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दावा 20000 कमरों का, मिले 7000 ही: दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने बताया- किचन-टॉयलेट को भी क्लासरूम में गिनती थी केजरीवाल सरकार, ₹49 लाख की ‘देशभक्ति’ के प्रचार पर खर्च किए ₹11 करोड़ दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के आँकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए थे। जितने क्लासरूम बनाने का दावा केजरीवाल सरकार करती थी, उसका एक तिहाई ही असल में निर्माण हुआ था। वहीं एक ₹4 करोड़ की योजना के प्रचार के लिए ₹20 करोड़ का खर्च किया गया था। यह सारे खुलासे के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने किए हैं। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र की चर्चा के दौरान पूर्ववर्ती सरकार के विषय में कई आँकड़े रखे हैं। उन्होंने शुक्रवार (28 मार्च, 2025) को बताया कि केजरीवाल सरकार के दौरान शिक्षा मॉडल का प्रचार करते हुए दावा किया जाता था कि 20 हजार कमरे बनाए गए। मंत्री सूद ने बताया कि यह झूठ था और जब इस विषय में जाँच करवाई गई तो कमरों की संख्या की 7 हजार ही निकली है। सूद ने बताया कि केजरीवाल सरकार जिन्हें क्लासरूम बताती थी, वह असल में स्टोररूम, किचन और बाकी कामों के लिए बनाए जाने वाले कमरे थे। "एक दिन तुम्हारे कर्म तुमसे मिलने आएंगेबस तुम उस दिन हैरान मत होना ""शिक्षा क्रांति" और "सपनों का स्कूल" बनाने वालों ने टॉयलेट और स्टोर रूम की भी गिनती क्लास रूम में ही की है।20,000 क्लास रूम गिनाने वालों की जब जांच हुई तो सिर्फ 7,000 क्लास रूम ही निकले।ये है आम आदमी पार्टी… pic.twitter.com/S2VGCQ94st— Ashish Sood (@ashishsood_bjp) March 27, 2025 केजरीवाल सरकार ने शौचालयों तक को बच्चों की पढ़ाई का कमरा बता दिया था। मंत्री सूद ने बताया है कि भाजपा सरकार अब लोक निर्माण विभाग (PWD) को इस विषय में आदेश देगी कि वह मात्र क्लास रूम को ही गिने ना कि बाकी तरह के निर्माण को। शिक्षा मंत्री सूद ने यह भी बताया है कि केजरीवाल सरकार के दौरान स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम नाम का पाठ्क्रम जोड़ा गया था। इस पर ₹4 करोड़ खर्च किए गए थे। लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसके प्रचार पर ₹20 करोड़ का खर्च कर डाला। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल की सरकार के दौरान देशभक्ति करिकुलम पर ₹49 लाख खर्च किए गए और इसके प्रचार पर ₹11 करोड़ से अधिक खर्च कर दिए गए। आशीष सूद ने आम आदमी पार्टी से कहा कि उनके कर्म वापस उनके पास आएँगे। दिल्ली के स्कूलों में कमरों को निर्माण को लेकर यह पहला खुलासा नहीं है। इससे पहले केजरीवाल सरकार पर स्कूल कमरों के निर्माण में हजारों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा था। मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने ₹1300 करोड़ का घोटाला स्कूल के कमरों के निर्माण में किया। आरोप है कि उन्होंने उन एजेंसियों को भी पैसे दे दिए जिन्होंने कमरे बनाए ही नहीं। इसको लेकर दर्ज की गई शिकायत के बाद उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी भी राष्ट्रपति मुर्मू ने हाल ही में दे दी थी। अब इस मामले में आगे कार्रवाई होनी है। शिक्षा मॉडल पर चिल्लाने वाली केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्कूल पर कुछ ख़ास काम नहीं किया था। एक रिपोर्ट बताती है कि आम आदमी पार्टी के शासन के दौरान दिल्ली के भीतर मात्र 75 नए स्कूल बनाए गए थे। पुराने स्कूलों को नया नाम देकर या उनमें मरम्मत का काम करवा कर केजरीवाल लाइमलाईट लूटना चाहते थे।   