Welcome to Lokayukt News   Click to listen highlighted text! Welcome to Lokayukt News
Latest Story
blankखरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यासblankअनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश?blankपडरौना उपकेंद्र से कल पांच घंटे रहेगी बिजली आपूर्ति बाधितblankकुशीनगर में 26 सितंबर को लगेगा एक दिवसीय रोजगार मेलाblank950 कैप्सूल नशीली दवा के साथ युवक गिरफ्तार, बाइक भी जब्तblankकल सुबह 9 बजे से 3 बजे तक दुदही क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति रहेगी बन्दblankबेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए गोडरिया फीडर पर छटाई अभियान शुरूblankप्रेमी संग मिलकर पत्नी ने पति की हत्या, 24 घंटे में पुलिस ने किया खुलासाblankराष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 140251 वादों का हुआ निस्तारणblankसपा नेता जावेद इकबाल ने लगाई चौपाल, किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरा
औरतों को क्यों दें संपत्ति में अधिकार…बांग्लादेश में महिला आयोग की रिपोर्ट पर भड़की मुल्ला जमात, बोले- ये सब इस्लाम के खिलाफ बांग्लादेश में महिलाओं को अधिकार देने की बात पर इस्लामी कट्टरपंथी भड़क गए हैं। महिलाओं को सम्पत्ति में हिस्सा देने की बात पर कट्टरपंथी नाराज हैं। इसके लिए सिफारिश करने वाली रिपोर्ट को उन्होंने खारिज करने की बात की है। शेख हसीना के बांग्लादेश की सत्ता से जाने के बाद लगातार महिला अधिकारों पर हमले हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में हाल ही में महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले आयोग ने एक रिपोर्ट मोहम्मद यूनुस को सौंपी है। इस रिपोर्ट में महिलाओं की भलाई के लिए 433 सिफारिशें की गई हैं। अब बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (IAB), और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे इस्लामी संगठनों ने इसे ‘नामंजूर’ बताया है। उन्होंने यूनुस सरकार से इसे रद्द करने की माँग भी की है। Women’s Affairs Reform Commission submitted its report to Chief Adviser Professor Muhammad Yunus at the State Guest House Jamuna on Saturday. pic.twitter.com/NBvldiqvzd— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) April 19, 2025 महिलाओं को सम्पत्ति के अधिकार के खिलाफ हैं कट्टरपंथी महिला आयोग की रिपोर्ट में बांग्लादेश के भीतर महिलाओं और पुरुषों को समान संपत्ति देने के अधिकार की बात की गई है। इस पर जमात के महासचिव मिया परवार ने कहा कि यह प्रस्ताव इस्लामी कानूनों के खिलाफ है और इसे लागू करना ‘शरिया के खिलाफ खड़ा होना’ होगा। परवार ने कहा कि इसमें कई ऐसे प्रावधान है जो इस्लामी मान्यता के अनुसार निकाह, तलाक और विरासत नियमों के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस्लाम में मर्द और औरत को बराबर रखा जाता है लेकिन दोनों के काम अलग-अलग बताए गए हैं। कट्टरपंथी संगठन इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश की महिला शाखा ने रिपोर्ट को सांस्कृतिक और मजहबी मामलों से अलग बताया। हिफाजत-ए-इस्लाम ने महिला आयोग की पूरी संस्था को खत्म करने की माँग की और इसे इस्लामी कानूनों पर हमला करार दिया। उलेमा माशायेख परिषद ने मजहबी भावनाओं का अपमान बताते हुए रिपोर्ट को खारिज किया है।  तख्तापलट के बाद महिलाएँ टारगेट पर बांग्लादेश में लगातार इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर महिलाएँ हैं। यह बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बढ़ा है। इससे पहले जनवरी 2025 में महिला फुटबॉल मैचों को भी निशाना बनाया गया था, जहाँ इस्लामी कट्टरपंथी महिलाओं के फुटबॉल खेलने को इस्लामी विरोधी बताकर तोड़फोड़ की गई थी। इसके अलावा नाबालिग और महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाएँ भी बांग्लादेश में बढ़ती जा रही हैं। बांग्लादेश में दहेज के नाम पर हिंसा, बाल विवाह, और कार्यस्थलों पर भेदभाव अब भी व्यापक स्तर पर देखे जा रहे हैं। महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाली कार्यकर्ता कई बार धमकियों और हमलों का शिकार होती हैं। इस्लामी कट्टरपंथियों का यूसीसी विरोध बांग्लादेश ही नहीं भारत में भी UCC जैसे कानूनों का इस्लामी कट्टरपंथी विरोध करते आए हैं। इसी कड़ी में वह UCC जैसे कानून भी लागू ना किए जाने की माँग करते रहे हैं। गौरलतब है कि साल 2024 में UCC कानून उत्तराखंड में लागू किया गया था, जिसके खिलाफ इस्लामी कट्टरपंथी आ गए थे।   