
वाराणसी में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ 84 घाटों पर लाखों श्रद्धालु कर रहे हैं गंगा स्नान
लोकायुक्त न्यूज़
उत्तरप्रदेश के वाराणसी में मकर संक्रांति का पर्व बेहद धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। 84 घाटों पर लाखों श्रद्धालु शुभ मुहूर्त के बाद से ही गंगा स्नान कर रहे हैं। भक्त मां गंगा में डुबकी लगाकर भगवान सूर्य को जल अर्पित कर रहे हैं और अपने परिवार की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
मकर संक्रांति का क्या है महत्व :
आज सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव के घर गए थे। गगा का सागर में संगम भी मकर संक्रांति के दिन हुआ था।
महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने के दिन अपने प्राण त्यागे थे।
पुण्य का दिन क्यों कहा जाता है?
गंगा स्नान और दान-पुण्य इस दिन को विशेष बनाता है।
ब्राह्मणों को वस्त्र, काला तिल, गुड़, चावल, मूंग दाल और खिचड़ी का दान करना शुभ माना जाता है।
वाराणसी में 11 नदियों के पावन संगम का महत्व है, जिनमें गंगा, यमुना, सरस्वती, वरुणा और अस्सी आदि शामिल हैं।
सुरक्षा व्यवस्था के मामले में वाराणसी के घाटों पर पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें भी तैनात हैं।
श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि गंगा में लगी बैरिकेडिंग के अंदर ही स्नान करें। किसी भी समस्या के लिए हेल्पलाइन नंबर और चौकियां सक्रिय हैं।
पुरोहित की राय : “मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान-पुण्य से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। यह पर्व धर्म, परंपरा और आस्था का प्रतीक है।”
श्रद्धालुओं का अनुभव : “गंगा में डुबकी लगाकर आत्मा को शांति मिलती है। मकर संक्रांति के दिन यहां आना और पूजा-अर्चना करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।”
वाराणसी में मकर संक्रांति का यह उत्सव आध्यात्मिकता और आस्था का अद्भुत संगम है, जहां हर कोई पुण्य कमाने और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए एकत्रित होता है।