर्माण का वादा किया था। इसके बाद इस दिश में बिहार ने कैबिनेट ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। अप्रैल 2025 में बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने पुनौरा धाम के विकास के लिए करीब 143 करोड़ की योजना स्वीकृत की थी। यह रामायण सर्किट का हिस्सा होगा।   Click to listen highlighted text! जानकी जन्मस्थली के उद्धार का मार्ग बिहार सरकार ने किया प्रशस्त, अयोध्या की तर्ज पर पुनौरा धाम का होगा विकास: बोले PM मोदी- यह सनातन गौरव का प्रतीक बनेगा अयोध्या रामजन्मभूमि के भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम के विराजमान होने के बाद से ही यह पूछा जा रहा था कि सीतामढ़ी के पुनौरा धाम स्थित जानकी जन्मस्थली का उद्धार कब होगा। इसकी घड़ी भी आ गई है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की एनडीए सरकार ने 1950 के बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम में संशोधन करते हुए पुनौरा धाम मंदिर और उससे जुड़ी संपत्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस जगह को अयोध्या की तरह विकसित करने के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (30 मई 2025) को बिहार के काराकाट में रैली को संबोधित करते हुए भी इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पुनौरा धाम का विकास धार्मिक परियोजना नहीं है। यह भारत की सांस्कृतिक पहचान और सनातन परंपरा के वैश्विक गौरव का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें मिलकर इस परियोजना को सफल बनाएँगी। अध्यादेश से जुड़ी खास बातें अधिनियम की धारा 32 में संशोधन: बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 की धारा 32 में उपधारा 32(5) जोड़ी गई है, जिससे राज्य सरकार को पुनौराधाम मंदिर के विकास के लिए योजना बनाने का अधिकार प्राप्त हुआ है। विकास योजना का दायरा: इस योजना में भूमि और सभी परिसंपत्तियों का प्रशासन शामिल होगा, जिसका उद्देश्य मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का धार्मिक और पर्यटन आकर्षण बनाना है। समिति का गठन: राज्य सरकार इस योजना के प्रशासन के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति गठित करेगी। वर्तमान न्यास समिति का विघटन: अधिनियम के लागू होने की तिथि से पुनौराधाम मंदिर की वर्तमान न्यास समिति भंग मानी जाएगी, और सभी पदाधिकारी कार्य करना बंद कर देंगे। न्यास के कर्मचारियों की स्थिति: न्यास के सभी कर्मचारी अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित समिति के पूर्ण नियंत्रण के अधीन रहते हुए न्यास की सेवा करते रहेंगे। समिति का नियंत्रण: राज्य सरकार द्वारा गठित समिति न्यास और उसकी सभी मूर्त और अमूर्त परिसंपत्तियों के प्रबंधन का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में लेगी। समिति की रिपोर्टिंग: समिति राज्य सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट करेगी। निर्देशों की बाध्यता: राज्य सरकार योजना के उचित कार्यान्वयन के हित में समिति को निर्देश जारी कर सकती है, और ऐसे निर्देश बाध्यकारी होंगे। योजना में संशोधन का अधिकार: राज्य सरकार न्यास के समुचित विकास के हित में वर्तमान योजना को संशोधित, परिवर्तित या प्रतिस्थापित कर सकेगी। समिति का पुनर्गठन: राज्य सरकार किसी भी समय समिति का पुनर्गठन कर सकती है, जिसमें नए सदस्यों को शामिल करना या वर्तमान सदस्यों को बाहर करना शामिल है। धारा 28 रहेगी लागू: अधिनियम की धारा 28 के अंतर्गत परिषद की सामान्य शक्तियाँ और कर्तव्य न्यास पर लागू रहेंगे। *पुनौराधाम के विकास हेतु समिति के गठन के लिए अध्यादेश हुआ जारी*——————————————————————————मुझे अत्यंत हर्ष है कि बिहार सरकार द्वारा "बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास (संशोधन) अध्यादेश, 2025" जारी किया गया है, जिससे पुनौराधाम (सीतामढ़ी) के तीव्र और समर्पित विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ… pic.twitter.com/zVrO0IgQvP— Nitish Mishra (@mishranitish) May 29, 2025 गौरतलब है कि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार से जानकी जन्मस्थली पर भी भव्य मंदिर के निर्माण का वादा किया था। इसके बाद इस दिश में बिहार ने कैबिनेट ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। अप्रैल 2025 में बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने पुनौरा धाम के विकास के लिए करीब 143 करोड़ की योजना स्वीकृत की थी। यह रामायण सर्किट का हिस्सा होगा।

