
मथुरा। एक तरफ तो सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ बार बार बैठक कर अपने अधिनस्थों को कह रहे हैं कि जनसुनवाई पोर्टर पर दर्ज की गई शिकायतों को निस्तारण गलत नहीं होना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ मथुरा जनपद में कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकरी डॉ गोपाल सिंह द्वारा हाल ही में जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज की गयी शिकायत का निस्तारण करते समय यह ध्यान रखा गया है कि अशरफ अली शेख द्वारा किये जा रहे फर्जीवाडे पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए और अपनी भी जेब गर्म होनी चाहिए।
मामला यह है कि मथुरा के महोली रॉड पर प्रत्येक रविवार को डॉ शेख का गुप्त रोग का क्लीनिक संचालित है। सूत्रों की मानें तो उक्त क्लीनिक में अशरफ अली शेख नाम के व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से चिकित्सा कार्य किया जाता है। वह किसी भी चिकित्सा पद्धति से अधिकृत चिकित्सक नहीं है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक व्यक्ति ने अशरफ अली शेख के फर्जीवाडे की शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज की थी। जिसके बाद शिकायत के निस्तारण ने चौंकाने वाले सवाल खडे कर दिये। निस्तारण में उल्लेख किया है कि उक्त क्लीनिक में क्लीनिक में डॉ सुशील कुमार ही चिकित्सकीय कार्य करते मिलें, पैरा मेडिकल स्टाफ भी उपस्थित मिले। जबकि शिकायतकर्ता के पास अशरफ अली शेख द्ववारा की जा रही अवैध रूप से चिकित्सा कार्य करने की विडीयो फुटेज भी मौजूद है। बताते चलें कि विडीयो में साफ तौर पर देखा जा सकता है अशरफ अली शेख मुख्य सीट पर बैठकर चिकित्सा कार्य करते हुए नजर आ रहा है।
बताते चलें कि उक्त प्रकरण की खबर एक न्यूज पोर्टल ने भी प्रसारित की बावजूद इसके कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ गोपाल सिंह द्वारा उक्त प्रकरण में कोई भी कार्रवाई नहीं करते हुए शिकायत का गलत निस्तारण किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी में बताया है कि उक्त क्लीनिक में पंजीकृत चिकित्सक डॉ सुशील कुमार चिकित्सकीय कार्य करने के लिए उपस्थिन रहते ही नहीं है। प्रत्येक रविवार को अशरफ अली शेख ही चिकित्सा कार्य करता है, जिसका विडियो साक्ष्य भी उपल्बध है।
सूत्रों की मानें तो अशरफ अली शेख को बचाने के लिए कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ गोपाल सिंह ने फर्जीवाडे को हकीकत दिखाने के लिए अशरफ अली शेख से मोटी रकम रिश्वत के रूप में ली है, जिसके कारण जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज की गयी शिकायत का गलत निस्तारण किया गया है व शिकायतकर्ता से अधिकारी द्वारा संपर्क भी नहीं किया गया है। उक्त प्रकरण की जानकारी शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया गया है।
अब देखना यह होगा कि उक्त फर्जीवाडे पर मथुरा प्रशासन द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है?