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जॉर्ज सोरोस की संस्था से ₹25 करोड़, USAID से मिले ₹8 करोड़: बेंगलुरु की 3 कंपनियों की जाँच कर रही ED, जानिए केस की एक-एक डिटेल अमेरिका की एजेंसी USAID और जॉर्ज सोरोस के बीच एक ऐसा कनेक्शन सामने आया है, जिसने भारत में हलचल मचा दी है। Enforcement Directorate (ED) की जाँच में पता चला कि बेंगलुरु की कंपनी ASAR Social Impact Advisors को सोरोस की फंडिंग के साथ-साथ USAID से भी पैसा मिला। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ED पिछले कुछ समय से सोरोस के Soros Economic Development Fund (SEDF) से जुड़े मामले की जाँच कर रही थी, जिसमें बेंगलुरु की तीन कंपनियों – ASAR Social Impact Advisors, Rootbridge Services Pvt Ltd और Rootbridge Academy Ltd को 2021 से 2024 के बीच 25 करोड़ रुपये मिले। इसके साथ ही खुलासा हुआ है कि ASAR को 2022-23 में USAID से भी 8 करोड़ रुपये मिले। ED को शक है कि फेमा (Foreign Exchange Management Act) का उल्लंघन हुआ है। ASAR ने सफाई दी कि USAID का पैसा दिल्ली के थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरोनमेंट एंड वॉटर (Council on Energy, Environment and Water (CEEW)) को दी गई सर्विसेज के लिए रीइंबर्समेंट था। सीईईडब्ल्यू का कहना है कि उनका काम हवा को साफ करने से जुड़ा था, जो अब खत्म हो चुका है। लेकिन एएसएआर (ASAR) के अधिकारी ये साफ नहीं बता पाए कि उन्होंने सीईईडब्ल्यू को क्या सर्विस दी और यूएसएआईडी इसमें कैसे शामिल हुआ। ये रहस्य अभी अनसुलझा है। सीईईडब्ल्यू ने बयान जारी कर साफ किया, “हमारा जॉर्ज सोरोस या ओपन सोसायटी फाउंडेशन से कोई लिंक नहीं है। हमने कभी उनसे फंडिंग नहीं ली। ASAR को यूएसएआईडी के एक प्रोजेक्ट के लिए हायर किया था, जो अब खत्म हो गया। हमारा उससे अब कोई रिश्ता नहीं है।” सीईईडब्ल्यू (CEEW) ने ये भी कहा कि उनसे ईडी द्वारा कोई सवाल नहीं पूछा गया और वो अपने मिशन -भारत के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए रिसर्च- पर फोकस्ड हैं। उनका कहना है कि उनका काम ट्रांसपेरेंट है और वो किसी भी जाँच में सहयोग करेंगे। दूसरी तरफ, यूएसएआईडी (USAID) पर ट्रंप प्रशासन पहले ही ‘लेफ्ट, लिबरल और वोक’ एजेंडा फैलाने का आरोप लगा चुका है। अब ईडी ये जानना चाहती है कि यूएसएआईडी का पैसा भारत में किस मकसद से आया। बता दें कि सोरोस की संस्था ओपन सोसायटी फाउंडेशन को 2016 में भारत के गृह मंत्रालय ने ‘Prior Reference Category’ में डाला था। इसका मतलब है कि इसे भारत में किसी भी नॉन-प्रॉफिट को फंड देने से पहले मंजूरी लेनी पड़ती है। ईडी अब ये जाँच रही है कि क्या ओएसएफ ने नियमों का पालन किया या नहीं। साथ ही सोरोस की फंडिंग सिविल राइट्स ग्रुप्स और थिंक टैंक्स तक कैसे पहुँची, ये भी जाँच का हिस्सा है। रूटब्रिज सर्विसेज और रूटब्रिज एकेडमी को भी एसईडीएफ (SEDF) से पैसा मिला, जो ओपन सोसायटी फाउंडेशन का इनवेस्टमेंट आर्म है। ईडी के सूत्रों का कहना है कि इन फंड्स का मकसद और इस्तेमाल संदिग्ध है।   