
अनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश?
पहले अभियुक्त बनाया, फिर आरोप को दिया झूठा करार, अब कोर्ट मे सच बोलने की कही बात
लोकायुक्त न्यूज
ब्यूरो,कुशीनगर। आज से महज एक माह पूर्व राजधानी में मीडिया से रुबरु होकर छांगुर गैंग से ताल्लुकात दिखाकर जिले के 13 लोगो को धर्मांतरण व दुष्कर्म के मामले मे फसाने वाली कथित अनामिका सिंह का एक के बाद एक नया चेहरा सामने आ रहा है।पीडित व दुखियारी बनकर उसने जिन तेरह लोगो पर धर्मांतरण व दुष्कर्म का आरोप लगाया था एक वीडियो में उससे मुकरते हुए बडी ही निर्लज्जता से पल्ला झाड़ दिया और कहा कि उसके द्वारा पहले लगाये गये सभी आरोप गलत व फर्जी है, वह जिन तेरह लोगो के खिलाफ गंभीर आरोप लगायी थी वह सब परवेज इलाही नामक शक्स के दबाव व बहकावे मे आकर किया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस हाई प्रोफाइल ड्रामें की पाठकथा अकेल परवेज ने लिखी थी? या इसके पीछे शातिरआना दिमाग किसी और का है? सवाल मुनासिब है कि जारी वीडियो मे कथित अनामिका का बयान सही है तो फिर एक षड्यंत्र के तहत तेरह लोगो को सुनियोजित व फर्जी तरीके से फसाकर उनके मान-सम्मान से खिलवाड़ करने व कानून की मजाक उडाने वाली इस झूठी युवती और इसके सहयोगियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जायेगी? विधि विशेषज्ञों का दावा है कि अनामिका ने जिन लोगो के साथ मिलकर हाई प्रोफाइल ड्रामा किया था उसमे कार्रवाई तय है।
काबिलेगौर है कि धर्मांतरण व दुष्कर्म के आरोप मे 19 अगस्त को अनामिका के तहरीर पर पडरौना कोतवाली मे दर्ज हुए मुकदमे मे रफी, नौशाद, छांगुर, आलमगीर, रितेश मिश्रा समेत कुल तेरह लोगो को अभियुक्त बनाया गया। मजे की बात यह है कि मुकदमा दर्ज होने 28 दिन गुजरे के बाद 18 अगस्त को दुखियारी अनामिका सिंह का निर्लज्जता से परिपूर्ण नया चेहरा सामने आया। अनामिका का यह चेहरा भी विश्व हिन्दू रक्षा परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय ने तकरीबन दस दिन पूर्व शूट किये गये अनामिका का वीडियो कथित प्रेसवार्ता मे उजागर किया। यहां बताना जरूरी है कि बीते अगस्त माह के 19 तारीख को लखनऊ मे विश्व हिन्दू रक्षा परिषद के अध्यक्ष गोपाल राय ने पहली बार अनामिका को मीडिया के सामने रुबरु किया था और अनामिका ने रफी खान, नौशाद खान उर्फ नाटा जमालुद्दीन उर्फ छांगुर नीतू रोहरा आलमगीर अंसारी, रितेश मिश्रा समेत तेरह लोगो पर धर्मांतरण, दुष्कर्म व सामुहिक दुष्कर्म का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी। नतीजतन गोपाल राय द्वारा प्रेसवार्ता का वीडियो प्रसारित करने के बाद कुशीनगर पुलिस हरकत में आ गयी और आनन-फानन में लखनऊ पहुंचकर वही तहरीर लेकर पुलिस विभाग के एक जिम्मेदार आफिसर ने जरिये वाट्सऐप पडरौना कोतवाली को तहरीर भेजकर मुकदमा दर्ज कराया था। चूकि यह मामला छांगुर गैंग से कनेक्शन होने व कुछ बडे लोगो का नाम जुडे होने के कारण हाई प्रोफाइल बन गया जो जनपद मे ही नही राजधानी के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया।
कथित प्रेसवार्ता में नही पहुंची अनामिका
