
सरकारी डॉक्टरों को प्राइवेट प्रेक्टिस करने पर कुशीनगर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी सहित अन्य जिलों के 16 डॉक्टरों पर गिरी गाज
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों द्वारा निजी प्रैक्टिस करने पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सख्त नाराजगी जताते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को दोषी डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं है। सरकार उन्हें नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस (एनपीए) के रूप में हर महीने हजारों रुपये देती है। इसके बावजूद, कई डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में लिप्त पाए गए हैं। इस पर कार्रवाई करते हुए प्रदेश के 17 डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाया गया है।
इन जिलों के डॉक्टरों पर हुई कार्रवाई
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि बलरामपुर जिले के 10, हाथरस के 6 और कुशीनगर के 1 चिकित्साधिकारी की निजी प्रैक्टिस में संलिप्तता पाई गई है। इनके खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
बलरामपुर में दोषी पाए गए डॉक्टर
- डॉ. हीरा लाल
- डॉ. रमेश कुमार पांडेय
- बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार सिंह
- डॉ. पंकज वर्मा
- डॉ. उमेश कुशवाहा
- संयुक्त जिला चिकित्साधिकारी जनपद बलरामपुर के डॉ. नितिन चौधरी
- एमआईके जिला महिला चिकित्सालय के डॉ. पीके मिश्रा
- डॉ. महेश कुमार वर्मा
- डॉ. नगमा खान
- कौव्वापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. जय सिंह गौतम
हाथरस में दोषी पाए गए डॉक्टर
- डॉ. रिचा कालरा (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, चंदपा)
- डॉ. सुनील कुमार वर्मा (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, कुरसण्डा)
- डॉ. मीनाक्षी मोहन (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, महौ)
- डॉ. बृज नारायण अवस्थी (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सिकन्दराराऊ)
- डॉ. मृदुल जाजू (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सादाबाद)
- डॉ. दानवीर सिंह (प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सादाबाद)
कुशीनगर में दोषी पाए गए डॉक्टर
- अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसएन त्रिपाठी
डिप्टी सीएम ने साफ किया है कि सरकारी सेवा में रहते हुए डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी पाए गए डॉक्टरों के खिलाफ जल्द से जल्द विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार इस मामले में कड़े कदम उठाने के मूड में है ताकि भविष्य में कोई भी डॉक्टर सरकारी सेवा के दौरान निजी प्रैक्टिस करने की हिम्मत न कर सके।