बसंत पंचमी के अवसर पर प्रयागराज में जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने किया पवित्र अमृत स्नान, वीडियो में एक झलक
लोकायुक्त न्यूज़
बसंत पंचमी के अवसर पर प्रयागराज में चल रहे माघ मेले के दौरान जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने पवित्र अमृत स्नान किया। यह स्नान हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे धार्मिक आस्था व परंपराओं का प्रतीक माना जाता है।
अमृत स्नान का महत्व : अमृत स्नान को आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। नागा साधु, जो कि सन्यास और त्याग के प्रतीक होते हैं, इस अवसर पर गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आयोजन की प्रक्रिया:
मंगलमय शोभा यात्रा : नागा साधु पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ झांकियों के रूप में संगम तट की ओर बढ़ते हैं। उनके साथ मंत्रोच्चारण और जयकारों की गूंज होती है।
पवित्र स्नान: नागा साधु संगम तट पर पवित्र डुबकी लगाते हैं, जिसे “अमृत स्नान” कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्नान से सभी पापों का नाश होता है।
धार्मिक अनुष्ठान: स्नान के बाद साधु धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और यज्ञ करते हैं।
जूना अखाड़े की परंपरा : जूना अखाड़ा सनातन धर्म का एक प्रमुख अखाड़ा है, जो नागा साधुओं और संतों का केंद्र है। इनकी परंपरा में बसंत पंचमी जैसे पर्वों पर संगम में स्नान करना एक प्रमुख धार्मिक कृत्य है।
बसंत पंचमी का महत्व : बसंत पंचमी विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी सरस्वती का पर्व है। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। नागा साधुओं के स्नान के साथ यह पर्व और भी भव्य हो जाता है।
यह आयोजन लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है और धर्म, संस्कृति और आस्था की झलक प्रस्तुत करता है।