बतादे कि 18 सितम्बर को विश्व हिन्दू रक्षा परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय के प्रेसवार्ता से संबंधित सूचना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद निर्धारित तिथि को गोपाल राय की ओर से लखनऊ में कथित प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। सूत्र बताते है कि गोपाल राय द्वारा आयोजित किये गये प्रेसवार्ता में न तो पत्रकार पहुचे थे और न ही तेरह लोगो को अभियुक बनाने वाली कथित अनामिका सिंह ही पहुची।चर्चा-ए-सरेआम है कि कथित प्रेसवार्ता के नाम पर आरोप लगाने वाली अनामिका सिंह का एक वीडियो प्रसारित किया गया जिसमे कथित अनामिका बोल रही है कि जिनके उपर वह 28 दिन पहले धर्मांतरण व दुष्कर्म का आरोप लगायी थी वह गलत और फर्जी है वह किसी को नही जानती है यह सब वह परवेज इलाही के कहने पर की है। वीडियो मे युवती यह भी कह रही है कि परवेज ने इन लोगो से पैसा एठने के लिए उस पर दबाव बनाया और जान से मारने की धमकी दी थी। सूत्रो का दावा है कि लखनऊ में कथित प्रेसवार्ता के दौरान जब गोपाल राय की ओर वीडियो प्रसारित किया गया उस समय कथित अनामिका अपने गांव कुशीनगर के पटहेरवा थाना अंतर्गत घर पर थी। ऐसे मे सवाल उठना लाजमी है कि जब कथित प्रेसवार्ता मे अनामिका पहुची ही नही थी तो यह वीडियो कब और किसके मौजूदगी मे बनाया गया? सुनियोजित तरीके से बनाये गये इस वीडियो का उदेश्य क्या है? और गोपाल राय किसके अनुमति से यह वीडियो शूट कराकर प्रसारित किये? क्या गोपाल राय सरकार या सरकारी मशीनरी के अंग है? क्या वह या उनकी संस्था किसी जांच एजेंसी का हिस्सा है? तमाम ऐसे सवाल है जो गोपाल राय को कटघरे मे खडा करती है।
कथित अनामिका ने दुसरी प्रेसवार्ता को दिया फर्जी करार
यहा बताना जरूरी है कि कथित प्रेसवार्ता के दुसरे दिन 19 सितम्बर को अनामिका का तीसरा वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो मे युवती कथित अनामिका लखनऊ मे आयोजित प्रेसवार्ता को फर्जी करार देते हुए बोल रही है कि यह वीडियो दस-पन्द्रह दिन पहले शूट किया गया था। इस दौरान पत्रकार द्वारा पूछे गये एक सवाल के जबाब मे अनामिका ने कहा कि उसके और उसके परिवार पर बहुत दबाव डाला जा रहा है उसे जो भी कहना होगा वह 22 सितम्बर को कोर्ट मे कहेगी।
क्या करती रही पुलिस?
विधि विशेषज्ञो का कहना है कि इस पूरे प्रकरण मे पुलिस की भूमिका गैरजिम्मेदारना व उदासीनता से परिपूर्ण रही। सबब यह है कि इतने हाईप्रोफाइल व गंभीर मामले मे एक माह तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे क्यो बैठी रही। सवाल खडा किया कि पुलिस अभियुक्तों के खिलाफ धर-पकड की कार्रवाई करने के बजाय उन्हे स्टे लेने का मौका क्यो दी? आरोप लगाने वाली युवती का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान क्यो नही कराया गया ? अब तक पुलिस ने युवती को सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम क्यो नही उपलब्ध करायी? उसे अपने अभिरक्षा मे क्यो नही ली है? जबकि ऐसी परिस्थिति में न सिर्फ युवती को खतरे का सामना करना पड रहा होगा बल्कि युवती पर दबाब बनाकर विवेचना भी प्रभावित किया जा सकता है।