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कुशीनगर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की खुली पोल: बर्खास्त शिक्षक फिर से फर्जी तरीके से नौकरी में बहाल!

कुशीनगर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की खुली पोल: बर्खास्त शिक्षक फिर से फर्जी तरीके से नौकरी में बहाल!

blank निदेशक के बर्खास्तगी के बाद कूटरचित दस्तावेज के सहारे बने है शिक्षक सभी बर्खास्त शिक्षक एरियर के रूप मे निकाल चुके है लाखो लाख रुपये लोकायुक्त न्यूज ब्यूरो,कुशीनगर। जांच में बीएड की डिग्री फर्जी पाये जाने के बाद बर्खास्त हुए जिले के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक आज भी न सिर्फ फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे बल्कि प्रति माह लाखो रुपये वेतन और लाखो-लाख रुपये एरियर का भुगतान लेकर सरकार को चूना लगा रहे है। यह सब कुछ विभाग के जिम्मेदारो की मिलीभगत से हो रहा है। जिले में ऐसे आधा दर्जन फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक है जिनकी पांच वर्ष पूर्व या उससे पहले सेवा समाप्त कर दी गयी है लेकिन कुटरचित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार कर आज भी नौकरी मे बने हुए है। लखनऊ की एक संस्था इन शिक्षको के खिलाफ जनहित मे याचिका दाखिल करने की तैयारी में है। बता दे कि तकरीबन पांच वर्ष पूर्व कुशीनगर जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले करीब आधा दर्जन शिक्षकों के खिलाफ हुई बर्खास्तगी की कार्रवाई बावजूद वह सभी शिक्षक कूटरचित दस्तावेज तैयार कर नौकरी कर रहे है। यहां बताना जरूरी है कि तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता गठित टीम ने गहन जांच कर जिले आधा दर्जन शिक्षको की फर्जी डिग्री का खुलासा किया था जिसके बाद निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने इन शिक्षको की सुनवाई करने के बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई की थी। सूत्र बताते है कि बाद में इन शिक्षको ने कुटरचित दस्तावेज तैयार कर ऊपर से लेकर नीचे तक के जिम्मेदारो को न सिर्फ मैनेज करके नौकरी कर रहे है बल्कि बर्खास्तगी के बाद ब्रेक हुई नौकरी को कंटीन्यूअस दिखाकर किसी ने बीस लाख तो किसी ने तीस लाख रुपये एरियर निकालकर सरकार को चूना भी लगा चुके है। शासन के निर्देश पर हुई थी जांच कहना ना होगा कि वर्ष 2020 में शासन ने जनपद में संचालित एडेड माध्यमिक विद्यालयों मे तैनात शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करने का निर्देश दिया था। बताया जाता है कि उप्र शासन के निर्देश पर तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गयी। विभागीय सूत्रो के मुताबिक जांच समिति ने शिक्षक व शिक्षिकाओं के प्रमाण पत्रों का बोर्ड व विश्वविद्यालय स्तर पर गहनता से जांच कराई। इसमें जनपद के अलग-अलग इंटरमीडिएट कालेज के आधा दर्जन शिक्षको की बीएड की डिग्री फर्जी पाया गया। डीएम के निर्देश पर तत्कालीन डीआईओएस ने फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का वेतन रोककर संबंधित प्रबंधक के माध्यम से इन शिक्षको के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया और विद्यालय के प्रबंधकों द्वारा उपलब्ध कराये गये सेवा समाप्ति के प्रस्ताव को अनुमोदित कर शासन को भेज दिया था। सुनवाई के बाद शिक्षा निदेशक ने किया बर्खास्त गठित टीम की जांच रिपोर्ट, तत्कालीन जिलाधिकारी की संस्तुति पत्र व तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुमोदन के बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पाण्डेय ने फर्जी शिक्षको की सुनवाई की, तत्पश्चात इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 16, 10 के तहत फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षको की तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दिया है। सूत्रो का कहना है कि बाद में इन शिक्षको ने ऊपर से लेकर नीचे तक सभी जिम्मेदारो को मैनेज करके कुटरचित अभिलेख तैयार कर न सिर्फ अपनी बहाली करा लिए बल्कि बीच मे ब्रेक हुई नौकरी को कंटीन्यूअस कर लाखो लाख रुपये एरियर का भुगतान भी ले लिया है। इस खेल मे कुशीनगर के विभाग-ए-जिम्मेदार व लिपिक की मिलीभगत भी बतायी जाती है। इनमे से एक शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके है और उच्च न्यायालय ने इनका पेशंन रोक दिया है। सूत्रो की माने तो भ्रष्टाचार पर कार्य करने वाली लखनऊ की एक संस्था इस मामले को लेकर जनहित में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है। नोट - अगले अंक में पढे फर्जी शिक्षको के खुलासा के साथ विस्तृत खबर....!
