
कुशीनगर:एएनएम सेंटर बना खंडहर, स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित, जिम्मेदार मौन
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। जनपद के नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र के ग्राम देवगांव स्थित मातृ शिशु कल्याण केंद्र (एएनएम सेंटर) रखरखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील होने की कगार पर पहुंच चुका है। यह सेंटर अब चारा घर बन चुका है, जिससे आसपास के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों की कई शिकायतों के बावजूद विभागीय अधिकारियों की उदासीनता जारी है।
स्थानीय निवासियों की समस्या
इस क्षेत्र के अमवा टोला, मल्ल टोला, तिवारी टोला, कुशवाहा टोला, देवगांव, सेखुई समेत अन्य टोलों के शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को आवश्यक चिकित्सा सहायता के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नेबुआ नौरंगिया, पडरौना या रामकोला जाना पड़ता है। इससे समय और संसाधनों की बर्बादी के साथ-साथ कई बार गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
भवन की दुर्दशा
गांव के स्थानीय निवासी अरविंद राजभर, नन्दलाल, सुमंत, खुबलाल, जावेद, किशुन राजू आदि के अनुसार, वर्ष 1995 में एएनएम सेंटर का निर्माण हुआ था और लगभग दो दशकों तक यहां प्रसव व टीकाकरण की सुविधा मिलती रही। 2015 में चहारदीवारी गिरने के बाद से यह भवन धीरे-धीरे जर्जर होने लगा और अब गिरने की कगार पर पहुंच चुका है। भवन की बदहाली के कारण यहां तैनात एएनएम राधिका अब सेंटर में नहीं रहतीं, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। वर्तमान में टीकाकरण की सुविधा पंचायत भवन में दी जा रही है।
गंभीर स्थिति में मरीजों को परेशानी
स्थानीय महिलाओं ललिता, मीरा, रूबी, नर्वदा, विगनी, किरन, आशा, प्रभावती, अनीता, रंभा आदि ने बताया कि रात के समय अगर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो परिजनों को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर भवन की मरम्मत हो जाती तो यहां तैनात एएनएम रात्रि में विश्राम कर सकती थीं और स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधा मिल सकती थी।
अधिकारियों की उदासीनता
ग्राम प्रधान संदीप कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने इस समस्या को लेकर कई बार सीएमओ को लिखित और मौखिक शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं, सीएचसी प्रभारी डॉ. रजनीश श्रीवास्तव का कहना है कि देवगांव एएनएम सेंटर की बदहाली की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है।
सरकार और प्रशासन से गुहार
ग्रामीणों ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से अपील की है कि जल्द से जल्द इस सेंटर की मरम्मत कराई जाए, ताकि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं पुनः सुचारू रूप से शुरू हो सकें। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीण आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।