Click to listen highlighted text! दावा 20000 कमरों का, मिले 7000 ही: दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने बताया- किचन-टॉयलेट को भी क्लासरूम में गिनती थी केजरीवाल सरकार, ₹49 लाख की ‘देशभक्ति’ के प्रचार पर खर्च किए ₹11 करोड़ दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के आँकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए थे। जितने क्लासरूम बनाने का दावा केजरीवाल सरकार करती थी, उसका एक तिहाई ही असल में निर्माण हुआ था। वहीं एक ₹4 करोड़ की योजना के प्रचार के लिए ₹20 करोड़ का खर्च किया गया था। यह सारे खुलासे के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने किए हैं। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र की चर्चा के दौरान पूर्ववर्ती सरकार के विषय में कई आँकड़े रखे हैं। उन्होंने शुक्रवार (28 मार्च, 2025) को बताया कि केजरीवाल सरकार के दौरान शिक्षा मॉडल का प्रचार करते हुए दावा किया जाता था कि 20 हजार कमरे बनाए गए। मंत्री सूद ने बताया कि यह झूठ था और जब इस विषय में जाँच करवाई गई तो कमरों की संख्या की 7 हजार ही निकली है। सूद ने बताया कि केजरीवाल सरकार जिन्हें क्लासरूम बताती थी, वह असल में स्टोररूम, किचन और बाकी कामों के लिए बनाए जाने वाले कमरे थे। "एक दिन तुम्हारे कर्म तुमसे मिलने आएंगेबस तुम उस दिन हैरान मत होना ""शिक्षा क्रांति" और "सपनों का स्कूल" बनाने वालों ने टॉयलेट और स्टोर रूम की भी गिनती क्लास रूम में ही की है।20,000 क्लास रूम गिनाने वालों की जब जांच हुई तो सिर्फ 7,000 क्लास रूम ही निकले।ये है आम आदमी पार्टी… pic.twitter.com/S2VGCQ94st— Ashish Sood (@ashishsood_bjp) March 27, 2025 केजरीवाल सरकार ने शौचालयों तक को बच्चों की पढ़ाई का कमरा बता दिया था। मंत्री सूद ने बताया है कि भाजपा सरकार अब लोक निर्माण विभाग (PWD) को इस विषय में आदेश देगी कि वह मात्र क्लास रूम को ही गिने ना कि बाकी तरह के निर्माण को। शिक्षा मंत्री सूद ने यह भी बताया है कि केजरीवाल सरकार के दौरान स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम नाम का पाठ्क्रम जोड़ा गया था। इस पर ₹4 करोड़ खर्च किए गए थे। लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसके प्रचार पर ₹20 करोड़ का खर्च कर डाला। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल की सरकार के दौरान देशभक्ति करिकुलम पर ₹49 लाख खर्च किए गए और इसके प्रचार पर ₹11 करोड़ से अधिक खर्च कर दिए गए। आशीष सूद ने आम आदमी पार्टी से कहा कि उनके कर्म वापस उनके पास आएँगे। दिल्ली के स्कूलों में कमरों को निर्माण को लेकर यह पहला खुलासा नहीं है। इससे पहले केजरीवाल सरकार पर स्कूल कमरों के निर्माण में हजारों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा था। मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने ₹1300 करोड़ का घोटाला स्कूल के कमरों के निर्माण में किया। आरोप है कि उन्होंने उन एजेंसियों को भी पैसे दे दिए जिन्होंने कमरे बनाए ही नहीं। इसको लेकर दर्ज की गई शिकायत के बाद उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी भी राष्ट्रपति मुर्मू ने हाल ही में दे दी थी। अब इस मामले में आगे कार्रवाई होनी है। शिक्षा मॉडल पर चिल्लाने वाली केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्कूल पर कुछ ख़ास काम नहीं किया था। एक रिपोर्ट बताती है कि आम आदमी पार्टी के शासन के दौरान दिल्ली के भीतर मात्र 75 नए स्कूल बनाए गए थे। पुराने स्कूलों को नया नाम देकर या उनमें मरम्मत का काम करवा कर केजरीवाल लाइमलाईट लूटना चाहते थे।

