
पश्चिम बंगाल में नए वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम दंगाई सड़कों पर उतर गए हैं। राजधानी कोलकाता समेत कई जगह मुस्लिम भीड़ हिंसा कर रही है। मुर्शिदाबाद में मुस्लिम भीड़ ने 2 लोगों की हत्या भी कर दी है। उन्होंने पुलिस पर भी हमले किए हैं। इस बीच राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह पश्चिम बंगाल में नए वक्फ कानून को लागू नहीं करेंगी।
राज्य में जारी मुस्लिम हिंसा के बीच ममता बनर्जी के इस बयान ने एक बार फिर उनकी मंशा पर प्रश्न उठा दिए हैं। उनके क़ानून लागू ना करने वाले बयान के बाद एक बार फिर केंद्र सरकार के साथ सीधी लड़ाई की नौबत आ गई है। इससे पहले भी कई राज्य केंद्र सरकार के पास किए गए कानून को रोकने की बात कह चुके हैं।
CM ममता बनर्जी ने क्या कहा?
पश्चिम बंगाल में वक्फ पर जारी हिंसा के बीच CM ममता बनर्जी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर इसके राज्य में लागू ना किए जाने को लेकर ऐलान किया। उन्होंने लिखा, “हमने यह कानून नहीं बनाया जिसके खिलाफ बहुत से लोग आंदोलन कर रहे हैं। यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है। इसलिए जो जवाब आप चाहते हैं, वह केंद्र सरकार से माँगिए।”
সবার কাছে আবেদনসব ধর্মের সকল মানুষের কাছে আমার একান্ত আবেদন, আপনারা দয়া করে শান্ত থাকুন, সংযত থাকুন। ধর্মের নামে কোনো অ-ধার্মিক আচরণ করবেন না। প্রত্যেক মানুষের প্রাণই মূল্যবান, রাজনীতির স্বার্থে দাঙ্গা লাগাবেন না। দাঙ্গা যারা করছেন তারা সমাজের ক্ষতি করছেন।মনে রাখবেন, যে…— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) April 12, 2025
CM ममता बनर्जी ने आगे लिखा, “हमने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है – हम इस कानून का कतई समर्थन नहीं करते हैं। यह कानून हमारे राज्य में लागू नहीं होगा। तो फिर दंगा किस बात के लिए हो रहा है?” CM ममता ने दंगा करने वालों एक्शन लेने की बात कही।
क्या सही में वक्फ कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होगा?
ममता बनर्जी के ऐलान के बाद प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या वह वक्फ कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। उन्हें भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा कि देश की संसद से पारित क़ानून को वह नहीं रोक सकती हैं। उन्होंने कहा कि लागू ना करने की यह बात सरासर झूठ है।
Mamata Banerjee is a liar. She was the first to stoke widespread discontent over the Waqf Amendment—even while the JPC and Parliament were still discussing provisions to curb misuse and add safeguards to the new law.She has actively instigated and sponsored violence,… https://t.co/Bw7B7clgWu pic.twitter.com/yDLfzzjCcD— Amit Malviya (@amitmalviya) April 12, 2025
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में अप्रैल माह की शुरुआत में पास किया था। लोकसभा और राज्यसभा में यह साधारण बहुमत से पारित हुआ था। सत्ताधारी भाजपा समेत कई पार्टियों ने इसका समर्थन किया था, जबकि कॉन्ग्रेस समेत कई विपक्षी दल इसके विरोध में थे। इसके पारित होने से पहले कई घंटे की चर्चा लोकसभा-राज्यसभा में हुई थी।
इस विधेयक को 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी थी। इसी के साथ ही यह देश का कानून बन गया था। केंद्र सरकार अब इस कानून के आधार पर नियम बनाएगी और वह लागू किए जाएँगे। यह नियम बनने के बाद नया वक्फ कानून प्रभावी हो जाएगा।
वक्फ कानून में संशोधन एक साधारण विधेयक था। यह कोई संविधान में संशोधन करने वाला अधिनियम नहीं था। ऐसे में संसद में इसे दो तिहाई बहुमत या फिर देश के कम से कम आधे राज्यों की मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। यह संशोधन 1995 के वक्फ कानून में हुए थे।
वक्फ कानून के नए स्वरूप को केंद्र सरकार ही लागू करेगी और इसी के आधार पर राज्यों को इसके लिए गाइडलाइंस भेजे जाते हैं। ऐसे में राज्यों के पास इसे ना लागू करने का विकल्प नहीं बचता है। हालाँकि, इसके विरुद्ध राज्य सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। इसके बाद उन्हें कानून लागू ही करना पड़ेगा।
क्या कहता है संविधान?
देश के संविधान ने कानून बनाने सम्बन्धी शक्तियों का बँटवारा स्पष्ट तौर पर कर रखा है। संविधान के अंतर्गत कानून बनाने सम्बन्धी तीन सूचियाँ हैं। इनमें एक सूची केंद्र सरकार के विषयों की है, इन पर केवल संसद ही कानून बना सकती है। दूसरी सूची राज्य के विषयों की है, जिस पर राज्य कानून बनाते हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में संसद भी इन विषयों पर कानून बनाती है।
वहीं तीसरी सूची को ‘समवर्ती सूची’ कहा जाता है। इसमें आने वाले विषयों पर राज्य और केंद्र दोनों कानून बना सकते हैं। हालाँकि, जिस मामले पर केंद्र सरकार कानून बना देगी, उस पर राज्य कानून नहीं बनाएगा। संसद में दिए गए बयान के अनुसार, भाजपा सरकार ने यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर संविधान में दिए गए अनुच्छेद 25-28 के तहत बनाया है।
ऐसे में इसके पश्चिम बंगाल में लागू ना होने को लेकर प्रश्न नहीं उठते हैं। यदि ममता सरकार इसे नहीं लागू करती तो केंद्र सरकार इसके विरुद्ध कानूनी रास्ता तलाश सकती है। इसमें कोर्ट जाने से लेकर बाकी संवैधानिक कदम शामिल हैं।
पहले भी कानूनों को लेकर राज्यों ने किया है विरोध
वक्फ कोई पहला ऐसा कानून नहीं है, जिसका विरोध किसी राज्य सरकार ने किया है। तीन कृषि कानूनों से लेकर नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे कानूनों का भी विरोध केरल, तमिलनाडु और पंजाब आदि कर चुके हैं। मार्च, 2024 में लागू किए गए CAA को तमिलनाडु और केरल ने अपने यहाँ ना लागू किए जाने की बात कही थी।
इसके बाद विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया था कि यह राज्य CAA लागू करने को बाध्य हैं क्योंकि नागरिकता केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाला मामला है और इसमें राज्यों का कोई दखल नहीं हो सकता। राज्य सरकारें सिर्फ इसके विरुद्ध कोर्ट का ही रास्ता अपना सकती हैं, उनके पास क़ानून को लागू करने से रोकने सम्बन्धित कोई शक्ति नहीं होती।
कुछ राज्यों ने कृषि कानूनों की आलोचना करते हुए प्रस्ताव भी पारित किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर लगाई गई याचिका में स्पष्ट किया था कि ऐसे प्रस्ताव सिर्फ विधानसभा के विचार माने जाएँगे और उनका कोई कानूनी रोल नहीं होगा।