Welcome to Lokayukt News   Click to listen highlighted text! Welcome to Lokayukt News
Latest Story
blankखरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यासblankअनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश?blankपडरौना उपकेंद्र से कल पांच घंटे रहेगी बिजली आपूर्ति बाधितblankकुशीनगर में 26 सितंबर को लगेगा एक दिवसीय रोजगार मेलाblank950 कैप्सूल नशीली दवा के साथ युवक गिरफ्तार, बाइक भी जब्तblankकल सुबह 9 बजे से 3 बजे तक दुदही क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति रहेगी बन्दblankबेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए गोडरिया फीडर पर छटाई अभियान शुरूblankप्रेमी संग मिलकर पत्नी ने पति की हत्या, 24 घंटे में पुलिस ने किया खुलासाblankराष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 140251 वादों का हुआ निस्तारणblankसपा नेता जावेद इकबाल ने लगाई चौपाल, किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरा
योगी सरकार और पुलिस की छवि को घूमिल कर रही हनुमानगंज की पुलिस

योगी सरकार और पुलिस की छवि को घूमिल कर रही हनुमानगंज की खाकी

blank हनुमानगंज पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, रिश्वत का आरोप और जान की कीमत लगाने पर मचा हड़कंप कुशीनगर। जनपद के हनुमानगंज थाने की पुलिस अपनी कारगुजारियों को लेकर सुर्खियों में है। चोरी, रिश्वत, मारपीट और पीडित का मुकदमा दर्ज करने में हीलाहवाली इस थाने का दस्तूर बन गया है। यही वजह है योगी सरकार मे हनुमानगंज पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर स्थानीय लोगो में जहां खाकी के प्रति रोष बढता जा रहा है वही दिन प्रतिदिन पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। हाल के दो मामलों में हनुमानगंज पुलिस की खूब छिछालेदर हुई है। चोरी के मोटरसाइकिल मामले में रिश्वत का आरोप बीते दिनो हनुमानगंज पुलिस पर चोरी की मोटरसाइकिल के साथ पकड़े गए अभियुक्तों को मोटी रकम लेकर छोड़ने का सनसनीखेज आरोप लगा है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने चोरी के एक मामले में कुछ अभियुक्तों को पकड़ा था, लेकिन मोटी रिश्वत लेकर अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया। इस घटना ने न केवल पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खडे किये, बल्कि आम जनता के बीच पुलिस के प्रति अविश्वास का माहौल कायम कर दिया है। थानेदार की गाड़ी से मजदूर की मौत एक लाख रुपये में सौदा? बतादे कि अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में हनुमानगंज थानाध्यक्ष के मौजूदगी मे उनके सरकारी वाहन से मजदूरी करके घर लौट रहे छोटेलाल भारती को ठोकर लगने से आन दी स्पाट मौत हो गयी थी। घटना की जानकारी जब पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र को हुई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए चालक को निलंबित कर मुकदमा दर्ज करने की बात कही थी। किन्तु हनुमानगंज पुलिस ने मृतक मजदूर की जान की कीमत एक लाख रुपये लगाकर परिजनों दबाव बनाकर मामले को रफा दफा कर दिया। इतना नही मुकदमा दर्ज करने मे भी हनुमानगंज पुलिस ने खेला कर दिया। नतीजतन मुकदमे मे सरकारी वाहन के साथ चालक को अज्ञात दिखाकर पुलिस अपने ही बुने जाल मे उलझ गयी। बताया जाता है कि मजदूर छोटे लाल भारती की मृत्यु के हनुमानगंज पुलिस ने मृतक की पत्नी को दो किस्तो में एक लाख देने के बाद गाड़ी व बयान बदलने के लिए दबाव बना रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पुलिस और जनता के बीच की खाई उत्पन्न करता हैं। घटना से पूर्व ही ले लेते है तहरीर फिर भी नही रोक पाते घटना हनुमानगंज पुलिस की कार्यप्रणाली की एक और मिसाल हाल के दिनों में देखने को मिला है, जहां कथित मारपीट की घटना में लिखित शिकायत घटना से एक दिन पूर्व ही मिल गया पीड़ित परिवार का दावा है कि इंस्पेक्टर ने बिना किसी मारपीट या ठोस सबूत के,एक पक्ष के दबाव में आकर दूसरे पक्ष के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया। इस मामले में न केवल वादी, बल्कि इंस्पेक्टर