Click to listen highlighted text! जॉर्ज सोरोस की संस्था से ₹25 करोड़, USAID से मिले ₹8 करोड़: बेंगलुरु की 3 कंपनियों की जाँच कर रही ED, जानिए केस की एक-एक डिटेल अमेरिका की एजेंसी USAID और जॉर्ज सोरोस के बीच एक ऐसा कनेक्शन सामने आया है, जिसने भारत में हलचल मचा दी है। Enforcement Directorate (ED) की जाँच में पता चला कि बेंगलुरु की कंपनी ASAR Social Impact Advisors को सोरोस की फंडिंग के साथ-साथ USAID से भी पैसा मिला। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ED पिछले कुछ समय से सोरोस के Soros Economic Development Fund (SEDF) से जुड़े मामले की जाँच कर रही थी, जिसमें बेंगलुरु की तीन कंपनियों – ASAR Social Impact Advisors, Rootbridge Services Pvt Ltd और Rootbridge Academy Ltd को 2021 से 2024 के बीच 25 करोड़ रुपये मिले। इसके साथ ही खुलासा हुआ है कि ASAR को 2022-23 में USAID से भी 8 करोड़ रुपये मिले। ED को शक है कि फेमा (Foreign Exchange Management Act) का उल्लंघन हुआ है। ASAR ने सफाई दी कि USAID का पैसा दिल्ली के थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरोनमेंट एंड वॉटर (Council on Energy, Environment and Water (CEEW)) को दी गई सर्विसेज के लिए रीइंबर्समेंट था। सीईईडब्ल्यू का कहना है कि उनका काम हवा को साफ करने से जुड़ा था, जो अब खत्म हो चुका है। लेकिन एएसएआर (ASAR) के अधिकारी ये साफ नहीं बता पाए कि उन्होंने सीईईडब्ल्यू को क्या सर्विस दी और यूएसएआईडी इसमें कैसे शामिल हुआ। ये रहस्य अभी अनसुलझा है। सीईईडब्ल्यू ने बयान जारी कर साफ किया, “हमारा जॉर्ज सोरोस या ओपन सोसायटी फाउंडेशन से कोई लिंक नहीं है। हमने कभी उनसे फंडिंग नहीं ली। ASAR को यूएसएआईडी के एक प्रोजेक्ट के लिए हायर किया था, जो अब खत्म हो गया। हमारा उससे अब कोई रिश्ता नहीं है।” सीईईडब्ल्यू (CEEW) ने ये भी कहा कि उनसे ईडी द्वारा कोई सवाल नहीं पूछा गया और वो अपने मिशन -भारत के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए रिसर्च- पर फोकस्ड हैं। उनका कहना है कि उनका काम ट्रांसपेरेंट है और वो किसी भी जाँच में सहयोग करेंगे। दूसरी तरफ, यूएसएआईडी (USAID) पर ट्रंप प्रशासन पहले ही ‘लेफ्ट, लिबरल और वोक’ एजेंडा फैलाने का आरोप लगा चुका है। अब ईडी ये जानना चाहती है कि यूएसएआईडी का पैसा भारत में किस मकसद से आया। बता दें कि सोरोस की संस्था ओपन सोसायटी फाउंडेशन को 2016 में भारत के गृह मंत्रालय ने ‘Prior Reference Category’ में डाला था। इसका मतलब है कि इसे भारत में किसी भी नॉन-प्रॉफिट को फंड देने से पहले मंजूरी लेनी पड़ती है। ईडी अब ये जाँच रही है कि क्या ओएसएफ ने नियमों का पालन किया या नहीं। साथ ही सोरोस की फंडिंग सिविल राइट्स ग्रुप्स और थिंक टैंक्स तक कैसे पहुँची, ये भी जाँच का हिस्सा है। रूटब्रिज सर्विसेज और रूटब्रिज एकेडमी को भी एसईडीएफ (SEDF) से पैसा मिला, जो ओपन सोसायटी फाउंडेशन का इनवेस्टमेंट आर्म है। ईडी के सूत्रों का कहना है कि इन फंड्स का मकसद और इस्तेमाल संदिग्ध है।

