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पूर्व सीएम की जमीन पर कब्जा का किया प्रयास, फर्जी तरीके से बनाये गए दस्तावेज पूर्व सीएम की जमीन पर कब्जा का किया प्रयास,फर्जी तरीके से बनाये गए दस्तावेज़  पूर्व सीएम दिग्विजय ने डीएम से फोन पर पूछा अपनी भूमि में फर्जीवाड़ा होने का प्रकरण लोकायुक्त न्यूज़ अंबेडकरनगर। जमीन के कथित सौदागरों ने पूर्व मुख्यमंत्री की खतौनी की जमीन को भी निशाना बना लिया,इसपर कब्जा का असफल प्रयास भी किया गया । इस प्रकरण से पूरे जिले के प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है । मामला जिले की आलापुर तहसील की मकहरी रियासत से जुड़ा है । जहां मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की माता अपर्णा सिंह के नाम से रामनगर मुहअर की 12 बिस्वा भूमि पर मालिकाना हक तूल पकड़ चुका है। पूर्व सीएम ने जिलाधिकारी अविनाश सिंह से सोमवार को फोन करके प्रकरण की जानकारी लिया। डीएम ने बताया कि उक्त मसले में अपर जिलाधिकारी डा.सदानंद गुप्त की अध्यक्षता में जलालपुर के उपजिलाधिकारी पवन जायसवाल एवं आलापुर के उप जिलाधिकारी सुभाष सिंह की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर गहनता से जांच करने का निर्देश दिया गया है। इस प्रकरण में मिलने वाले दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई होगी। वरासत के 38 वर्ष बाद पूर्व सीएम के नाम हुआ भूखंड : मकरही स्टेट के राजा महेश्वरी प्रसाद सिंह उर्फ लाल साहब, दिग्विजय सिंह के मौसा थे। उन्होंने वर्ष 1950 के दौरान रियासतों के विलय होते समय उक्त भूमि दिग्विजय सिंह की माता अर्पणा के नाम से कर दिया था। अर्पणा सिंह की मृत्यु वर्ष 1986 में होने के बाद उक्त भूमि उनके पुत्र दिग्विजय सिंह के नाम से दर्ज होनी थी। हालांकि 38 वर्ष के बाद गत वर्ष 2024 में 15 मई को यह भूमि दिग्विजय सिंह के नाम दर्ज हुई है। अभी तक पूर्व सीएम की ओर से उक्त भूमि की वरासत और आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया था। अटार्नी जनरल पर टिकी वैधता : मकरही के राजा लाल साहब से लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह तक अटार्नी जनरल बताए गए केवटला गांव के रामहरख सिंह को अधिकार पत्र देने की वैधता पर भूमि विवाद टिका है। अपर्णा सिंह की मृत्यु के चार वर्ष बाद वर्ष 1989 में सेवानिवृत्त एएसपी जियालाल यादव, राजबहादुर यादव एवं मंगली ने उक्त 12 बिस्वा भूमि का बैनामा अटार्नी जनरल रामहरख सिंह से कराया है। हालांकि यह बैनामा होने के दौरान उक्त भूमि की स्वामी अपर्णा सिंह का निधन हो चुका था। उनकी वरासत पूर्व सीएम एवं उनके बेटे दिग्विजय सिंह के नाम आलापुर तहसील में दर्ज नहीं थी। इसके बाद भी दिग्विजय सिंह द्वारा रामहरख सिंह को अर्टानी जनरल बनाए जाने का दावा किया गया। अधिकार पत्र दिखता संदिग्ध : टांडा रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा पंजीकृत अटार्नी जनरल का अधिकार पत्र ही सवालों में फंस गया है। उक्त अधिकार पत्र में दिग्विजय सिंह उर्फ दुर्गविजय सिंह पुत्र बलभद्र सिंह तथा निवास स्थान मकरही लिखते हुए प्रत्येक स्थान पर दिग्विजय सिंह के नाम से हस्ताक्षर बनाया गया है। वहीं वरासत में दर्ज हुई भूमि एवं मां अर्पणा सिंह संग पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का वास्तविक पता ग्राम राघवगढ़ विजयपुर, तहसील राधवगढ़ और जिला गुना मध्य प्रदेश है। उक्त मामले में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को उर्फ में नया नाम दुर्गविजय सिंह दिखाया जाना भी गंभीर सवाल पैदा करते हुए सरकारी मशीनरी की अनदेखी को उजागर करता है। तीन बार आए पूर्व सीएम : पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के तीन बार अंबेडकरनगर आने की जानकारी मिलती है। इस जनपद की मकरही स्टेट से उनका गहरा नाता रहा। इनकी मां अर्पणा सिंह व मकरही के राजा महेश्वरी प्रसाद सिंह की पत्नी विमला सिंह सगी बहन थीं। वर्तमान की मकरही स्टेट के मुख्तारे आम अधिवक्ता सुरेंद्र नाथ उपाध्याय बताते हैं कि दिग्विजय सिंह यहां तीन बार आए हैं। पहली बार राजा साहब की मृत्यु पर छह दिसंबर 1995 को आए तथा इसके उपरांत 20 जून 2005 में राजा साहब के पुत्र अमर सिंह की मृत्यु पर आए थे। इसके दो वर्ष बाद 19 नवंबर 2010 में रानी साहब विमला देवी को लेने आए थे। उन्हें यहां से लेकर दिल्ली जाने के बाद से वह कभी नहीं आए।   