गणित में समय-दूरी-गति वाला सवाल सबने बनाया होगा। बना कर सही उत्तर मिलने पर इठलाए भी होंगे। अफसोस यह स्कूल तक ही चलता है। आगे की पढ़ाई करने वालों के लिए नोबेल विजेता हाइजनबर्ग भाई साहब ने यह खुशी भी छीन ली। अनिश्चितता का सिद्धांत दे दिया।
भौतिकी की शब्दावली में फँसने के बजाय मोटामोटी यह समझिए कि ‘एक समय में एक ही काम’ सटिक ढंग से हो सकता है, यही है हाइजनबर्ग की अनिश्चितता का सिद्धांत। जिस समय जो कार्य कर रहे हैं, ठीक उसी समय कोई और कार्य 100% सफलता के साथ हो जाए – यह असंभव है।
हर हिंदू हाइजनबर्ग के इसी सिद्धांत पर चले, यही अभी के समय की माँग है। हिंदू सिर्फ और सिर्फ हिंदू होकर सोचे, शत्रु-शक्तियों ने यही माहौल पैदा कर दिया है। जाति-भाषा-बोली-शैली-क्षेत्र-राज्य-देश के नाम पर आपको बाँटने का षड्यंत्र रचा जा चुका है, आपको हिंदू बने रहना है। इससे ध्यान भटकने पर असफलता की गारंटी है।
विकासशील से विकसित होते हिंदू पर हमले और तेज होंगे। समाज पर षड्यंत्र का असर और भी घातक होगा अगर बचाव हिंदू से परे होकर करने की रणनीति अपनाई तो। भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, कोई नहीं जानता। भूतकाल से लेकिन यह सबक हमें बार-बार मिला है कि जब-जब हम हिंदू टुकड़े-टुकड़े बँट कर सोचे हैं, प्रतिकार/व्यवहार किए हैं – हम मुँह की खाए हैं, गुलाम तक बने हैं।
हर एक हिंदू को सजग रहना होगा। सजग रहेंगे तभी जागृत वाली प्रक्रिया में जाएँगे। जागृति आएगी तो वो समृद्धि की ओर ले जाएगी। नागरिक के तौर पर हर ईकाई की समृद्धि ही परिवार-समाज-गाँव-देश की उन्नति का रास्ता तैयार करेगी। विकसित भारत का सपना नागरिक विकास की कड़ी-दर-कड़ी से जुड़ा हुआ है, इस बात को हम सभी को गाँठ बाँध लेना चाहिए।
किसी RSS, किसी BJP ने अखंड भारत का सपना देखा, इसलिए आप भी मत देखिए। वो सिर्फ दिवास्वप्न होगा। सपना देखिए क्योंकि यह सभी हिंदुओं के अस्तित्व की लड़ाई है। आप सपना देखिए क्योंकि आपके निर्माण से अखंड भारत का निर्माण होगा। आपकी नींव जितनी मजबूत होगी, अखंड भारत उतनी तेजी से हकीकत में बदलेगा।
लेकिन कैसे? ऊपर दिए हाइजनबर्ग के उदाहरण से। रास्ता यही है। मंदिर जाकर पूजा कर लेने भर से आप हिंदू हो गए, इस भूलावे से बाहर आना होगा। समय की माँग इससे अधिक है।
दैनिक जीवन, सोशल मीडिया या फिर कहीं किसी के साथ बात-व्यवहार-प्रतिकार – हर समय आपको हिंदू बने रहना है – पढ़िए तो हिंदू बन कर, लड़िए तो हिंदू होकर। तन-मन-धन… विकसित हो रहे हिंदू समाज को इन तीनों की जरूरत है।
सजग-जागृत-समृद्ध हिंदू की आवश्यकता क्यों है अभी? पहले नहीं थी? आगे नहीं होगी? उत्तर है – पहले भी थी। हमने उसके उलट काम किया। फलस्वरूप हम गुलाम हुए। अभी पहले के मुकाबले जरूरत ज्यादा है, दुश्मन क्योंकि शातिर है, कुछ घर के भेदी भी हैं। सबसे बचते-लड़ते हुए आगे जाना है।
भविष्य में तो हम हिंदुओं को और भी इसकी जरूरत पड़ेगी। क्योंकि तब हमले डायरेक्ट होंगे। लड़ाई डायरेक्ट ताकत की होगी। इसलिए पहले की गलतियों से सीखते हुए, भविष्य में और मजबूती से डटे रहने के लिए… वर्तमान में हमें हिंदू बने रहना है, सजग रहना है, समृद्धि की ओर बढ़ते जाना है।
हिंदुओं के सामने वर्तमान में जो लड़ाई है, वो किसी तीर-धनुष, गोली-बंदूक या मिसाइल से नहीं जीती जा सकती। हिंदू सिर्फ हिंदू होकर सोचे-जिए-बोले-लड़े, तभी हम सशक्त भी होंगे, अखंड भारत का हिस्सा भी होंगे।
अगर आप चाहते हैं कि…
बांग्लादेशी/रोहिंग्या घुसपैठियों की खबरें नहीं मिले।
इस्लामी मुल्कों में रह रहे हिंदू भाइयों-बहनों-माताओं की स्थिति सुधरे।
इस्लामी मुल्कों की ज्यादतियों से तंग आकर भारत भाग आए लोगों, विस्थापितों की भाँति यहाँ रह रहे लोगों को नागरिकता मिलने में और भी आसानी हो।
न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आए, ऐसा कोई सिस्टम विकसित हो। आम लोगों को न्यायालय से न्याय की जगह जो नाउम्मीदी मिलती है, वो दूर हो।
अयोध्या में जैसे रामलला आ गए, वैसे ही काशी-मथुरा में भी हिंदू समाज अपने आराध्य को बिना रोक-टोक देख पाएँ।
ईसाई मिशनरियों का काला-जादू और षड्यंत्र हिंदुओं के धर्मांतरण से पहले ही छू-मंतर हो जाए।
लव-जिहाद और इस्लामी कंवर्जन माफिया के जाल में कोई बहन-बेटी-भाई न फँसे।
जो भाई-बहन कभी किसी कारण से सनातन से दूर चले गए, उन सभी की घर-वापसी हो।
…तो आपको सिर्फ और सिर्फ हिंदू ही रहना होगा।
हिंदुओं और हिंदुस्तान का उत्थान बँटने से नहीं होगा। न ही यह एक दिन का संकल्प है। 1 जनवरी 2025 हो या 31 दिसंबर 2025 या अगली सदी… हम हिंदुओं को हिंदू बन कर ही रहना होगा!