  Click to listen highlighted text! कुशीनगर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की खुली पोल: बर्खास्त शिक्षक फिर से फर्जी तरीके से नौकरी में बहाल! कुशीनगर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की खुली पोल: बर्खास्त शिक्षक फिर से फर्जी तरीके से नौकरी में बहाल! निदेशक के बर्खास्तगी के बाद कूटरचित दस्तावेज के सहारे बने है शिक्षक सभी बर्खास्त शिक्षक एरियर के रूप मे निकाल चुके है लाखो लाख रुपये लोकायुक्त न्यूज ब्यूरो,कुशीनगर। जांच में बीएड की डिग्री फर्जी पाये जाने के बाद बर्खास्त हुए जिले के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक आज भी न सिर्फ फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे बल्कि प्रति माह लाखो रुपये वेतन और लाखो-लाख रुपये एरियर का भुगतान लेकर सरकार को चूना लगा रहे है। यह सब कुछ विभाग के जिम्मेदारो की मिलीभगत से हो रहा है। जिले में ऐसे आधा दर्जन फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक है जिनकी पांच वर्ष पूर्व या उससे पहले सेवा समाप्त कर दी गयी है लेकिन कुटरचित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार कर आज भी नौकरी मे बने हुए है। लखनऊ की एक संस्था इन शिक्षको के खिलाफ जनहित मे याचिका दाखिल करने की तैयारी में है। बता दे कि तकरीबन पांच वर्ष पूर्व कुशीनगर जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले करीब आधा दर्जन शिक्षकों के खिलाफ हुई बर्खास्तगी की कार्रवाई बावजूद वह सभी शिक्षक कूटरचित दस्तावेज तैयार कर नौकरी कर रहे है। यहां बताना जरूरी है कि तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता गठित टीम ने गहन जांच कर जिले आधा दर्जन शिक्षको की फर्जी डिग्री का खुलासा किया था जिसके बाद निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने इन शिक्षको की सुनवाई करने के बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई की थी। सूत्र बताते है कि बाद में इन शिक्षको ने कुटरचित दस्तावेज तैयार कर ऊपर से लेकर नीचे तक के जिम्मेदारो को न सिर्फ मैनेज करके नौकरी कर रहे है बल्कि बर्खास्तगी के बाद ब्रेक हुई नौकरी को कंटीन्यूअस दिखाकर किसी ने बीस लाख तो किसी ने तीस लाख रुपये एरियर निकालकर सरकार को चूना भी लगा चुके है। शासन के निर्देश पर हुई थी जांच कहना ना होगा कि वर्ष 2020 में शासन ने जनपद में संचालित एडेड माध्यमिक विद्यालयों मे तैनात शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करने का निर्देश दिया था। बताया जाता है कि उप्र शासन के निर्देश पर तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गयी। विभागीय सूत्रो के मुताबिक जांच समिति ने शिक्षक व शिक्षिकाओं के प्रमाण पत्रों का बोर्ड व विश्वविद्यालय स्तर पर गहनता से जांच कराई। इसमें जनपद के अलग-अलग इंटरमीडिएट कालेज के आधा दर्जन शिक्षको की बीएड की डिग्री फर्जी पाया गया। डीएम के निर्देश पर तत्कालीन डीआईओएस ने फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का वेतन रोककर संबंधित प्रबंधक के माध्यम से इन शिक्षको के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया और विद्यालय के प्रबंधकों द्वारा उपलब्ध कराये गये सेवा समाप्ति के प्रस्ताव को अनुमोदित कर शासन को भेज दिया था। सुनवाई के बाद शिक्षा निदेशक ने किया बर्खास्त गठित टीम की जांच रिपोर्ट, तत्कालीन जिलाधिकारी की संस्तुति पत्र व तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुमोदन के बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पाण्डेय ने फर्जी शिक्षको की सुनवाई की, तत्पश्चात इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 16, 10 के तहत फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षको की तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दिया है। सूत्रो का कहना है कि बाद में इन शिक्षको ने ऊपर से लेकर नीचे तक सभी जिम्मेदारो को मैनेज करके कुटरचित अभिलेख तैयार कर न सिर्फ अपनी बहाली करा लिए बल्कि बीच मे ब्रेक हुई नौकरी को कंटीन्यूअस कर लाखो लाख रुपये एरियर का भुगतान भी ले लिया है। इस खेल मे कुशीनगर के विभाग-ए-जिम्मेदार व लिपिक की मिलीभगत भी बतायी जाती है। इनमे से एक शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके है और उच्च न्यायालय ने इनका पेशंन रोक दिया है। सूत्रो की माने तो भ्रष्टाचार पर कार्य करने वाली लखनऊ की एक संस्था इस मामले को लेकर जनहित में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है। नोट - अगले अंक में पढे फर्जी शिक्षको के खुलासा के साथ विस्तृत खबर....!

