ISRO ने रचा इतिहास: स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 31 दिसंबर की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की प्रक्रिया को अंजाम देना है।
भारत की अंतरिक्ष क्षमता में बड़ा कदम
इसरो के अधिकारियों के अनुसार, इस मिशन के तहत दो उपग्रहों, एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02, को 476 किलोमीटर ऊंचाई वाली वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया। ये उपग्रह पहले एक-दूसरे से 5 किलोमीटर की दूरी पर रहेंगे। इसके बाद वैज्ञानिक उन्हें धीरे-धीरे करीब लाकर केवल 3 मीटर की दूरी पर लाएंगे और फिर डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देंगे। डॉकिंग के बाद, दोनों उपग्रहों को अलग करने की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एंट्री
अगर इस मिशन को पूरी तरह से सफलता मिलती है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
भविष्य के मिशनों की नींव
इसरो ने कहा कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। यह तकनीक भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों, भारतीय स्पेस स्टेशन और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अलावा, यह चंद्रयान-4 और चांद पर भारतीय यात्री भेजने जैसी परियोजनाओं को भी नई दिशा प्रदान करेगा।
क्या है स्पैडेक्स मिशन की खासियत?
दो उपग्रहों की डॉकिंग प्रक्रिया: यह तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और उनकी मरम्मत के लिए अहम है।कक्षीय संचालन: पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर डॉकिंग और अनडॉकिंग का परीक्षण किया जाएगा। प्रेरणादायक कदम: भारत की यह सफलता वैश्विक अंतरिक्ष मिशनों में देश की नई पहचान बनाएगी।
वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा
इस मिशन के सफल होने पर इसरो ने इसे भविष्य की बड़ी परियोजनाओं की ओर पहला कदम बताया। स्पैडेक्स भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाने में मदद करेगा।
ISRO की यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का विषय है और आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष में भारत की शक्ति को और मजबूत करेगी।