Welcome to Lokayukt News   Click to listen highlighted text! Welcome to Lokayukt News
Latest Story
blankहोटल में युवक पर कुर्सी से जानलेवा हमला-होटल मालिक ने थाने में की शिकायत,इंस्पेक्टर ने धमकाया और होटल बंद कराने की दे दी चेतावनीblankप्रयागराज-महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौतों पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राजनीति पर जताई दुःख व नाराजगी और कहा..blankकुरान जलाने वाले जिस व्यक्ति की कर दी गई हत्या, उसे कुरान जलाकर ही दी श्रद्धांजलि: तुर्की दूतावास के सामने बोले डेनमार्क के नेता- सलवान मोमिका के बलिदान को नमनblankकुशीनगर: ₹5,000 रिश्वत लेते लेखपाल का वीडियो वायरलblankकुशीनगर:सरकारी इंटर कॉलेज के शिक्षकों की अवैध कोचिंग का खुलासाblankकुशीनगर: तीन बच्चों की मां का पोर्न वीडियो विदेशी साइटों पर वायरल, मचा हड़कंप blankकुशीनगर:नेबुआ नौरंगिया सीएचसी में लापरवाही का खुलासा,पैसे नहीं देने पर प्रसूता को रोका, ऑडियो-वीडियो वायरलblankकुशीनगर:पडरौना नगर पालिका का कारनामा! जांच कमेटी बनते ही आनन-फानन में अधूरे कार्य शुरू, घोटाले पर लीपापोती की कोशिशblankअखिल भारतीय मुस्लिम पसमांदा मंच ने पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में अपने पदाधिकारी किए घोषितblankबसंत पंचमी के अवसर पर प्रयागराज में जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने किया पवित्र अमृत स्नान, वीडियो में एक झलक
ISRO ने रचा इतिहास: स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग ISRO ने रचा इतिहास: स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंगblank भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 31 दिसंबर की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए 'स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट' (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की प्रक्रिया को अंजाम देना है। भारत की अंतरिक्ष क्षमता में बड़ा कदम इसरो के अधिकारियों के अनुसार, इस मिशन के तहत दो उपग्रहों, एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02, को 476 किलोमीटर ऊंचाई वाली वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया। ये उपग्रह पहले एक-दूसरे से 5 किलोमीटर की दूरी पर रहेंगे। इसके बाद वैज्ञानिक उन्हें धीरे-धीरे करीब लाकर केवल 3 मीटर की दूरी पर लाएंगे और फिर डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देंगे। डॉकिंग के बाद, दोनों उपग्रहों को अलग करने की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एंट्री अगर इस मिशन को पूरी तरह से सफलता मिलती है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। भविष्य के मिशनों की नींव इसरो ने कहा कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। यह तकनीक भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों, भारतीय स्पेस स्टेशन और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अलावा, यह चंद्रयान-4 और चांद पर भारतीय यात्री भेजने जैसी परियोजनाओं को भी नई दिशा प्रदान करेगा। क्या है स्पैडेक्स मिशन की खासियत? दो उपग्रहों की डॉकिंग प्रक्रिया: यह तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और उनकी मरम्मत के लिए अहम है।कक्षीय संचालन: पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर डॉकिंग और अनडॉकिंग का परीक्षण किया जाएगा। प्रेरणादायक कदम: भारत की यह सफलता वैश्विक अंतरिक्ष मिशनों में देश की नई पहचान बनाएगी। वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा इस मिशन के सफल होने पर इसरो ने इसे भविष्य की बड़ी परियोजनाओं की ओर पहला कदम बताया। स्पैडेक्स भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाने में मदद करेगा। ISRO की यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का विषय है और आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष में भारत की शक्ति को और मजबूत करेगी।     Click to listen highlighted text! ISRO ने रचा इतिहास: स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग ISRO ने रचा इतिहास: स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 31 दिसंबर की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की प्रक्रिया को अंजाम देना है। भारत की अंतरिक्ष क्षमता में बड़ा कदम इसरो के अधिकारियों के अनुसार, इस मिशन के तहत दो उपग्रहों, एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02, को 476 किलोमीटर ऊंचाई वाली वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया। ये उपग्रह पहले एक-दूसरे से 5 किलोमीटर की दूरी पर रहेंगे। इसके बाद वैज्ञानिक उन्हें धीरे-धीरे करीब लाकर केवल 3 मीटर की दूरी पर लाएंगे और फिर डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देंगे। डॉकिंग के बाद, दोनों उपग्रहों को अलग करने की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एंट्री अगर इस मिशन को पूरी तरह से सफलता मिलती है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। भविष्य के मिशनों की नींव इसरो ने कहा कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। यह तकनीक भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों, भारतीय स्पेस स्टेशन और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अलावा, यह चंद्रयान-4 और चांद पर भारतीय यात्री भेजने जैसी परियोजनाओं को भी नई दिशा प्रदान करेगा। क्या है स्पैडेक्स मिशन की खासियत? दो उपग्रहों की डॉकिंग प्रक्रिया: यह तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और उनकी मरम्मत के लिए अहम है।कक्षीय संचालन: पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर डॉकिंग और अनडॉकिंग का परीक्षण किया जाएगा। प्रेरणादायक कदम: भारत की यह सफलता वैश्विक अंतरिक्ष मिशनों में देश की नई पहचान बनाएगी। वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा इस मिशन के सफल होने पर इसरो ने इसे भविष्य की बड़ी परियोजनाओं की ओर पहला कदम बताया। स्पैडेक्स भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाने में मदद करेगा। ISRO की यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का विषय है और आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष में भारत की शक्ति को और मजबूत करेगी।  

