
रिजर्व पेपर से परीक्षा कराने के मामले में डीआईओएस और विद्यालय पर हो सकती है कार्रवाई
शासन ने मामले को गंभीरता से लिया संज्ञान
अशोक विद्यापीठ इंटर कालेज में रिजर्व पेपर से परीक्षा कराने का मामला
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित बोर्ड परीक्षा में सुरक्षित रखे गए रिजर्व पेपर से परीक्षा कराने का मामला उजागर होने के बाद शासन के गलियारों में हलचल मची हुई है। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) और विद्यालय प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इसकी गंभीरता को देखते हुए विद्यालय और डीआईओएस के खिलाफ कार्रवाई की संभावना प्रबल हो गई है।
जांच में खुल सकते हैं बड़े राज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जांच अधिकारी ने 1 मार्च को संकलन केंद्र पर जमा किए गए अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज की दोनों पालियों में हुई गणित और नागरिक शास्त्र विषय की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की। इसके साथ ही, उसी दिन के किसी अन्य विद्यालय की उत्तर पुस्तिकाओं का मिलान कराने की मांग की जा रही है।
अगर डीआईओएस के मोबाइल लोकेशन (1 मार्च की रात 10 बजे से 3 बजे तक) की जांच कराई जाए और स्ट्रांग रूम में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले जाएं, तो सच्चाई उजागर हो सकती है।
क्या कहता है कानून?
शिक्षा अधिनियम के तहत परीक्षा की गोपनीयता भंग करने, पेपर लीक करने, या गलत जानकारी देने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
- अनुचित साधन निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल की जेल और 10 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है।
- परीक्षा संस्थान या परीक्षा एजेंसी शामिल पाए जाने पर उससे पूरा परीक्षा खर्च वसूला जाएगा और संपत्ति कुर्क की जा सकती है।
- सॉल्वर गैंग से जुड़े होने पर आजीवन कारावास और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना संभव है।
- नकल कराने या परीक्षा प्रभावित करने पर 10 साल की जेल और 10 लाख रुपये का दंड।
- परीक्षा ड्यूटी में लापरवाही करने पर 7 साल की जेल और आर्थिक दंड।
घटना का फ्लैशबैक
फाजिलनगर विकास खंड क्षेत्र के नकटहा मिश्र स्थित अशोक विद्यापीठ इंटर कॉलेज में 1 मार्च को बोर्ड परीक्षा के रिजर्व प्रश्नपत्रों से परीक्षा कराने का मामला सामने आया। उस दिन डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त प्रयागराज जाने वाले थे, लेकिन रास्ते में उन्हें इस अनियमितता की जानकारी मिली।
सूत्रों के अनुसार, डीआईओएस तत्काल कुशीनगर लौट आए और रात में ही अपने स्टाफ और एक प्रधानाचार्य के साथ परीक्षा केंद्र पहुंचे। उन्होंने स्ट्रांग रूम की जांच की, जबकि बिना जिलाधिकारी और बोर्ड सचिव की अनुमति के स्ट्रांग रूम खोलना नियमों का उल्लंघन है। इस बात की पुष्टि सीसीटीवी फुटेज और डीआईओएस के मोबाइल लोकेशन की जांच से की जा सकती है।
हवाई चप्पल में पहुंचे अधिकारी
सूत्रों के मुताबिक, डीआईओएस इतनी जल्दबाजी में थे कि वह हवाई चप्पल पहनकर ही स्ट्रांग रूम पहुंच गए और डबल लॉक खोलकर जांच की। इस पूरी घटना की फुटेज सीसीटीवी में रिकॉर्ड होने की संभावना है।
बंडल खुलवाकर कराई जाए जांच
डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त ने इस घटना को अफवाह बताया है, लेकिन सच सामने लाने के लिए 1 मार्च को संपन्न परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल खोलकर जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही, उसी दिन के किसी अन्य विद्यालय के बंडल से मिलान किया जाना चाहिए।
केंद्र व्यवस्थापक की नियुक्ति पर सवाल
एक अन्य विवादास्पद निर्णय में, डीआईओएस ने केंद्र व्यवस्थापक कश्यप कुमार को हटाकर गिरजेश कुमार त्रिपाठी को नियुक्त किया, जो विद्यालय प्रबंधक के चाचा बताए जा रहे हैं। यह सवाल उठता है कि क्या परीक्षा के दौरान विद्यालय प्रबंधक के परिवार का कोई सदस्य केंद्र व्यवस्थापक बन सकता है?