Click to listen highlighted text! औरतों को क्यों दें संपत्ति में अधिकार…बांग्लादेश में महिला आयोग की रिपोर्ट पर भड़की मुल्ला जमात, बोले- ये सब इस्लाम के खिलाफ बांग्लादेश में महिलाओं को अधिकार देने की बात पर इस्लामी कट्टरपंथी भड़क गए हैं। महिलाओं को सम्पत्ति में हिस्सा देने की बात पर कट्टरपंथी नाराज हैं। इसके लिए सिफारिश करने वाली रिपोर्ट को उन्होंने खारिज करने की बात की है। शेख हसीना के बांग्लादेश की सत्ता से जाने के बाद लगातार महिला अधिकारों पर हमले हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में हाल ही में महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले आयोग ने एक रिपोर्ट मोहम्मद यूनुस को सौंपी है। इस रिपोर्ट में महिलाओं की भलाई के लिए 433 सिफारिशें की गई हैं। अब बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (IAB), और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे इस्लामी संगठनों ने इसे ‘नामंजूर’ बताया है। उन्होंने यूनुस सरकार से इसे रद्द करने की माँग भी की है। Women’s Affairs Reform Commission submitted its report to Chief Adviser Professor Muhammad Yunus at the State Guest House Jamuna on Saturday. pic.twitter.com/NBvldiqvzd— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) April 19, 2025 महिलाओं को सम्पत्ति के अधिकार के खिलाफ हैं कट्टरपंथी महिला आयोग की रिपोर्ट में बांग्लादेश के भीतर महिलाओं और पुरुषों को समान संपत्ति देने के अधिकार की बात की गई है। इस पर जमात के महासचिव मिया परवार ने कहा कि यह प्रस्ताव इस्लामी कानूनों के खिलाफ है और इसे लागू करना ‘शरिया के खिलाफ खड़ा होना’ होगा। परवार ने कहा कि इसमें कई ऐसे प्रावधान है जो इस्लामी मान्यता के अनुसार निकाह, तलाक और विरासत नियमों के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस्लाम में मर्द और औरत को बराबर रखा जाता है लेकिन दोनों के काम अलग-अलग बताए गए हैं। कट्टरपंथी संगठन इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश की महिला शाखा ने रिपोर्ट को सांस्कृतिक और मजहबी मामलों से अलग बताया। हिफाजत-ए-इस्लाम ने महिला आयोग की पूरी संस्था को खत्म करने की माँग की और इसे इस्लामी कानूनों पर हमला करार दिया। उलेमा माशायेख परिषद ने मजहबी भावनाओं का अपमान बताते हुए रिपोर्ट को खारिज किया है।  तख्तापलट के बाद महिलाएँ टारगेट पर बांग्लादेश में लगातार इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर महिलाएँ हैं। यह बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बढ़ा है। इससे पहले जनवरी 2025 में महिला फुटबॉल मैचों को भी निशाना बनाया गया था, जहाँ इस्लामी कट्टरपंथी महिलाओं के फुटबॉल खेलने को इस्लामी विरोधी बताकर तोड़फोड़ की गई थी। इसके अलावा नाबालिग और महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाएँ भी बांग्लादेश में बढ़ती जा रही हैं। बांग्लादेश में दहेज के नाम पर हिंसा, बाल विवाह, और कार्यस्थलों पर भेदभाव अब भी व्यापक स्तर पर देखे जा रहे हैं। महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाली कार्यकर्ता कई बार धमकियों और हमलों का शिकार होती हैं। इस्लामी कट्टरपंथियों का यूसीसी विरोध बांग्लादेश ही नहीं भारत में भी UCC जैसे कानूनों का इस्लामी कट्टरपंथी विरोध करते आए हैं। इसी कड़ी में वह UCC जैसे कानून भी लागू ना किए जाने की माँग करते रहे हैं। गौरलतब है कि साल 2024 में UCC कानून उत्तराखंड में लागू किया गया था, जिसके खिलाफ इस्लामी कट्टरपंथी आ गए थे।

