
तेलंगाना सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति आरक्षण व्यवस्था में वर्गीकरण लागू किया है। यह फैसला आरक्षण के ढाँचे में बड़ा बदलाव लाने वाला है। अब एससी समुदायों को तीन समूहों में बाँटा जाएगा ताकि आरक्षण का लाभ जरूरतमंदों तक सही तरीके से पहुँचे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार (14 अप्रैल 2025) को राज्य के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने घोषणा की कि राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति शमीम अख्तर (सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज) की अध्यक्षता में बनी आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकारी आदेश (जीओ) जारी कर दिया है।
नए आरक्षण वर्गीकरण के अनुसार–
समूह I: सबसे पिछड़े 15 समुदाय – 1% आरक्षण
समूह II: मध्यम रूप से लाभान्वित 18 समुदाय – 9% आरक्षण
समूह III: अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति वाले 26 समुदाय – 5% आरक्षण
कुल मिलाकर, एससी वर्ग के लिए पहले से मौजूद 15% आरक्षण को अब इन तीन समूहों में बाँट दिया गया है।
इस फैसले की घोषणा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) पर की गई। मंत्री रेड्डी ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा, “पहले की सरकारों ने केवल प्रस्ताव पास किए, हमने उसे जमीन पर उतारा है।”
अब राज्य में होने वाली सभी सरकारी भर्तियाँ और शैक्षिक दाखिले इसी नए मॉडल के तहत होंगे। साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि 2026 की जनगणना में एससी की आबादी बढ़ने पर आरक्षण प्रतिशत को फिर से तय किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने खोला रास्ता
इस कदम की नींव अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले ने रखी थी। कोर्ट ने 6:1 बहुमत से यह स्पष्ट किया था कि एससी/एसटी समुदायों के भीतर उप-वर्गीकरण किया जा सकता है ताकि असल में वंचित समूहों को अधिक फायदा मिल सके। 2004 के ई.वी. चिन्नैया फैसले को पलटते हुए कोर्ट ने कहा कि सभी जातियाँ समान रूप से पिछड़ी नहीं होतीं, इसलिए आरक्षण का बँटवारा भी समान रूप से नहीं हो सकता।