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अन्ना यूनिवर्सिटी में छात्रा से रेप, तमिलनाडु पुलिस ने पीड़िता पर ही मढ़ दिया दोष: मद्रास हाई कोर्ट ने FIR लीक होने पर DMK सरकार को लताड़ा, जाँच के लिए SIT बनाने का आदेश चेन्नई के अन्ना यूनिवर्सिटी में हाल ही में 19 वर्षीय छात्रा के साथ हुए रेप के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य की DMK सरकार को लताड़ा है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता को ₹25 लाख मुआवजा दिया जाए और घटना की जाँच के लिए एक SIT गठित की जाए। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी एक जाँच टीम बनाई है। मद्रास हाई कोर्ट ने अन्ना यूनिवर्सिटी रेप मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई शनिवार (28 दिसम्बर, 2024) को सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट ने रेप की FIR के लीक होने को लेकर सवाल खड़े किए। हाई कोर्ट ने कहा कि यह FIR लीक होने के चलते पीड़िता मानसिक तौर पर प्रताड़ित हुई। हाई कोर्ट ने FIR में घटना को लेकर लिखी गई भाषा को लेकर भी पुलिस को लताड़ लगाई। उसने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने पीड़ित पर ही सारा दोष मढ़ दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह विक्टिम ब्लेमिंग का एक उदाहरण है। कोर्ट ने कहा कि FIR की भाषा के चलते पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुँची। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को ही FIR में ब्लेम किया जाना महिलाविरोधी था और जब संविधान पुरुष और महिला में अंतर नहीं रखता तब समाज को महिलाओं को नीचा दिखाने के शर्मिन्दा होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की आलोचना समाज की गलती थी। हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में लापरवाही के चलते पीड़िता को संविधान में अनुच्छेद 21 में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। ऐसे में उसको ₹25 लाख का मुआवजा राज्य सरकार दे। हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पीड़िता और उसके परिजनों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए और साथ ही तीन IPS अधिकारियों की एक SIT बनाई जाए। वहीं DMK सरकार ने FIR लीक में अपनी गलती मानने से मना किया और भारतीय दंड संहिता (IPC) से भारतीय न्याय संहिता (BNS) में व्यवस्था के बदलाव को गड़बड़ी का कारण बताया। इसे कोर्ट ने स्वीकार करने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कानूनों में बदलाव जुलाई में हुआ था और यह गड़बड़ी अब हुई। DMK सरकार ने इसके बाद खुद को बचाने के लिए उन लोगों को कठघरे में खड़ा किया, जिन्होंने यह FIR पुलिस की वेबसाइट से एक्सेस की थी। DMK सरकार ने कहा कि पुलिस और राज्य की जिम्मेदारी एक तरफ है, लेकिन मीडिया और नागरिकों को भी ध्यान रखना चाहिए था। मद्रास हाई कोर्ट के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान ले लिया है। आयोग ने इस संबंध में एक दो सदस्यीय कमिटी का गठन किया है। कमिटी में महाराष्ट्र के पूर्व DGP प्रवीण दीक्षित और महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी हैं। माहिला आयोग की यह कमिटी सोमवार (30 दिसम्बर, 2024) को जाँच के लिए तमिलनाडु जाएगी। यह कमिटी पीड़िता और उसके परिवार से मिलेगी। इसके अलावा यह पीड़िता दोस्तों और पुलिस से भी मुलाक़ात करेगी। गौरतलब है कि चेन्नई स्थित अन्ना यूनिवर्सिटी में 23 दिसम्बर, 2024 को इंजीनियरिंग की एक 19 वर्षीय छात्रा से एक ठेले वाले ने रेप किया। अपने दोस्त से मिलने गई एक लड़की का उसने पहले वीडियो बनाया और फिर उसके दोस्त को मारपीट कर भगा दिया। इसके बाद उसके साथ रेप किया और फोन नम्बर लेकर कहा कि जब जहाँ बुलाए वहाँ वह लड़की आ जाए। लड़की ने जब इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई तब यह मामला खुला। घटना का आरोपित ज्ञानशेखरन गिरफ्तार कर लिया गया है। 37 वर्षीय ज्ञानशेखरन कैम्पस में ही बिरयानी बेचता है। भाजपा ने आरोप लगाया कि ज्ञानशेखरन सत्ताधारी DMK का पदाधिकारी है। उसकी तस्वीरें भी DMK के बड़े नेताओं के साथ मौजूद हैं।   