कुशीनगर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की खुली पोल: बर्खास्त शिक्षक फिर से फर्जी तरीके से नौकरी में बहाल!

कुशीनगर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की खुली पोल: बर्खास्त शिक्षक फिर से फर्जी तरीके से नौकरी में बहाल!

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निदेशक के बर्खास्तगी के बाद कूटरचित दस्तावेज के सहारे बने है शिक्षक

सभी बर्खास्त शिक्षक एरियर के रूप मे निकाल चुके है लाखो लाख रुपये

लोकायुक्त न्यूज

ब्यूरो,कुशीनगर। जांच में बीएड की डिग्री फर्जी पाये जाने के बाद बर्खास्त हुए जिले के माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक आज भी न सिर्फ फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे बल्कि प्रति माह लाखो रुपये वेतन और लाखो-लाख रुपये एरियर का भुगतान लेकर सरकार को चूना लगा रहे है। यह सब कुछ विभाग के जिम्मेदारो की मिलीभगत से हो रहा है। जिले में ऐसे आधा दर्जन फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षक है जिनकी पांच वर्ष पूर्व या उससे पहले सेवा समाप्त कर दी गयी है लेकिन कुटरचित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार कर आज भी नौकरी मे बने हुए है। लखनऊ की एक संस्था इन शिक्षको के खिलाफ जनहित मे याचिका दाखिल करने की तैयारी में है। बता दे कि तकरीबन पांच वर्ष पूर्व कुशीनगर जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले करीब आधा दर्जन शिक्षकों के खिलाफ हुई बर्खास्तगी की कार्रवाई बावजूद वह सभी शिक्षक कूटरचित दस्तावेज तैयार कर नौकरी कर रहे है। यहां बताना जरूरी है कि तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता गठित टीम ने गहन जांच कर जिले आधा दर्जन शिक्षको की फर्जी डिग्री का खुलासा किया था जिसके बाद निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने इन शिक्षको की सुनवाई करने के बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई की थी। सूत्र बताते है कि बाद में इन शिक्षको ने कुटरचित दस्तावेज तैयार कर ऊपर से लेकर नीचे तक के जिम्मेदारो को न सिर्फ मैनेज करके नौकरी कर रहे है बल्कि बर्खास्तगी के बाद ब्रेक हुई नौकरी को कंटीन्यूअस दिखाकर किसी ने बीस लाख तो किसी ने तीस लाख रुपये एरियर निकालकर सरकार को चूना भी लगा चुके है।

शासन के निर्देश पर हुई थी जांच

कहना ना होगा कि वर्ष 2020 में शासन ने जनपद में संचालित एडेड माध्यमिक विद्यालयों मे तैनात शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करने का निर्देश दिया था। बताया जाता है कि उप्र शासन के निर्देश पर तत्कालीन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गयी। विभागीय सूत्रो के मुताबिक जांच समिति ने शिक्षक व शिक्षिकाओं के प्रमाण पत्रों का बोर्ड व विश्वविद्यालय स्तर पर गहनता से जांच कराई। इसमें जनपद के अलग-अलग इंटरमीडिएट कालेज के आधा दर्जन शिक्षको की बीएड की डिग्री फर्जी पाया गया। डीएम के निर्देश पर तत्कालीन डीआईओएस ने फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का वेतन रोककर संबंधित प्रबंधक के माध्यम से इन शिक्षको के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया और विद्यालय के प्रबंधकों द्वारा उपलब्ध कराये गये सेवा समाप्ति के प्रस्ताव को अनुमोदित कर शासन को भेज दिया था।

सुनवाई के बाद शिक्षा निदेशक ने किया बर्खास्त

गठित टीम की जांच रिपोर्ट, तत्कालीन जिलाधिकारी की संस्तुति पत्र व तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुमोदन के बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पाण्डेय ने फर्जी शिक्षको की सुनवाई की, तत्पश्चात इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 16, 10 के तहत फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षको की तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दिया है। सूत्रो का कहना है कि बाद में इन शिक्षको ने ऊपर से लेकर नीचे तक सभी जिम्मेदारो को मैनेज करके कुटरचित अभिलेख तैयार कर न सिर्फ अपनी बहाली करा लिए बल्कि बीच मे ब्रेक हुई नौकरी को कंटीन्यूअस कर लाखो लाख रुपये एरियर का भुगतान भी ले लिया है। इस खेल मे कुशीनगर के विभाग-ए-जिम्मेदार व लिपिक की मिलीभगत भी बतायी जाती है। इनमे से एक शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके है और उच्च न्यायालय ने इनका पेशंन रोक दिया है। सूत्रो की माने तो भ्रष्टाचार पर कार्य करने वाली लखनऊ की एक संस्था इस मामले को लेकर जनहित में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है।
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