
उ.प्र.राज्य कर्मचारी महासंघ के बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने विभिन्न माँगों को लेकर किये आमसभा और प्रदर्शन!
पीएम मोदी को संबोधित एक पत्र के माध्यम से पुरानी पेंशन बहाल करने,संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की छंटनी पर रोक लगाने एवं न्यूनतम वेतन में सुधार जैसी है कई माँगे!
लोकायुक्त न्यूज़
कानपुर नगर में आज उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के तत्वाधान में बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर भोजनावकाश के समय एक आम सभा का आयोजन किया। सभा के दौरान कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पत्र के माध्यम से पुरानी पेंशन व्यवस्था (ओपीएस) की बहाली, संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की छंटनी पर रोक लगाने, और न्यूनतम वेतन में सुधार जैसी प्रमुख मांगें रखीं।
प्रमुख मांगें:
पुरानी पेंशन बहाली : कर्मचारियों ने बताया कि नई पेंशन योजना के तहत वे असुरक्षित महसूस करते हैं और ओपीएस की बहाली उनकी पहली प्राथमिकता है।
संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की छंटनी पर रोक: महासंघ ने कहा कि संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों का भविष्य अनिश्चित है और उनकी छंटनी पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।
न्यूनतम वेतन और भुगतान में देरी : दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने शिकायत की कि उन्हें न्यूनतम वेतन भी समय पर नहीं मिलता और उनका शोषण हो रहा है।
महासंघ के आरोप :
महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें कर्मचारियों की समस्याओं की अनदेखी कर रही हैं। उन्होंने कहा, “विगत कुछ वर्षों से कर्मचारी हितों को लगातार उपेक्षित किया जा रहा है। इससे कर्मचारी खुद को असुरक्षित और शोषित महसूस कर रहे हैं।”
आंदोलन का ऐलान :
कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आंदोलन तेज करेंगे। यह आंदोलन राज्य के मुख्यालयों से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर तक जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार को मजबूर किया जाएगा कि वह कर्मचारियों की मांगें माने।
कमल अग्रवाल (प्रांतीय अध्यक्ष): “हमारी मांगें न्यायोचित हैं। पुरानी पेंशन बहाली और संविदा कर्मियों की छंटनी रोकना समय की मांग है। यदि सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन बड़े पैमाने पर किया जाएगा।”
कर्मचारी नेता : “संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की स्थिति बेहद दयनीय है। वे न्यूनतम मानवीय सुविधाओं के हकदार हैं।”
कर्मचारियों का यह प्रदर्शन उनकी नाराजगी और असुरक्षा की गहराई को दर्शाता है। आने वाले समय में इस आंदोलन के तेज होने की संभावना है।