पर भी षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया जा रहा है। पीड़ित परिवार के अनुसार,वादी ने मुकदमे में घटना की तारीख 12 मार्च 2025 बताई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि तहरीर एक दिन पहले यानी 11 को ही थानेदार को मिल गई थी। परिवार का कहना है कि यह अपने आप में साबित करता है कि मामला फर्जी है और पहले से रची गई साजिश का हिस्सा है। कथित तहरीर के आधार पर इंस्पेक्टर ने अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया, जिसे पीड़ित पक्ष ने पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया है। पीड़ित परिवार को मुकदमे की जानकारी मिली, तो उन्होंने इंस्पेक्टर से संपर्क किया। परिवार का आरोप है कि बातचीत के दौरान इंस्पेक्टर ने एक बार नहीं, बल्कि दो-तीन बार बलपूर्वक अपनी बात रखने की कोशिश की। इंस्पेक्टर ने दावा किया कि तहरीर 11 मार्च को मिली थी और उसी आधार पर कार्रवाई की गई। हालांकि, पीड़ित पक्ष का कहना है कि घटना की तारीख के साथ तहरीर की तारीख का यह विरोधाभास साफ तौर पर इंस्पेक्टर की गलत मंशा को उजागर करता है।पीड़ित परिवार ने इस पूरे मामले को पुलिस की मिलीभगत और एक पक्ष के दबाव का नतीजा बताया। उनका कहना है कि बिना किसी जांच-पड़ताल या सबूत के फर्जी मुकदमा लिखना न केवल कानून का दुरुपयोग है, बल्कि उनके साथ घोर अन्याय भी है। परिवार ने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस का काम लोगों की सुरक्षा करना है या उन्हें फंसाने के लिए साजिश रचना?आगे की कार्रवाई की मांग पीड़ित पक्ष ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और इंस्पेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते इसकी जांच नहीं हुई, तो वे उच्च अधिकारियों और अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। ऐसे मे कहना गलत नही होगा कि हनुमानगंज पुलिस की कार्य प्रणाली न सिर्फ योगी सरकार की बल्कि पुलिस की छवि को धूमिल कर रहा है। विवादों से है गहरा नाता हनुमानगंज पुलिस का यह कारनामा तो महज एक बानगी है जबकि हकीकत यह है कि हनुमानगंज पुलिस अक्सर विवादों में घिरी रहती है। इससे पहले भी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष अजय पटेल और छितौनी चौकी इंचार्ज विनोद सिंह पर एक व्यक्ति को झूठे बाइक चोरी के मामले में फंसाने का आरोप लग चुका है। इस मामले में पीड़ित के भाई की शिकायत पर न्यायालय ने सीओ खड्डा को जांच सौंपी थी। ऐसे मामलों ने हनुमानगंज थाने की कार्यप्रणाली पर बार-बार सवाल उठाए हैं।
  Click to listen highlighted text! योगी सरकार और पुलिस की छवि को घूमिल कर रही हनुमानगंज की पुलिस योगी सरकार और पुलिस की छवि को घूमिल कर रही हनुमानगंज की खाकी हनुमानगंज पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, रिश्वत का आरोप और जान की कीमत लगाने पर मचा हड़कंप कुशीनगर। जनपद के हनुमानगंज थाने की पुलिस अपनी कारगुजारियों को लेकर सुर्खियों में है। चोरी, रिश्वत, मारपीट और पीडित का मुकदमा दर्ज करने में हीलाहवाली इस थाने का दस्तूर बन गया है। यही वजह है योगी सरकार मे हनुमानगंज पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर स्थानीय लोगो में जहां खाकी के प्रति रोष बढता जा रहा है वही दिन प्रतिदिन पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। हाल के दो मामलों में हनुमानगंज पुलिस की खूब छिछालेदर हुई है। चोरी के मोटरसाइकिल मामले में रिश्वत का आरोप बीते दिनो हनुमानगंज पुलिस पर चोरी की मोटरसाइकिल के साथ पकड़े गए अभियुक्तों को मोटी रकम लेकर छोड़ने का सनसनीखेज आरोप लगा है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने चोरी के एक मामले में कुछ अभियुक्तों को पकड़ा था, लेकिन मोटी रिश्वत लेकर अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया। इस घटना ने न केवल पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खडे किये, बल्कि आम जनता के बीच पुलिस के प्रति अविश्वास का माहौल कायम कर दिया है। थानेदार की गाड़ी से मजदूर की मौत एक लाख रुपये में सौदा? बतादे कि अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में हनुमानगंज थानाध्यक्ष के मौजूदगी मे उनके सरकारी वाहन से मजदूरी करके घर लौट रहे छोटेलाल भारती को ठोकर लगने से आन दी स्पाट मौत हो गयी थी। घटना की जानकारी जब पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र को हुई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए चालक को निलंबित कर मुकदमा दर्ज करने की बात कही थी। किन्तु हनुमानगंज पुलिस ने मृतक मजदूर की जान की कीमत एक लाख रुपये लगाकर परिजनों दबाव बनाकर मामले को रफा दफा कर दिया। इतना नही मुकदमा दर्ज करने मे भी हनुमानगंज पुलिस ने खेला कर दिया। नतीजतन मुकदमे मे सरकारी वाहन के साथ चालक को अज्ञात दिखाकर पुलिस अपने ही बुने जाल मे उलझ गयी। बताया जाता है कि मजदूर छोटे लाल भारती की मृत्यु के हनुमानगंज पुलिस ने मृतक की पत्नी को दो किस्तो में एक लाख देने के बाद गाड़ी व बयान बदलने के लिए दबाव बना रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पुलिस और जनता के बीच की खाई उत्पन्न करता हैं। घटना से पूर्व ही ले लेते है तहरीर फिर भी नही रोक पाते घटना हनुमानगंज पुलिस की कार्यप्रणाली की एक और मिसाल हाल के दिनों में देखने को मिला है, जहां कथित मारपीट की घटना में लिखित शिकायत घटना से एक दिन पूर्व ही मिल गया पीड़ित परिवार का दावा है कि इंस्पेक्टर ने बिना किसी मारपीट या ठोस सबूत के,एक पक्ष के दबाव में आकर दूसरे पक्ष के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया। इस मामले में न केवल वादी, बल्कि इंस्पेक्टर पर भी षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया जा रहा है। पीड़ित परिवार के अनुसार,वादी ने मुकदमे में घटना की तारीख 12 मार्च 2025 बताई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि तहरीर एक दिन पहले यानी 11 को ही थानेदार को मिल गई थी। परिवार का कहना है कि यह अपने आप में साबित करता है कि मामला फर्जी है और पहले से रची गई साजिश का हिस्सा है। कथित तहरीर के आधार पर इंस्पेक्टर ने अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया, जिसे पीड़ित पक्ष ने पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया है। पीड़ित परिवार को मुकदमे की जानकारी मिली, तो उन्होंने इंस्पेक्टर से संपर्क किया। परिवार का आरोप है कि बातचीत के दौरान इंस्पेक्टर ने एक बार नहीं, बल्कि दो-तीन बार बलपूर्वक अपनी बात रखने की कोशिश की। इंस्पेक्टर ने दावा किया कि तहरीर 11 मार्च को मिली थी और उसी आधार पर कार्रवाई की गई। हालांकि, पीड़ित पक्ष का कहना है कि घटना की तारीख के साथ तहरीर की तारीख का यह विरोधाभास साफ तौर पर इंस्पेक्टर की गलत मंशा को उजागर करता है।पीड़ित परिवार ने इस पूरे मामले को पुलिस की मिलीभगत और एक पक्ष के दबाव का नतीजा बताया। उनका कहना है कि बिना किसी जांच-पड़ताल या सबूत के फर्जी मुकदमा लिखना न केवल कानून का दुरुपयोग है, बल्कि उनके साथ घोर अन्याय भी है। परिवार ने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस का काम लोगों की सुरक्षा करना है या उन्हें फंसाने के लिए साजिश रचना?आगे की कार्रवाई की मांग पीड़ित पक्ष ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और इंस्पेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते इसकी जांच नहीं हुई, तो वे उच्च अधिकारियों और अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। ऐसे मे कहना गलत नही होगा कि हनुमानगंज पुलिस की कार्य प्रणाली न सिर्फ योगी सरकार की बल्कि पुलिस की छवि को धूमिल कर रहा है। विवादों से है गहरा नाता हनुमानगंज पुलिस का यह कारनामा तो महज एक बानगी है जबकि हकीकत यह है कि हनुमानगंज पुलिस अक्सर विवादों में घिरी रहती है। इससे पहले भी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष अजय पटेल और छितौनी चौकी इंचार्ज विनोद सिंह पर एक व्यक्ति को झूठे बाइक चोरी के मामले में फंसाने का आरोप लग चुका है। इस मामले में पीड़ित के भाई की शिकायत पर न्यायालय ने सीओ खड्डा को जांच सौंपी थी। ऐसे मामलों ने हनुमानगंज थाने की कार्यप्रणाली पर बार-बार सवाल उठाए हैं।