ISRO ने रचा इतिहास: स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग

ISRO ने रचा इतिहास: स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंगblank

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 31 दिसंबर की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की प्रक्रिया को अंजाम देना है।

भारत की अंतरिक्ष क्षमता में बड़ा कदम

इसरो के अधिकारियों के अनुसार, इस मिशन के तहत दो उपग्रहों, एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02, को 476 किलोमीटर ऊंचाई वाली वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया। ये उपग्रह पहले एक-दूसरे से 5 किलोमीटर की दूरी पर रहेंगे। इसके बाद वैज्ञानिक उन्हें धीरे-धीरे करीब लाकर केवल 3 मीटर की दूरी पर लाएंगे और फिर डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देंगे। डॉकिंग के बाद, दोनों उपग्रहों को अलग करने की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एंट्री

अगर इस मिशन को पूरी तरह से सफलता मिलती है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।

भविष्य के मिशनों की नींव

इसरो ने कहा कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। यह तकनीक भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों, भारतीय स्पेस स्टेशन और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अलावा, यह चंद्रयान-4 और चांद पर भारतीय यात्री भेजने जैसी परियोजनाओं को भी नई दिशा प्रदान करेगा।

क्या है स्पैडेक्स मिशन की खासियत?

दो उपग्रहों की डॉकिंग प्रक्रिया: यह तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और उनकी मरम्मत के लिए अहम है।कक्षीय संचालन: पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर डॉकिंग और अनडॉकिंग का परीक्षण किया जाएगा। प्रेरणादायक कदम: भारत की यह सफलता वैश्विक अंतरिक्ष मिशनों में देश की नई पहचान बनाएगी।

वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा

इस मिशन के सफल होने पर इसरो ने इसे भविष्य की बड़ी परियोजनाओं की ओर पहला कदम बताया। स्पैडेक्स भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाने में मदद करेगा।

ISRO की यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का विषय है और आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष में भारत की शक्ति को और मजबूत करेगी।

 

Related Posts

कुरान जलाने वाले जिस व्यक्ति की कर दी गई हत्या, उसे कुरान जलाकर ही दी श्रद्धांजलि: तुर्की दूतावास के सामने बोले डेनमार्क के नेता- सलवान मोमिका के बलिदान को नमन

डेनमार्क के एक दक्षिणपंथी नेता रास्मस पलुदन ने तुर्की दूतावास के सामने कुरान जलाकर प्रदर्शन किया है। उन्होंने स्वीडन में मारे गए ईसाई सलवान मोमिका की हत्या के प्रतिरोध में…

नीट यूजी (NEET UG) 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जल्द ही होगी शुरू, जानें कैसे करें आवेदन!

नीट यूजी (NEET UG) 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जल्द ही होगी शुरू, जानें कैसे करें आवेदन! लोकायुक्त न्यूज़ नीट यूजी (NEET UG) 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जल्द ही…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Click to listen highlighted text!