जॉर्ज सोरोस की संस्था से ₹25 करोड़, USAID से मिले ₹8 करोड़: बेंगलुरु की 3 कंपनियों की जाँच कर रही ED, जानिए केस की एक-एक डिटेल

अमेरिका की एजेंसी USAID और जॉर्ज सोरोस के बीच एक ऐसा कनेक्शन सामने आया है, जिसने भारत में हलचल मचा दी है। Enforcement Directorate (ED) की जाँच में पता चला कि बेंगलुरु की कंपनी ASAR Social Impact Advisors को सोरोस की फंडिंग के साथ-साथ USAID से भी पैसा मिला।

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ED पिछले कुछ समय से सोरोस के Soros Economic Development Fund (SEDF) से जुड़े मामले की जाँच कर रही थी, जिसमें बेंगलुरु की तीन कंपनियों – ASAR Social Impact Advisors, Rootbridge Services Pvt Ltd और Rootbridge Academy Ltd को 2021 से 2024 के बीच 25 करोड़ रुपये मिले। इसके साथ ही खुलासा हुआ है कि ASAR को 2022-23 में USAID से भी 8 करोड़ रुपये मिले।

ED को शक है कि फेमा (Foreign Exchange Management Act) का उल्लंघन हुआ है। ASAR ने सफाई दी कि USAID का पैसा दिल्ली के थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरोनमेंट एंड वॉटर (Council on Energy, Environment and Water (CEEW)) को दी गई सर्विसेज के लिए रीइंबर्समेंट था। सीईईडब्ल्यू का कहना है कि उनका काम हवा को साफ करने से जुड़ा था, जो अब खत्म हो चुका है। लेकिन एएसएआर (ASAR) के अधिकारी ये साफ नहीं बता पाए कि उन्होंने सीईईडब्ल्यू को क्या सर्विस दी और यूएसएआईडी इसमें कैसे शामिल हुआ। ये रहस्य अभी अनसुलझा है।

सीईईडब्ल्यू ने बयान जारी कर साफ किया, “हमारा जॉर्ज सोरोस या ओपन सोसायटी फाउंडेशन से कोई लिंक नहीं है। हमने कभी उनसे फंडिंग नहीं ली। ASAR को यूएसएआईडी के एक प्रोजेक्ट के लिए हायर किया था, जो अब खत्म हो गया। हमारा उससे अब कोई रिश्ता नहीं है।” सीईईडब्ल्यू (CEEW) ने ये भी कहा कि उनसे ईडी द्वारा कोई सवाल नहीं पूछा गया और वो अपने मिशन -भारत के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए रिसर्च- पर फोकस्ड हैं। उनका कहना है कि उनका काम ट्रांसपेरेंट है और वो किसी भी जाँच में सहयोग करेंगे।

दूसरी तरफ, यूएसएआईडी (USAID) पर ट्रंप प्रशासन पहले ही ‘लेफ्ट, लिबरल और वोक’ एजेंडा फैलाने का आरोप लगा चुका है। अब ईडी ये जानना चाहती है कि यूएसएआईडी का पैसा भारत में किस मकसद से आया।

बता दें कि सोरोस की संस्था ओपन सोसायटी फाउंडेशन को 2016 में भारत के गृह मंत्रालय ने ‘Prior Reference Category’ में डाला था। इसका मतलब है कि इसे भारत में किसी भी नॉन-प्रॉफिट को फंड देने से पहले मंजूरी लेनी पड़ती है। ईडी अब ये जाँच रही है कि क्या ओएसएफ ने नियमों का पालन किया या नहीं। साथ ही सोरोस की फंडिंग सिविल राइट्स ग्रुप्स और थिंक टैंक्स तक कैसे पहुँची, ये भी जाँच का हिस्सा है।

रूटब्रिज सर्विसेज और रूटब्रिज एकेडमी को भी एसईडीएफ (SEDF) से पैसा मिला, जो ओपन सोसायटी फाउंडेशन का इनवेस्टमेंट आर्म है। ईडी के सूत्रों का कहना है कि इन फंड्स का मकसद और इस्तेमाल संदिग्ध है।

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