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कोयले में मिलावट को लेकर प्रशासन निष्क्रिय,नाक के नीचे हो रहा कारोबार कोयले में मिलावट को लेकर प्रशासन निष्क्रिय,नाक के नीचे हो रहा कारोबार मिलावट के लिए गोदावरी व प्रापक कोल कंपनी पर है आरोप लोकायुक्त न्यूज़ बड़ी खबर मध्य प्रदेश के सिंगरौली से है। जहाँ देश में कोयले की बढ़ी मांग को देखते हुए कोल माफिया ऊर्जांचल में काफी सक्रिय है। लोहा फैक्ट्री का चूर्ण-कचरा (चारकोल) को भारी मात्रा में बाहर से लाकर कोयले में मिलावट कर दूर-दराज के तापीय परियोजनाओं में रेल मार्ग से भेजा जा रहा है। सिंगरौली जिले के अंतर्गत बरगवां व मोरवा रेलवे साइडिग पर हजारों टन चारकोल आ रहा है। जिसे कोयला में मिलाकर रेलवे रैक में लोड कर प्रेषण किया जा रहा है। कोयले में चारकोल मिलाने से उसका वजन काफी बढ़ जाता है। ट्रांसपोर्टर उत्तम कोयला छांटकर मंडी में बिक्री के लिए भेज देते हैं। उसकी जगह पर चारकोल मिलाकर उद्योगों को प्रेषित कर रहे हैं। इस अवैध कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कोई विभाग पहल नहीं कर रहा है। blank जाने क्या कहते हैं ज़िम्मेदार ? एनसीएल का कहना है कि क्रेता आक्सन के तहत लिए गए कोयले को खदान से बाहर ले जाकर क्या करता है, उसमें कंपनी कुछ नहीं कर सकती है। एएसपी सिंगरौली शिव कुमार वर्मा को कई बार जानकारी दिए जाने पर भी कहा गया कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की गई। किसी भी विभाग द्वारा ठोस पहल नहीं किए जाने से कोल माफिया बेखौफ इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहे हैं। मिलावट का यह खेल इस कदर बढ़ गया है कि बाहर से रेल रैक द्वारा गत माह चारकोल लाकर रेलवे साइडिग पर भंडारण किया गया था। प्रतिदिन दर्जनों ट्रकों से चारकोल लाकर कोयले में मिलावट किया जा रहा है। चारकोल से हादसे की आशंका : तापीय परियोजना में कोयला जलकर राख हो जाता है। चारकोल लोहे का चूर्ण होने की वजह से जलता नहीं है। यह चिमनी की सतह में चिपक जाता है। काफी दिनों तक चारकोल युक्त कोयला तापीय परियोजनाओं में उपयोग किए जाने पर बड़ी घटना की आशंका बनी रहती है। क्रेता परियोजना पर भी मिलीभगत का आरोप देश के विभिन्न तापीय परियोजना व उद्योग एनसीएल से आक्सन के तहत कोयला खरीदते हैं। जिसे स्थानीय कोल ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से रेल रैक द्वारा अपने गंतव्य स्थान पर ले जाते हैं। इसके लिए संबंधित उद्योग के अधिकारी भी लोडिग के दौरान निगरानी करते हैं। कोयले की सैंपलिग भी की जाती है। कोल ट्रांसपोर्टर सभी को अपने गिरोह में शामिल कर मिलावट का यह खेल सुनियोजित ढंग से चला रहे हैं। गोदावरी और प्रापक कोल कंपनी (डीएस ) पर आरोप है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोदावरी और प्रापक कोल कंपनियों पर विशेष रूप से कोयले में मिलावट का आरोप लगाया जा रहा है। इन कंपनियों पर बरगवां, और मोरवा रेलवे साइडिंग पर मिलावटी कोयला मालगाड़ियों में लोडिंग कराने का आरोप है। आरोप है कि झारखड के रामगढ़ से चारकोल व क्रेशर प्लांटों से स्टोन डस्ट लाकर कोयले में मिलाया जा रहा है, जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। लंबे समय से जारी गोरखधंधा चलता आ रहा है यह कोइ नई बात नही मिलावट का यह खेल नया नहीं है।   