योगी सरकार और पुलिस की छवि को घूमिल कर रही हनुमानगंज की पुलिस

योगी सरकार और पुलिस की छवि को घूमिल कर रही हनुमानगंज की खाकी

blank

हनुमानगंज पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, रिश्वत का आरोप और जान की कीमत लगाने पर मचा हड़कंप

कुशीनगर। जनपद के हनुमानगंज थाने की पुलिस अपनी कारगुजारियों को लेकर सुर्खियों में है। चोरी, रिश्वत, मारपीट और पीडित का मुकदमा दर्ज करने में हीलाहवाली इस थाने का दस्तूर बन गया है। यही वजह है योगी सरकार मे हनुमानगंज पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर स्थानीय लोगो में जहां खाकी के प्रति रोष बढता जा रहा है वही दिन प्रतिदिन पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। हाल के दो मामलों में हनुमानगंज पुलिस की खूब छिछालेदर हुई है।

चोरी के मोटरसाइकिल मामले में रिश्वत का आरोप

बीते दिनो हनुमानगंज पुलिस पर चोरी की मोटरसाइकिल के साथ पकड़े गए अभियुक्तों को मोटी रकम लेकर छोड़ने का सनसनीखेज आरोप लगा है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने चोरी के एक मामले में कुछ अभियुक्तों को पकड़ा था, लेकिन मोटी रिश्वत लेकर अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया। इस घटना ने न केवल पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खडे किये, बल्कि आम जनता के बीच पुलिस के प्रति अविश्वास का माहौल कायम कर दिया है।

थानेदार की गाड़ी से मजदूर की मौत एक लाख रुपये में सौदा?

बतादे कि अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में हनुमानगंज थानाध्यक्ष के मौजूदगी मे उनके सरकारी वाहन से मजदूरी करके घर लौट रहे छोटेलाल भारती को ठोकर लगने से आन दी स्पाट मौत हो गयी थी। घटना की जानकारी जब पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र को हुई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए चालक को निलंबित कर मुकदमा दर्ज करने की बात कही थी। किन्तु हनुमानगंज पुलिस ने मृतक मजदूर की जान की कीमत एक लाख रुपये लगाकर परिजनों दबाव बनाकर मामले को रफा दफा कर दिया। इतना नही मुकदमा दर्ज करने मे भी हनुमानगंज पुलिस ने खेला कर दिया। नतीजतन मुकदमे मे सरकारी वाहन के साथ चालक को अज्ञात दिखाकर पुलिस अपने ही बुने जाल मे उलझ गयी। बताया जाता है कि मजदूर छोटे लाल भारती की मृत्यु के हनुमानगंज पुलिस ने मृतक की पत्नी को दो किस्तो में एक लाख देने के बाद गाड़ी व बयान बदलने के लिए दबाव बना रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पुलिस और जनता के बीच की खाई उत्पन्न करता हैं।