दावा 20000 कमरों का, मिले 7000 ही: दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने बताया- किचन-टॉयलेट को भी क्लासरूम में गिनती थी केजरीवाल सरकार, ₹49 लाख की ‘देशभक्ति’ के प्रचार पर खर्च किए ₹11 करोड़

दिल्ली आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के आँकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए थे। जितने क्लासरूम बनाने का दावा केजरीवाल सरकार करती थी, उसका एक तिहाई ही असल में निर्माण हुआ था। वहीं एक ₹4 करोड़ की योजना के प्रचार के लिए ₹20 करोड़ का खर्च किया गया था। यह सारे खुलासे के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने किए हैं।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र की चर्चा के दौरान पूर्ववर्ती सरकार के विषय में कई आँकड़े रखे हैं। उन्होंने शुक्रवार (28 मार्च, 2025) को बताया कि केजरीवाल सरकार के दौरान शिक्षा मॉडल का प्रचार करते हुए दावा किया जाता था कि 20 हजार कमरे बनाए गए।

मंत्री सूद ने बताया कि यह झूठ था और जब इस विषय में जाँच करवाई गई तो कमरों की संख्या की 7 हजार ही निकली है। सूद ने बताया कि केजरीवाल सरकार जिन्हें क्लासरूम बताती थी, वह असल में स्टोररूम, किचन और बाकी कामों के लिए बनाए जाने वाले कमरे थे।

"एक दिन तुम्हारे कर्म तुमसे मिलने आएंगेबस तुम उस दिन हैरान मत होना ""शिक्षा क्रांति" और "सपनों का स्कूल" बनाने वालों ने टॉयलेट और स्टोर रूम की भी गिनती क्लास रूम में ही की है।20,000 क्लास रूम गिनाने वालों की जब जांच हुई तो सिर्फ 7,000 क्लास रूम ही निकले।ये है आम आदमी पार्टी… pic.twitter.com/S2VGCQ94st— Ashish Sood (@ashishsood_bjp) March 27, 2025

केजरीवाल सरकार ने शौचालयों तक को बच्चों की पढ़ाई का कमरा बता दिया था। मंत्री सूद ने बताया है कि भाजपा सरकार अब लोक निर्माण विभाग (PWD) को इस विषय में आदेश देगी कि वह मात्र क्लास रूम को ही गिने ना कि बाकी तरह के निर्माण को।

शिक्षा मंत्री सूद ने यह भी बताया है कि केजरीवाल सरकार के दौरान स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम नाम का पाठ्क्रम जोड़ा गया था। इस पर ₹4 करोड़ खर्च किए गए थे। लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसके प्रचार पर ₹20 करोड़ का खर्च कर डाला।

उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल की सरकार के दौरान देशभक्ति करिकुलम पर ₹49 लाख खर्च किए गए और इसके प्रचार पर ₹11 करोड़ से अधिक खर्च कर दिए गए। आशीष सूद ने आम आदमी पार्टी से कहा कि उनके कर्म वापस उनके पास आएँगे।

दिल्ली के स्कूलों में कमरों को निर्माण को लेकर यह पहला खुलासा नहीं है। इससे पहले केजरीवाल सरकार पर स्कूल कमरों के निर्माण में हजारों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा था। मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने ₹1300 करोड़ का घोटाला स्कूल के कमरों के निर्माण में किया।

आरोप है कि उन्होंने उन एजेंसियों को भी पैसे दे दिए जिन्होंने कमरे बनाए ही नहीं। इसको लेकर दर्ज की गई शिकायत के बाद उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी भी राष्ट्रपति मुर्मू ने हाल ही में दे दी थी। अब इस मामले में आगे कार्रवाई होनी है।

शिक्षा मॉडल पर चिल्लाने वाली केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में स्कूल पर कुछ ख़ास काम नहीं किया था। एक रिपोर्ट बताती है कि आम आदमी पार्टी के शासन के दौरान दिल्ली के भीतर मात्र 75 नए स्कूल बनाए गए थे। पुराने स्कूलों को नया नाम देकर या उनमें मरम्मत का काम करवा कर केजरीवाल लाइमलाईट लूटना चाहते थे।

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