
CBI ने पकड़ा NAAC रेटिंग घोटाले में रिश्वतखोरी का बड़ा खेल,कुलपति,चेयरमैन व निदेशक पर भी हुई कार्यवाही
NAAC के पदाधिकारी व सदस्य जिन पर निष्पक्षता की जिम्मेदारी थी, घोटाले में वो भी थे शामिल
CBI ने गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए देशभर में 20 स्थानों पर की छापेमारी
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद NAAC (National Assessment and Accreditation Council) भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों को उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता, बुनियादी ढांचे, शोध और अन्य मानकों के आधार पर रेटिंग प्रदान करता है। इन रेटिंग्स से संस्थानों की प्रतिष्ठा और छात्रों के लिए आकर्षण बढ़ता है। हालाँकि, इस घोटाले ने NAAC की प्रक्रिया और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रिश्वतखोरी का खेल : गुन्टूर स्थित कोनेरु लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (KLEF) ने कथित रूप से NAAC की A++ रेटिंग पाने के लिए रिश्वत दी। इस रेटिंग का उद्देश्य संस्थान की प्रतिष्ठा बढ़ाना और अधिक छात्र आकर्षित करना था।
NAAC निरीक्षण टीम के सदस्य, जिन पर निष्पक्षता की जिम्मेदारी थी, घोटाले में शामिल पाए गए।
CBI की कार्रवाई : CBI ने गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए देशभर में 20 स्थानों पर छापेमारी की।
जिन स्थानों पर छापेमारी हुई उनमें मुख्य रूप से चेन्नई/बेंगलुरु/विजयवाड़ा/
पलामू/संबलपुर/भोपाल/बिलासपुर/गौतम बुद्ध नगर/नई दिल्ली
CBI द्वारा जब्त सामान -:
₹37 लाख नकद/6 लैपटॉप/iPhone/16 Pro/सोने के सिक्के/आपत्तिजनक दस्तावेज
गिरफ्तार किए गए आरोपी:
KLEF के पदाधिकारी:
जी.पी. सारधी वर्मा: कुलपति, KLEF
कोनेरु राजा हरीन: उपाध्यक्ष, KLEF
ए.रामकृष्ण: निदेशक, KL यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
NAAC निरीक्षण समिति के सदस्य:
समरेन्द्र नाथ साहा: कुलपति, रामचंद्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी (NAAC चेयरमैन)
राजीव सिजारिया: प्रोफेसर, JNU (NAAC कोऑर्डिनेटर)
डी. गोपाल: डीन, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ
राजेश सिंह पवार: डीन, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी, भोपाल
मानस कुमार मिश्रा: निदेशक, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
गायत्री देवराजा: प्रोफेसर, दावणगेरे यूनिवर्सिटी
बुलु महाराणा : प्रोफेसर, संबलपुर यूनिवर्सिटी
CBI द्वारा दर्ज धाराएँ -:
CBI ने आरोपियों पर निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया-
भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएँ : धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, और कदाचार।
शिक्षा प्रणाली की साख पर असर : यह मामला उच्च शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को धक्का पहुंचाता है।
NAAC जैसी संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठने से छात्रों, अभिभावकों और समाज का भरोसा कमजोर हुआ है।
रेटिंग प्रक्रिया पर प्रश्न : NAAC रेटिंग प्रक्रिया में सुधार और निगरानी की आवश्यकता स्पष्ट हुई है।
रेटिंग की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
शिक्षण संस्थानों की नैतिकता : प्रतिष्ठा और लाभ के लिए शिक्षण संस्थानों का रिश्वत देना शैक्षिक नैतिकता का हनन है।
इस प्रकार की घटनाओं से ईमानदार संस्थानों को नुकसान होता है।
आगे की कार्रवाई को लेकर CBI ने संकेत दिए हैं कि -:
अन्य आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी जारी रहेगी। NAAC की रेटिंग प्रक्रिया की गहन समीक्षा की जाएगी। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।