औरतों को क्यों दें संपत्ति में अधिकार…बांग्लादेश में महिला आयोग की रिपोर्ट पर भड़की मुल्ला जमात, बोले- ये सब इस्लाम के खिलाफ

बांग्लादेश में महिलाओं को अधिकार देने की बात पर इस्लामी कट्टरपंथी भड़क गए हैं। महिलाओं को सम्पत्ति में हिस्सा देने की बात पर कट्टरपंथी नाराज हैं। इसके लिए सिफारिश करने वाली रिपोर्ट को उन्होंने खारिज करने की बात की है। शेख हसीना के बांग्लादेश की सत्ता से जाने के बाद लगातार महिला अधिकारों पर हमले हो रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में हाल ही में महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले आयोग ने एक रिपोर्ट मोहम्मद यूनुस को सौंपी है। इस रिपोर्ट में महिलाओं की भलाई के लिए 433 सिफारिशें की गई हैं।

अब बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (IAB), और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे इस्लामी संगठनों ने इसे ‘नामंजूर’ बताया है। उन्होंने यूनुस सरकार से इसे रद्द करने की माँग भी की है।

Women’s Affairs Reform Commission submitted its report to Chief Adviser Professor Muhammad Yunus at the State Guest House Jamuna on Saturday. pic.twitter.com/NBvldiqvzd— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) April 19, 2025

महिलाओं को सम्पत्ति के अधिकार के खिलाफ हैं कट्टरपंथी

महिला आयोग की रिपोर्ट में बांग्लादेश के भीतर महिलाओं और पुरुषों को समान संपत्ति देने के अधिकार की बात की गई है। इस पर जमात के महासचिव मिया परवार ने कहा कि यह प्रस्ताव इस्लामी कानूनों के खिलाफ है और इसे लागू करना ‘शरिया के खिलाफ खड़ा होना’ होगा।

परवार ने कहा कि इसमें कई ऐसे प्रावधान है जो इस्लामी मान्यता के अनुसार निकाह, तलाक और विरासत नियमों के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस्लाम में मर्द और औरत को बराबर रखा जाता है लेकिन दोनों के काम अलग-अलग बताए गए हैं।

कट्टरपंथी संगठन इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश की महिला शाखा ने रिपोर्ट को सांस्कृतिक और मजहबी मामलों से अलग बताया। हिफाजत-ए-इस्लाम ने महिला आयोग की पूरी संस्था को खत्म करने की माँग की और इसे इस्लामी कानूनों पर हमला करार दिया। उलेमा माशायेख परिषद ने मजहबी भावनाओं का अपमान बताते हुए रिपोर्ट को खारिज किया है। 

तख्तापलट के बाद महिलाएँ टारगेट पर

बांग्लादेश में लगातार इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर महिलाएँ हैं। यह बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बढ़ा है। इससे पहले जनवरी 2025 में महिला फुटबॉल मैचों को भी निशाना बनाया गया था, जहाँ इस्लामी कट्टरपंथी महिलाओं के फुटबॉल खेलने को इस्लामी विरोधी बताकर तोड़फोड़ की गई थी।

इसके अलावा नाबालिग और महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाएँ भी बांग्लादेश में बढ़ती जा रही हैं। बांग्लादेश में दहेज के नाम पर हिंसा, बाल विवाह, और कार्यस्थलों पर भेदभाव अब भी व्यापक स्तर पर देखे जा रहे हैं। महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाली कार्यकर्ता कई बार धमकियों और हमलों का शिकार होती हैं।

इस्लामी कट्टरपंथियों का यूसीसी विरोध

बांग्लादेश ही नहीं भारत में भी UCC जैसे कानूनों का इस्लामी कट्टरपंथी विरोध करते आए हैं। इसी कड़ी में वह UCC जैसे कानून भी लागू ना किए जाने की माँग करते रहे हैं। गौरलतब है कि साल 2024 में UCC कानून उत्तराखंड में लागू किया गया था, जिसके खिलाफ इस्लामी कट्टरपंथी आ गए थे।

  • Related Posts

    खरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास

    खरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास लोकायुक्त न्यूज कसया, कुशीनगर। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन कसया नगर पालिका परिषद…

    अनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश?

    अनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश? पहले अभियुक्त बनाया, फिर आरोप को दिया झूठा करार, अब कोर्ट मे सच बोलने की कही बात लोकायुक्त न्यूज…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    error: Content is protected !!
    Click to listen highlighted text!