जानकी जन्मस्थली के उद्धार का मार्ग बिहार सरकार ने किया प्रशस्त, अयोध्या की तर्ज पर पुनौरा धाम का होगा विकास: बोले PM मोदी- यह सनातन गौरव का प्रतीक बनेगा

अयोध्या रामजन्मभूमि के भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम के विराजमान होने के बाद से ही यह पूछा जा रहा था कि सीतामढ़ी के पुनौरा धाम स्थित जानकी जन्मस्थली का उद्धार कब होगा। इसकी घड़ी भी आ गई है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की एनडीए सरकार ने 1950 के बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम में संशोधन करते हुए पुनौरा धाम मंदिर और उससे जुड़ी संपत्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस जगह को अयोध्या की तरह विकसित करने के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (30 मई 2025) को बिहार के काराकाट में रैली को संबोधित करते हुए भी इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पुनौरा धाम का विकास धार्मिक परियोजना नहीं है। यह भारत की सांस्कृतिक पहचान और सनातन परंपरा के वैश्विक गौरव का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें मिलकर इस परियोजना को सफल बनाएँगी।

अध्यादेश से जुड़ी खास बातें

अधिनियम की धारा 32 में संशोधन: बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 की धारा 32 में उपधारा 32(5) जोड़ी गई है, जिससे राज्य सरकार को पुनौराधाम मंदिर के विकास के लिए योजना बनाने का अधिकार प्राप्त हुआ है।

विकास योजना का दायरा: इस योजना में भूमि और सभी परिसंपत्तियों का प्रशासन शामिल होगा, जिसका उद्देश्य मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का धार्मिक और पर्यटन आकर्षण बनाना है।

समिति का गठन: राज्य सरकार इस योजना के प्रशासन के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति गठित करेगी।

वर्तमान न्यास समिति का विघटन: अधिनियम के लागू होने की तिथि से पुनौराधाम मंदिर की वर्तमान न्यास समिति भंग मानी जाएगी, और सभी पदाधिकारी कार्य करना बंद कर देंगे।

न्यास के कर्मचारियों की स्थिति: न्यास के सभी कर्मचारी अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित समिति के पूर्ण नियंत्रण के अधीन रहते हुए न्यास की सेवा करते रहेंगे।

समिति का नियंत्रण: राज्य सरकार द्वारा गठित समिति न्यास और उसकी सभी मूर्त और अमूर्त परिसंपत्तियों के प्रबंधन का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में लेगी।

समिति की रिपोर्टिंग: समिति राज्य सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट करेगी।

निर्देशों की बाध्यता: राज्य सरकार योजना के उचित कार्यान्वयन के हित में समिति को निर्देश जारी कर सकती है, और ऐसे निर्देश बाध्यकारी होंगे।

योजना में संशोधन का अधिकार: राज्य सरकार न्यास के समुचित विकास के हित में वर्तमान योजना को संशोधित, परिवर्तित या प्रतिस्थापित कर सकेगी।

समिति का पुनर्गठन: राज्य सरकार किसी भी समय समिति का पुनर्गठन कर सकती है, जिसमें नए सदस्यों को शामिल करना या वर्तमान सदस्यों को बाहर करना शामिल है।

धारा 28 रहेगी लागू: अधिनियम की धारा 28 के अंतर्गत परिषद की सामान्य शक्तियाँ और कर्तव्य न्यास पर लागू रहेंगे।

*पुनौराधाम के विकास हेतु समिति के गठन के लिए अध्यादेश हुआ जारी*——————————————————————————मुझे अत्यंत हर्ष है कि बिहार सरकार द्वारा "बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास (संशोधन) अध्यादेश, 2025" जारी किया गया है, जिससे पुनौराधाम (सीतामढ़ी) के तीव्र और समर्पित विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ… pic.twitter.com/zVrO0IgQvP— Nitish Mishra (@mishranitish) May 29, 2025

गौरतलब है कि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार से जानकी जन्मस्थली पर भी भव्य मंदिर के निर्माण का वादा किया था। इसके बाद इस दिश में बिहार ने कैबिनेट ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। अप्रैल 2025 में बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने पुनौरा धाम के विकास के लिए करीब 143 करोड़ की योजना स्वीकृत की थी। यह रामायण सर्किट का हिस्सा होगा।

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