Click to listen highlighted text! कोयले में मिलावट को लेकर प्रशासन निष्क्रिय,नाक के नीचे हो रहा कारोबार कोयले में मिलावट को लेकर प्रशासन निष्क्रिय,नाक के नीचे हो रहा कारोबार मिलावट के लिए गोदावरी व प्रापक कोल कंपनी पर है आरोप लोकायुक्त न्यूज़ बड़ी खबर मध्य प्रदेश के सिंगरौली से है। जहाँ देश में कोयले की बढ़ी मांग को देखते हुए कोल माफिया ऊर्जांचल में काफी सक्रिय है। लोहा फैक्ट्री का चूर्ण-कचरा (चारकोल) को भारी मात्रा में बाहर से लाकर कोयले में मिलावट कर दूर-दराज के तापीय परियोजनाओं में रेल मार्ग से भेजा जा रहा है। सिंगरौली जिले के अंतर्गत बरगवां व मोरवा रेलवे साइडिग पर हजारों टन चारकोल आ रहा है। जिसे कोयला में मिलाकर रेलवे रैक में लोड कर प्रेषण किया जा रहा है। कोयले में चारकोल मिलाने से उसका वजन काफी बढ़ जाता है। ट्रांसपोर्टर उत्तम कोयला छांटकर मंडी में बिक्री के लिए भेज देते हैं। उसकी जगह पर चारकोल मिलाकर उद्योगों को प्रेषित कर रहे हैं। इस अवैध कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कोई विभाग पहल नहीं कर रहा है। जाने क्या कहते हैं ज़िम्मेदार ? एनसीएल का कहना है कि क्रेता आक्सन के तहत लिए गए कोयले को खदान से बाहर ले जाकर क्या करता है, उसमें कंपनी कुछ नहीं कर सकती है। एएसपी सिंगरौली शिव कुमार वर्मा को कई बार जानकारी दिए जाने पर भी कहा गया कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की गई। किसी भी विभाग द्वारा ठोस पहल नहीं किए जाने से कोल माफिया बेखौफ इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहे हैं। मिलावट का यह खेल इस कदर बढ़ गया है कि बाहर से रेल रैक द्वारा गत माह चारकोल लाकर रेलवे साइडिग पर भंडारण किया गया था। प्रतिदिन दर्जनों ट्रकों से चारकोल लाकर कोयले में मिलावट किया जा रहा है। चारकोल से हादसे की आशंका : तापीय परियोजना में कोयला जलकर राख हो जाता है। चारकोल लोहे का चूर्ण होने की वजह से जलता नहीं है। यह चिमनी की सतह में चिपक जाता है। काफी दिनों तक चारकोल युक्त कोयला तापीय परियोजनाओं में उपयोग किए जाने पर बड़ी घटना की आशंका बनी रहती है। क्रेता परियोजना पर भी मिलीभगत का आरोप देश के विभिन्न तापीय परियोजना व उद्योग एनसीएल से आक्सन के तहत कोयला खरीदते हैं। जिसे स्थानीय कोल ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से रेल रैक द्वारा अपने गंतव्य स्थान पर ले जाते हैं। इसके लिए संबंधित उद्योग के अधिकारी भी लोडिग के दौरान निगरानी करते हैं। कोयले की सैंपलिग भी की जाती है। कोल ट्रांसपोर्टर सभी को अपने गिरोह में शामिल कर मिलावट का यह खेल सुनियोजित ढंग से चला रहे हैं। गोदावरी और प्रापक कोल कंपनी (डीएस ) पर आरोप है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोदावरी और प्रापक कोल कंपनियों पर विशेष रूप से कोयले में मिलावट का आरोप लगाया जा रहा है। इन कंपनियों पर बरगवां, और मोरवा रेलवे साइडिंग पर मिलावटी कोयला मालगाड़ियों में लोडिंग कराने का आरोप है। आरोप है कि झारखड के रामगढ़ से चारकोल व क्रेशर प्लांटों से स्टोन डस्ट लाकर कोयले में मिलाया जा रहा है, जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। लंबे समय से जारी गोरखधंधा चलता आ रहा है यह कोइ नई बात नही मिलावट का यह खेल नया नहीं है।

