
कुशीनगर में तेंदुए का रेस्क्यू: विशेषज्ञ टीम ने बचाई जान, वन विभाग की तैयारी पर उठे सवाल
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (बिहार) से भटककर कुशीनगर जिले के रामकोला थाना क्षेत्र स्थित पगार मिश्रौली गांव पहुंचे तेंदुए को गोरखपुर चिड़ियाघर की विशेषज्ञ टीम ने सुरक्षित रेस्क्यू किया। तेंदुआ शिकारियों द्वारा लगाए गए जाल में फंसा हुआ था। हालांकि, इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वन विभाग की लापरवाही और तैयारी की कमी सामने आई। घटना स्थल के आसपास मौजूद ग्रामीणों ने तेंदुए को फंसे देखा और बिना घबराए तुरंत प्रशासन को सूचना दी। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और ग्रामीणों को तेंदुए से दूर रहने की सलाह दी।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से भटक कर आया तेंदुआ
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुआ बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से भटककर खड्डा और छोटी गंडक नदी के किनारे होते हुए कुशीनगर पहुंचा। हालांकि, राहत की बात यह रही कि उसने किसी व्यक्ति या मवेशी पर हमला नहीं किया। नहीं तो बड़ी घटना हो सकती थी।
चार घंटे देर से पहुंची वन विभाग की टीम
घटना सुबह तब सामने आई, जब ग्रामीणों ने खेतों की ओर जाते समय छोटी गंडक नदी के पास तेंदुए को जाल में फंसे देखा। उन्होंने तुरंत पुलिस और वन विभाग को सूचित किया। रामकोला थाने की खोटही चौकी की पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई और ग्रामीणों को तेंदुए के आसपास से हटाया।
वन विभाग की टीम सूचना के चार घंटे बाद मौके पर पहुंची। कसया रेंजर जयंत सिंह राणा और हाटा रेंजर अमित श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ पहुंचे, लेकिन उनके पास न तो रेस्क्यू के लिए उपकरण थे और न ही तेंदुए को सुरक्षित निकालने का कोई प्लान। विभागीय अधिकारियों के पास पिंजरा और ट्रैंकुलाइज़र गन जैसे जरूरी साधन नहीं थे।
डीएफओ ने बुलाए गोरखपुर के विशेषज्ञ, फिर पकड़े तेंदुए
जिला वनाधिकारी (डीएफओ) वरुण कुमार सिंह मौके पर पांच घंटे बाद पहुंचे और ड्रोन की मदद से तेंदुए की स्थिति का आकलन किया। विभाग की सीमित तैयारियों को देखते हुए गोरखपुर चिड़ियाघर से विशेषज्ञों को बुलाया गया। शाम करीब 6 बजे गोरखपुर चिड़ियाघर से 6 सदस्यीय टीम घटनास्थल पर पहुंची। इस टीम में बायोलॉजिस्ट डॉ. योगेश प्रताप सिंह और अक्षय बजाज के साथ चार अन्य विशेषज्ञ शामिल थे। टीम ने ट्रैंकुलाइज़र गन की मदद से तेंदुए को बेहोश किया। इसके बाद उसे पिंजरे में बंद कर प्राथमिक उपचार के लिए गोरखपुर चिड़ियाघर भेजा।
डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने कहा, “तेंदुए की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता थी। उसे मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा। आगे की कार्यवाही उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार की जाएगी।”
वन विभाग की तैयारियों पर सवाल
इस घटना ने वन विभाग की आपातकालीन तैयारियों की पोल खोल दी। न तो विभाग के पास प्रशिक्षित स्टाफ था और न ही रेस्क्यू के लिए उपकरण। डीएफओ ने खुद स्वीकार किया कि विभाग को गोरखपुर की विशेषज्ञ टीम की मदद लेनी पड़ी।