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ताजिया मिलान कार्यक्रम में गूंजे हुसैन के नारे, सभी समुदायों की रही सहभागिता

ताजिया मिलान कार्यक्रम में गूंजे हुसैन के नारे, सभी समुदायों की रही सहभागिता

blank धनौजी, फाजिलनगर क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ मोहर्रम का आयोजन प्रदीप कुमार/लोकायुक्त न्यूज फाजिलनगर,कुशीनगर। मोहर्रम के अवसर पर नगर फाजिलनगर क्षेत्र के धनौजी गांव में सोमवार को ताजिया मिलान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में धनौजी, गढ़िया, फाजिलनगर, कूचियां मठिया और आवारा गांव से ताजिया जुलूस शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान "या हुसैन" और "या हसन" के नारों से माहौल गमगीन और भावुक हो गया। मौलाना अकबर अंसारी ने मोहर्रम के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मोहर्रम इस्लामी हिजरी वर्ष का पहला महीना होता है, जिसे हजरत मोहम्मद ने ‘अल्लाह का महीना’ कहा है। उन्होंने कहा कि यह महीना इमाम हुसैन की कुर्बानी, अली असगर की मासूम तड़प और सब्र की मिसाल के रूप में जाना जाता है। मौलाना ने कहा कि अली असगर को आज भी लोग जरूरतमंदों की पुकार सुनने वाले फरिश्ते के रूप में मानते हैं। मोहर्रम का महीना रोजा रखने वालों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। इस कार्यक्रम में अफताब आलम, आलम गिर, नौशाद अंसारी, इरशाद अंसारी समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे। खास बात यह रही कि सभी धर्मों के लोगों ने एकजुट होकर इस आयोजन में भाग लिया और गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश की। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन भी मौके पर मुस्तैद रहा। पूरे कार्यक्रम का आयोजन शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ।
  Click to listen highlighted text! ताजिया मिलान कार्यक्रम में गूंजे हुसैन के नारे, सभी समुदायों की रही सहभागिता ताजिया मिलान कार्यक्रम में गूंजे हुसैन के नारे, सभी समुदायों की रही सहभागिता धनौजी, फाजिलनगर क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ मोहर्रम का आयोजन प्रदीप कुमार/लोकायुक्त न्यूज फाजिलनगर,कुशीनगर। मोहर्रम के अवसर पर नगर फाजिलनगर क्षेत्र के धनौजी गांव में सोमवार को ताजिया मिलान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में धनौजी, गढ़िया, फाजिलनगर, कूचियां मठिया और आवारा गांव से ताजिया जुलूस शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान या हुसैन और या हसन के नारों से माहौल गमगीन और भावुक हो गया। मौलाना अकबर अंसारी ने मोहर्रम के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मोहर्रम इस्लामी हिजरी वर्ष का पहला महीना होता है, जिसे हजरत मोहम्मद ने ‘अल्लाह का महीना’ कहा है। उन्होंने कहा कि यह महीना इमाम हुसैन की कुर्बानी, अली असगर की मासूम तड़प और सब्र की मिसाल के रूप में जाना जाता है। मौलाना ने कहा कि अली असगर को आज भी लोग जरूरतमंदों की पुकार सुनने वाले फरिश्ते के रूप में मानते हैं। मोहर्रम का महीना रोजा रखने वालों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। https://lokayuktnews.in/wp-content/uploads/2025/07/VID-20250707-WA0248.mp4 इस कार्यक्रम में अफताब आलम, आलम गिर, नौशाद अंसारी, इरशाद अंसारी समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे। खास बात यह रही कि सभी धर्मों के लोगों ने एकजुट होकर इस आयोजन में भाग लिया और गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश की। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन भी मौके पर मुस्तैद रहा। पूरे कार्यक्रम का आयोजन शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ।

ताजिया मिलान कार्यक्रम में गूंजे हुसैन के नारे, सभी समुदायों की रही सहभागिता

ताजिया मिलान कार्यक्रम में गूंजे हुसैन के नारे, सभी समुदायों की रही सहभागिता

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धनौजी, फाजिलनगर क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ मोहर्रम का आयोजन

प्रदीप कुमार/लोकायुक्त न्यूज

फाजिलनगर,कुशीनगर। मोहर्रम के अवसर पर नगर फाजिलनगर क्षेत्र के धनौजी गांव में सोमवार को ताजिया मिलान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में धनौजी, गढ़िया, फाजिलनगर, कूचियां मठिया और आवारा गांव से ताजिया जुलूस शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान “या हुसैन” और “या हसन” के नारों से माहौल गमगीन और भावुक हो गया। मौलाना अकबर अंसारी ने मोहर्रम के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मोहर्रम इस्लामी हिजरी वर्ष का पहला महीना होता है, जिसे हजरत मोहम्मद ने ‘अल्लाह का महीना’ कहा है। उन्होंने कहा कि यह महीना इमाम हुसैन की कुर्बानी, अली असगर की मासूम तड़प और सब्र की मिसाल के रूप में जाना जाता है। मौलाना ने कहा कि अली असगर को आज भी लोग जरूरतमंदों की पुकार सुनने वाले फरिश्ते के रूप में मानते हैं। मोहर्रम का महीना रोजा रखने वालों के लिए भी विशेष महत्व रखता है।

इस कार्यक्रम में अफताब आलम, आलम गिर, नौशाद अंसारी, इरशाद अंसारी समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे। खास बात यह रही कि सभी धर्मों के लोगों ने एकजुट होकर इस आयोजन में भाग लिया और गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश की। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन भी मौके पर मुस्तैद रहा। पूरे कार्यक्रम का आयोजन शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ।

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