Click to listen highlighted text! अन्ना यूनिवर्सिटी में छात्रा से रेप, तमिलनाडु पुलिस ने पीड़िता पर ही मढ़ दिया दोष: मद्रास हाई कोर्ट ने FIR लीक होने पर DMK सरकार को लताड़ा, जाँच के लिए SIT बनाने का आदेश चेन्नई के अन्ना यूनिवर्सिटी में हाल ही में 19 वर्षीय छात्रा के साथ हुए रेप के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य की DMK सरकार को लताड़ा है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता को ₹25 लाख मुआवजा दिया जाए और घटना की जाँच के लिए एक SIT गठित की जाए। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी एक जाँच टीम बनाई है। मद्रास हाई कोर्ट ने अन्ना यूनिवर्सिटी रेप मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई शनिवार (28 दिसम्बर, 2024) को सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट ने रेप की FIR के लीक होने को लेकर सवाल खड़े किए। हाई कोर्ट ने कहा कि यह FIR लीक होने के चलते पीड़िता मानसिक तौर पर प्रताड़ित हुई। हाई कोर्ट ने FIR में घटना को लेकर लिखी गई भाषा को लेकर भी पुलिस को लताड़ लगाई। उसने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने पीड़ित पर ही सारा दोष मढ़ दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह विक्टिम ब्लेमिंग का एक उदाहरण है। कोर्ट ने कहा कि FIR की भाषा के चलते पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुँची। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को ही FIR में ब्लेम किया जाना महिलाविरोधी था और जब संविधान पुरुष और महिला में अंतर नहीं रखता तब समाज को महिलाओं को नीचा दिखाने के शर्मिन्दा होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की आलोचना समाज की गलती थी। हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में लापरवाही के चलते पीड़िता को संविधान में अनुच्छेद 21 में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। ऐसे में उसको ₹25 लाख का मुआवजा राज्य सरकार दे। हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पीड़िता और उसके परिजनों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए और साथ ही तीन IPS अधिकारियों की एक SIT बनाई जाए। वहीं DMK सरकार ने FIR लीक में अपनी गलती मानने से मना किया और भारतीय दंड संहिता (IPC) से भारतीय न्याय संहिता (BNS) में व्यवस्था के बदलाव को गड़बड़ी का कारण बताया। इसे कोर्ट ने स्वीकार करने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कानूनों में बदलाव जुलाई में हुआ था और यह गड़बड़ी अब हुई। DMK सरकार ने इसके बाद खुद को बचाने के लिए उन लोगों को कठघरे में खड़ा किया, जिन्होंने यह FIR पुलिस की वेबसाइट से एक्सेस की थी। DMK सरकार ने कहा कि पुलिस और राज्य की जिम्मेदारी एक तरफ है, लेकिन मीडिया और नागरिकों को भी ध्यान रखना चाहिए था। मद्रास हाई कोर्ट के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान ले लिया है। आयोग ने इस संबंध में एक दो सदस्यीय कमिटी का गठन किया है। कमिटी में महाराष्ट्र के पूर्व DGP प्रवीण दीक्षित और महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी हैं। माहिला आयोग की यह कमिटी सोमवार (30 दिसम्बर, 2024) को जाँच के लिए तमिलनाडु जाएगी। यह कमिटी पीड़िता और उसके परिवार से मिलेगी। इसके अलावा यह पीड़िता दोस्तों और पुलिस से भी मुलाक़ात करेगी। गौरतलब है कि चेन्नई स्थित अन्ना यूनिवर्सिटी में 23 दिसम्बर, 2024 को इंजीनियरिंग की एक 19 वर्षीय छात्रा से एक ठेले वाले ने रेप किया। अपने दोस्त से मिलने गई एक लड़की का उसने पहले वीडियो बनाया और फिर उसके दोस्त को मारपीट कर भगा दिया। इसके बाद उसके साथ रेप किया और फोन नम्बर लेकर कहा कि जब जहाँ बुलाए वहाँ वह लड़की आ जाए। लड़की ने जब इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई तब यह मामला खुला। घटना का आरोपित ज्ञानशेखरन गिरफ्तार कर लिया गया है। 37 वर्षीय ज्ञानशेखरन कैम्पस में ही बिरयानी बेचता है। भाजपा ने आरोप लगाया कि ज्ञानशेखरन सत्ताधारी DMK का पदाधिकारी है। उसकी तस्वीरें भी DMK के बड़े नेताओं के साथ मौजूद हैं।