Click to listen highlighted text! पूर्व सीएम की जमीन पर कब्जा का किया प्रयास, फर्जी तरीके से बनाये गए दस्तावेज पूर्व सीएम की जमीन पर कब्जा का किया प्रयास,फर्जी तरीके से बनाये गए दस्तावेज़  पूर्व सीएम दिग्विजय ने डीएम से फोन पर पूछा अपनी भूमि में फर्जीवाड़ा होने का प्रकरण लोकायुक्त न्यूज़ अंबेडकरनगर। जमीन के कथित सौदागरों ने पूर्व मुख्यमंत्री की खतौनी की जमीन को भी निशाना बना लिया,इसपर कब्जा का असफल प्रयास भी किया गया । इस प्रकरण से पूरे जिले के प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है । मामला जिले की आलापुर तहसील की मकहरी रियासत से जुड़ा है । जहां मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की माता अपर्णा सिंह के नाम से रामनगर मुहअर की 12 बिस्वा भूमि पर मालिकाना हक तूल पकड़ चुका है। पूर्व सीएम ने जिलाधिकारी अविनाश सिंह से सोमवार को फोन करके प्रकरण की जानकारी लिया। डीएम ने बताया कि उक्त मसले में अपर जिलाधिकारी डा.सदानंद गुप्त की अध्यक्षता में जलालपुर के उपजिलाधिकारी पवन जायसवाल एवं आलापुर के उप जिलाधिकारी सुभाष सिंह की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर गहनता से जांच करने का निर्देश दिया गया है। इस प्रकरण में मिलने वाले दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई होगी। वरासत के 38 वर्ष बाद पूर्व सीएम के नाम हुआ भूखंड : मकरही स्टेट के राजा महेश्वरी प्रसाद सिंह उर्फ लाल साहब, दिग्विजय सिंह के मौसा थे। उन्होंने वर्ष 1950 के दौरान रियासतों के विलय होते समय उक्त भूमि दिग्विजय सिंह की माता अर्पणा के नाम से कर दिया था। अर्पणा सिंह की मृत्यु वर्ष 1986 में होने के बाद उक्त भूमि उनके पुत्र दिग्विजय सिंह के नाम से दर्ज होनी थी। हालांकि 38 वर्ष के बाद गत वर्ष 2024 में 15 मई को यह भूमि दिग्विजय सिंह के नाम दर्ज हुई है। अभी तक पूर्व सीएम की ओर से उक्त भूमि की वरासत और आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया था। अटार्नी जनरल पर टिकी वैधता : मकरही के राजा लाल साहब से लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह तक अटार्नी जनरल बताए गए केवटला गांव के रामहरख सिंह को अधिकार पत्र देने की वैधता पर भूमि विवाद टिका है। अपर्णा सिंह की मृत्यु के चार वर्ष बाद वर्ष 1989 में सेवानिवृत्त एएसपी जियालाल यादव, राजबहादुर यादव एवं मंगली ने उक्त 12 बिस्वा भूमि का बैनामा अटार्नी जनरल रामहरख सिंह से कराया है। हालांकि यह बैनामा होने के दौरान उक्त भूमि की स्वामी अपर्णा सिंह का निधन हो चुका था। उनकी वरासत पूर्व सीएम एवं उनके बेटे दिग्विजय सिंह के नाम आलापुर तहसील में दर्ज नहीं थी। इसके बाद भी दिग्विजय सिंह द्वारा रामहरख सिंह को अर्टानी जनरल बनाए जाने का दावा किया गया। अधिकार पत्र दिखता संदिग्ध : टांडा रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा पंजीकृत अटार्नी जनरल का अधिकार पत्र ही सवालों में फंस गया है। उक्त अधिकार पत्र में दिग्विजय सिंह उर्फ दुर्गविजय सिंह पुत्र बलभद्र सिंह तथा निवास स्थान मकरही लिखते हुए प्रत्येक स्थान पर दिग्विजय सिंह के नाम से हस्ताक्षर बनाया गया है। वहीं वरासत में दर्ज हुई भूमि एवं मां अर्पणा सिंह संग पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का वास्तविक पता ग्राम राघवगढ़ विजयपुर, तहसील राधवगढ़ और जिला गुना मध्य प्रदेश है। उक्त मामले में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को उर्फ में नया नाम दुर्गविजय सिंह दिखाया जाना भी गंभीर सवाल पैदा करते हुए सरकारी मशीनरी की अनदेखी को उजागर करता है। तीन बार आए पूर्व सीएम : पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के तीन बार अंबेडकरनगर आने की जानकारी मिलती है। इस जनपद की मकरही स्टेट से उनका गहरा नाता रहा। इनकी मां अर्पणा सिंह व मकरही के राजा महेश्वरी प्रसाद सिंह की पत्नी विमला सिंह सगी बहन थीं। वर्तमान की मकरही स्टेट के मुख्तारे आम अधिवक्ता सुरेंद्र नाथ उपाध्याय बताते हैं कि दिग्विजय सिंह यहां तीन बार आए हैं। पहली बार राजा साहब की मृत्यु पर छह दिसंबर 1995 को आए तथा इसके उपरांत 20 जून 2005 में राजा साहब के पुत्र अमर सिंह की मृत्यु पर आए थे। इसके दो वर्ष बाद 19 नवंबर 2010 में रानी साहब विमला देवी को लेने आए थे। उन्हें यहां से लेकर दिल्ली जाने के बाद से वह कभी नहीं आए।