कोयले में मिलावट को लेकर प्रशासन निष्क्रिय,नाक के नीचे हो रहा कारोबार

कोयले में मिलावट को लेकर प्रशासन निष्क्रिय,नाक के नीचे हो रहा कारोबार

मिलावट के लिए गोदावरी व प्रापक कोल कंपनी पर है आरोप

लोकायुक्त न्यूज़
बड़ी खबर मध्य प्रदेश के सिंगरौली से है। जहाँ देश में कोयले की बढ़ी मांग को देखते हुए कोल माफिया ऊर्जांचल में काफी सक्रिय है। लोहा फैक्ट्री का चूर्ण-कचरा (चारकोल) को भारी मात्रा में बाहर से लाकर कोयले में मिलावट कर दूर-दराज के तापीय परियोजनाओं में रेल मार्ग से भेजा जा रहा है। सिंगरौली जिले के अंतर्गत बरगवां व मोरवा रेलवे साइडिग पर हजारों टन चारकोल आ रहा है। जिसे कोयला में मिलाकर रेलवे रैक में लोड कर प्रेषण किया जा रहा है। कोयले में चारकोल मिलाने से उसका वजन काफी बढ़ जाता है। ट्रांसपोर्टर उत्तम कोयला छांटकर मंडी में बिक्री के लिए भेज देते हैं। उसकी जगह पर चारकोल मिलाकर उद्योगों को प्रेषित कर रहे हैं। इस अवैध कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कोई विभाग पहल नहीं कर रहा है।

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जाने क्या कहते हैं ज़िम्मेदार ?
एनसीएल का कहना है कि क्रेता आक्सन के तहत लिए गए कोयले को खदान से बाहर ले जाकर क्या करता है, उसमें कंपनी कुछ नहीं कर सकती है। एएसपी सिंगरौली शिव कुमार वर्मा को कई बार जानकारी दिए जाने पर भी कहा गया कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की गई। किसी भी विभाग द्वारा ठोस पहल नहीं किए जाने से कोल माफिया बेखौफ इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहे हैं। मिलावट का यह खेल इस कदर बढ़ गया है कि बाहर से रेल रैक द्वारा गत माह चारकोल लाकर रेलवे साइडिग पर भंडारण किया गया था। प्रतिदिन दर्जनों ट्रकों से चारकोल लाकर कोयले में मिलावट किया जा रहा है।

चारकोल से हादसे की आशंका : तापीय परियोजना में कोयला जलकर राख हो जाता है। चारकोल लोहे का चूर्ण होने की वजह से जलता नहीं है। यह चिमनी की सतह में चिपक जाता है। काफी दिनों तक चारकोल युक्त कोयला तापीय परियोजनाओं में उपयोग किए जाने पर बड़ी घटना की आशंका बनी रहती है। क्रेता परियोजना पर भी मिलीभगत का आरोप देश के विभिन्न तापीय परियोजना व उद्योग एनसीएल से आक्सन के तहत कोयला खरीदते हैं। जिसे स्थानीय कोल ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से रेल रैक द्वारा अपने गंतव्य स्थान पर ले जाते हैं। इसके लिए संबंधित उद्योग के अधिकारी भी लोडिग के दौरान निगरानी करते हैं। कोयले की सैंपलिग भी की जाती है। कोल ट्रांसपोर्टर सभी को अपने गिरोह में शामिल कर मिलावट का यह खेल सुनियोजित ढंग से चला रहे हैं।
गोदावरी और प्रापक कोल कंपनी (डीएस ) पर आरोप है
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोदावरी और प्रापक कोल कंपनियों पर विशेष रूप से कोयले में मिलावट का आरोप लगाया जा रहा है। इन कंपनियों पर बरगवां, और मोरवा रेलवे साइडिंग पर मिलावटी कोयला मालगाड़ियों में लोडिंग कराने का आरोप है। आरोप है कि झारखड के रामगढ़ से चारकोल व क्रेशर प्लांटों से स्टोन डस्ट लाकर कोयले में मिलाया जा रहा है, जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। लंबे समय से जारी गोरखधंधा चलता आ रहा है यह कोइ नई बात नही मिलावट का यह खेल नया नहीं है।

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