अन्ना यूनिवर्सिटी में छात्रा से रेप, तमिलनाडु पुलिस ने पीड़िता पर ही मढ़ दिया दोष: मद्रास हाई कोर्ट ने FIR लीक होने पर DMK सरकार को लताड़ा, जाँच के लिए SIT बनाने का आदेश

चेन्नई के अन्ना यूनिवर्सिटी में हाल ही में 19 वर्षीय छात्रा के साथ हुए रेप के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य की DMK सरकार को लताड़ा है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता को ₹25 लाख मुआवजा दिया जाए और घटना की जाँच के लिए एक SIT गठित की जाए। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी एक जाँच टीम बनाई है।

मद्रास हाई कोर्ट ने अन्ना यूनिवर्सिटी रेप मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई शनिवार (28 दिसम्बर, 2024) को सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट ने रेप की FIR के लीक होने को लेकर सवाल खड़े किए। हाई कोर्ट ने कहा कि यह FIR लीक होने के चलते पीड़िता मानसिक तौर पर प्रताड़ित हुई।

हाई कोर्ट ने FIR में घटना को लेकर लिखी गई भाषा को लेकर भी पुलिस को लताड़ लगाई। उसने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने पीड़ित पर ही सारा दोष मढ़ दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह विक्टिम ब्लेमिंग का एक उदाहरण है। कोर्ट ने कहा कि FIR की भाषा के चलते पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुँची।

मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को ही FIR में ब्लेम किया जाना महिलाविरोधी था और जब संविधान पुरुष और महिला में अंतर नहीं रखता तब समाज को महिलाओं को नीचा दिखाने के शर्मिन्दा होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की आलोचना समाज की गलती थी।

हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में लापरवाही के चलते पीड़िता को संविधान में अनुच्छेद 21 में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। ऐसे में उसको ₹25 लाख का मुआवजा राज्य सरकार दे। हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पीड़िता और उसके परिजनों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए और साथ ही तीन IPS अधिकारियों की एक SIT बनाई जाए।

वहीं DMK सरकार ने FIR लीक में अपनी गलती मानने से मना किया और भारतीय दंड संहिता (IPC) से भारतीय न्याय संहिता (BNS) में व्यवस्था के बदलाव को गड़बड़ी का कारण बताया। इसे कोर्ट ने स्वीकार करने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कानूनों में बदलाव जुलाई में हुआ था और यह गड़बड़ी अब हुई।

DMK सरकार ने इसके बाद खुद को बचाने के लिए उन लोगों को कठघरे में खड़ा किया, जिन्होंने यह FIR पुलिस की वेबसाइट से एक्सेस की थी। DMK सरकार ने कहा कि पुलिस और राज्य की जिम्मेदारी एक तरफ है, लेकिन मीडिया और नागरिकों को भी ध्यान रखना चाहिए था।

मद्रास हाई कोर्ट के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान ले लिया है। आयोग ने इस संबंध में एक दो सदस्यीय कमिटी का गठन किया है। कमिटी में महाराष्ट्र के पूर्व DGP प्रवीण दीक्षित और महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी हैं। माहिला आयोग की यह कमिटी सोमवार (30 दिसम्बर, 2024) को जाँच के लिए तमिलनाडु जाएगी।

यह कमिटी पीड़िता और उसके परिवार से मिलेगी। इसके अलावा यह पीड़िता दोस्तों और पुलिस से भी मुलाक़ात करेगी। गौरतलब है कि चेन्नई स्थित अन्ना यूनिवर्सिटी में 23 दिसम्बर, 2024 को इंजीनियरिंग की एक 19 वर्षीय छात्रा से एक ठेले वाले ने रेप किया।

अपने दोस्त से मिलने गई एक लड़की का उसने पहले वीडियो बनाया और फिर उसके दोस्त को मारपीट कर भगा दिया। इसके बाद उसके साथ रेप किया और फोन नम्बर लेकर कहा कि जब जहाँ बुलाए वहाँ वह लड़की आ जाए। लड़की ने जब इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करवाई तब यह मामला खुला।

घटना का आरोपित ज्ञानशेखरन गिरफ्तार कर लिया गया है। 37 वर्षीय ज्ञानशेखरन कैम्पस में ही बिरयानी बेचता है। भाजपा ने आरोप लगाया कि ज्ञानशेखरन सत्ताधारी DMK का पदाधिकारी है। उसकी तस्वीरें भी DMK के बड़े नेताओं के साथ मौजूद हैं।

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