पूर्व सीएम की जमीन पर कब्जा का किया प्रयास, फर्जी तरीके से बनाये गए दस्तावेज

पूर्व सीएम की जमीन पर कब्जा का किया प्रयास,फर्जी तरीके से बनाये गए दस्तावेज़ 

पूर्व सीएम दिग्विजय ने डीएम से फोन पर पूछा अपनी भूमि में फर्जीवाड़ा होने का प्रकरण

लोकायुक्त न्यूज़
अंबेडकरनगर। जमीन के कथित सौदागरों ने पूर्व मुख्यमंत्री की खतौनी की जमीन को भी निशाना बना लिया,इसपर कब्जा का असफल प्रयास भी किया गया । इस प्रकरण से पूरे जिले के प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कम्प मचा हुआ है ।
मामला जिले की आलापुर तहसील की मकहरी रियासत से जुड़ा है । जहां मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की माता अपर्णा सिंह के नाम से रामनगर मुहअर की 12 बिस्वा भूमि पर मालिकाना हक तूल पकड़ चुका है। पूर्व सीएम ने जिलाधिकारी अविनाश सिंह से सोमवार को फोन करके प्रकरण की जानकारी लिया। डीएम ने बताया कि उक्त मसले में अपर जिलाधिकारी डा.सदानंद गुप्त की अध्यक्षता में जलालपुर के उपजिलाधिकारी पवन जायसवाल एवं आलापुर के उप जिलाधिकारी सुभाष सिंह की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर गहनता से जांच करने का निर्देश दिया गया है। इस प्रकरण में मिलने वाले दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई होगी।

