
प्रवर्तन निदेशालय ने कॉन्ग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी समेत कई नेताओं पर चार्जशीट दाखिल की है. ये चार्जशीट नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग का है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी। चार्जशीट में कई अहम बातें कही गई है।
पहला आरोपित सोनिया गाँधी, दूसरा आरोपित राहुल गाँधी, तीसरा आरोपित सुमन दूबे, चौथा आरोपित सैम पित्रोदा और पाँचवाँ आरोपित यंग इंडिया को बनाया गया है।
दरअसल इस मामले में ईडी की जाँच, पटियाला हाउेस कोर्ट में 26.06.2014 के आदेश के आधार पर शुरू की गई है। 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और मेसर्स यंग इंडियन के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है इसलिए उनका नाम चार्जशीट में शामिल नहीं है।
ईडी की जाँच को आरोपियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हालाँकि दोनों अदालतों ने मुकदमे की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
आरोप के मुताबिक 2010 में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल), यंग इंडियन (वाईआई) के प्रमुख अधिकारियों और कॉन्ग्रेस के पदाधिकारियों ने मिल कर एजेएल की 2,000 करोड़ रुपए की संपत्तियाँ हड़पने के लिए 99% शेयर यंग इंडियन नामक एक निजी कंपनी को सिर्फ 50 लाख रुपये में स्थानांतरित कर दिए। यंग इंडिया में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के पास कुल मिलाकर 76% शेयर थे।
ईडी का कहना है कि आरोपियों ने एआईसीसी द्वारा एजेएल को दिए गए 90.21 करोड़ रुपए के बकाया कर्ज को 9.02 करोड़ इक्विटी शेयरों में बदल दिया और इन सभी शेयरों को यंग इंडियन के पक्ष में सिर्फ 50 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिया। इस तरह से एजेएल की हजारों करोड़ रुपए की संपत्तियों को सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ट्रांसफर कर दिया गया।
यंग इंडिया पर राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी का नियंत्रण था क्योंकि इनके पास 76% शेयर थे। बाकी 24% शेयर दिवंगत मोतीलाल वोरा और दिवंगत ऑस्कर फर्नांडीस के पास थे, जो सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के करीबी माने जाते थे।
चार्जशीट में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय ने 20.11.2023 को अंतरिम कुर्की आदेश जारी करके एजेएल की 752 करोड़ रुपए की संपत्तियाँ कुर्क की।
एजेंसी का कहना है कि पीएमएलए के तहत ईडी ने जो जाँच में पाया है वो 27.12.2017 के आयकर विभाग के मूल्यांकन की तरह ही है। आयकर विभाग ने इस मामले में 414 करोड़ रुपए टैक्स में धोखाधड़ी पाया था।
ईडी ने इस मामले में कमाई के रूप में 988 करोड़ रुपए और संपत्तियों की मौजूदा कीमत 5000 रुपए बताया है। ईडी के मुताबिक यंग इंडिया को 23.11.2010 को एसपीवी के रूप में शामिल किया गया था। एजेएल ने 2008 में अपनी प्रकाशन गतिविधि बंद कर दी । ईडी का कहना है कि आरोपियों ने यंग इंडिया के मालिकों सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को एजेएल की सैकड़ों करोड़ रुपए की संपत्तियों का नियंत्रण देने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी। वाईआई यानी यंग इंडिया ने एजेएल से एआईसीसी द्वारा उसे सौंपे गए 90.21 करोड़ रुपए के ऋण को चुकाने या इस ऋण को इक्विटी में बदलने के लिए कहा। एजेएल, वाईआई और एआईसीसी में एक ही लोगों की नियुक्ति हुई। जांच एजेंसी का कहना है कि इन तीनों संस्थाओं में पदों पर बैठे लोगों के एक ही समूह द्वारा प्रस्ताव पारित करके वाईआई को 50 लाख रुपए की मामूली राशि के लिए 90.21 करोड़ रुपए का ऋण सौंपा गया था। ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन को एजेएल के 9.021 करोड़ शेयर आवंटित किए गए।
यंग इंडिया कथित तौर पर एजेएल की होल्डिंग कंपनी बन गई, जिसके पास 99% शेयर थे और अन्य शेयरधारकों की इक्विटी घटकर 1% रह गई। जाँच में मिले कई दस्तावेज, अभियुक्तों और गवाहों के बयान की रिकॉर्डिंग के आधार पर ईडी ने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर आरोप पत्र तय किया गया।