घटना से पूर्व ही ले लेते है तहरीर फिर भी नही रोक पाते घटना

हनुमानगंज पुलिस की कार्यप्रणाली की एक और मिसाल हाल के दिनों में देखने को मिला है, जहां कथित मारपीट की घटना में लिखित शिकायत घटना से एक दिन पूर्व ही मिल गया पीड़ित परिवार का दावा है कि इंस्पेक्टर ने बिना किसी मारपीट या ठोस सबूत के,एक पक्ष के दबाव में आकर दूसरे पक्ष के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया। इस मामले में न केवल वादी, बल्कि इंस्पेक्टर पर भी षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया जा रहा है। पीड़ित परिवार के अनुसार,वादी ने मुकदमे में घटना की तारीख 12 मार्च 2025 बताई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि तहरीर एक दिन पहले यानी 11 को ही थानेदार को मिल गई थी। परिवार का कहना है कि यह अपने आप में साबित करता है कि मामला फर्जी है और पहले से रची गई साजिश का हिस्सा है। कथित तहरीर के आधार पर इंस्पेक्टर ने अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया, जिसे पीड़ित पक्ष ने पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया है। पीड़ित परिवार को मुकदमे की जानकारी मिली, तो उन्होंने इंस्पेक्टर से संपर्क किया। परिवार का आरोप है कि बातचीत के दौरान इंस्पेक्टर ने एक बार नहीं, बल्कि दो-तीन बार बलपूर्वक अपनी बात रखने की कोशिश की। इंस्पेक्टर ने दावा किया कि तहरीर 11 मार्च को मिली थी और उसी आधार पर कार्रवाई की गई। हालांकि, पीड़ित पक्ष का कहना है कि घटना की तारीख के साथ तहरीर की तारीख का यह विरोधाभास साफ तौर पर इंस्पेक्टर की गलत मंशा को उजागर करता है।पीड़ित परिवार ने इस पूरे मामले को पुलिस की मिलीभगत और एक पक्ष के दबाव का नतीजा बताया। उनका कहना है कि बिना किसी जांच-पड़ताल या सबूत के फर्जी मुकदमा लिखना न केवल कानून का दुरुपयोग है, बल्कि उनके साथ घोर अन्याय भी है। परिवार ने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस का काम लोगों की सुरक्षा करना है या उन्हें फंसाने के लिए साजिश रचना?आगे की कार्रवाई की मांग पीड़ित पक्ष ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और इंस्पेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते इसकी जांच नहीं हुई, तो वे उच्च अधिकारियों और अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
ऐसे मे कहना गलत नही होगा कि हनुमानगंज पुलिस की कार्य प्रणाली न सिर्फ योगी सरकार की बल्कि पुलिस की छवि को धूमिल कर रहा है।

विवादों से है गहरा नाता

हनुमानगंज पुलिस का यह कारनामा तो महज एक बानगी है जबकि हकीकत यह है कि हनुमानगंज पुलिस अक्सर विवादों में घिरी रहती है। इससे पहले भी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष अजय पटेल और छितौनी चौकी इंचार्ज विनोद सिंह पर एक व्यक्ति को झूठे बाइक चोरी के मामले में फंसाने का आरोप लग चुका है। इस मामले में पीड़ित के भाई की शिकायत पर न्यायालय ने सीओ खड्डा को जांच सौंपी थी। ऐसे मामलों ने हनुमानगंज थाने की कार्यप्रणाली पर बार-बार सवाल उठाए हैं।

  • Related Posts

    खरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास

    खरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास लोकायुक्त न्यूज कसया, कुशीनगर। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन कसया नगर पालिका परिषद…

    अनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश?

    अनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश? पहले अभियुक्त बनाया, फिर आरोप को दिया झूठा करार, अब कोर्ट मे सच बोलने की कही बात लोकायुक्त न्यूज…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    error: Content is protected !!
    Click to listen highlighted text!