वरासत के 38 वर्ष बाद पूर्व सीएम के नाम हुआ भूखंड :
मकरही स्टेट के राजा महेश्वरी प्रसाद सिंह उर्फ लाल साहब, दिग्विजय सिंह के मौसा थे। उन्होंने वर्ष 1950 के दौरान रियासतों के विलय होते समय उक्त भूमि दिग्विजय सिंह की माता अर्पणा के नाम से कर दिया था। अर्पणा सिंह की मृत्यु वर्ष 1986 में होने के बाद उक्त भूमि उनके पुत्र दिग्विजय सिंह के नाम से दर्ज होनी थी। हालांकि 38 वर्ष के बाद गत वर्ष 2024 में 15 मई को यह भूमि दिग्विजय सिंह के नाम दर्ज हुई है। अभी तक पूर्व सीएम की ओर से उक्त भूमि की वरासत और आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया था।

अटार्नी जनरल पर टिकी वैधता : मकरही के राजा लाल साहब से लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह तक अटार्नी जनरल बताए गए केवटला गांव के रामहरख सिंह को अधिकार पत्र देने की वैधता पर भूमि विवाद टिका है। अपर्णा सिंह की मृत्यु के चार वर्ष बाद वर्ष 1989 में सेवानिवृत्त एएसपी जियालाल यादव, राजबहादुर यादव एवं मंगली ने उक्त 12 बिस्वा भूमि का बैनामा अटार्नी जनरल रामहरख सिंह से कराया है। हालांकि यह बैनामा होने के दौरान उक्त भूमि की स्वामी अपर्णा सिंह का निधन हो चुका था। उनकी वरासत पूर्व सीएम एवं उनके बेटे दिग्विजय सिंह के नाम आलापुर तहसील में दर्ज नहीं थी। इसके बाद भी दिग्विजय सिंह द्वारा रामहरख सिंह को अर्टानी जनरल बनाए जाने का दावा किया गया।

अधिकार पत्र दिखता संदिग्ध : टांडा रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा पंजीकृत अटार्नी जनरल का अधिकार पत्र ही सवालों में फंस गया है। उक्त अधिकार पत्र में दिग्विजय सिंह उर्फ दुर्गविजय सिंह पुत्र बलभद्र सिंह तथा निवास स्थान मकरही लिखते हुए प्रत्येक स्थान पर दिग्विजय सिंह के नाम से हस्ताक्षर बनाया गया है। वहीं वरासत में दर्ज हुई भूमि एवं मां अर्पणा सिंह संग पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का वास्तविक पता ग्राम राघवगढ़ विजयपुर, तहसील राधवगढ़ और जिला गुना मध्य प्रदेश है। उक्त मामले में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को उर्फ में नया नाम दुर्गविजय सिंह दिखाया जाना भी गंभीर सवाल पैदा करते हुए सरकारी मशीनरी की अनदेखी को उजागर करता है।

तीन बार आए पूर्व सीएम : पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के तीन बार अंबेडकरनगर आने की जानकारी मिलती है। इस जनपद की मकरही स्टेट से उनका गहरा नाता रहा। इनकी मां अर्पणा सिंह व मकरही के राजा महेश्वरी प्रसाद सिंह की पत्नी विमला सिंह सगी बहन थीं। वर्तमान की मकरही स्टेट के मुख्तारे आम अधिवक्ता सुरेंद्र नाथ उपाध्याय बताते हैं कि दिग्विजय सिंह यहां तीन बार आए हैं। पहली बार राजा साहब की मृत्यु पर छह दिसंबर 1995 को आए तथा इसके उपरांत 20 जून 2005 में राजा साहब के पुत्र अमर सिंह की मृत्यु पर आए थे। इसके दो वर्ष बाद 19 नवंबर 2010 में रानी साहब विमला देवी को लेने आए थे। उन्हें यहां से लेकर दिल्ली जाने के बाद से वह कभी नहीं आए।

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