
राज्यपाल के कार्यक्रम में भूख-प्यास से तड़पते रहे नौनिहाल-प्रशासन की बदइंतजामी उजागर, जिले के 85% मीडिया ने किया बहिष्कार!
बैलिस्टर तिवारी/लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के कुशीनगर दौरे के दौरान जिला प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्था खुलकर सामने आई। राज्यपाल जहां आंगनबाड़ी केंद्रों के महत्व पर जोर देते हुए बच्चों को केंद्रों तक लाने की जिम्मेदारी तय कर रही थीं, वहीं उनके कार्यक्रम में बुलाए गए आंगनबाड़ी केंद्रों के मासूम बच्चे भूख और प्यास से तड़पते नजर आए। राज्यपाल का कार्यक्रम 18 मार्च को कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित हुआ था, जिसमें उन्हें आंगनबाड़ी किट, लाभार्थियों को भूमि पट्टा, आवास की चाबी, चेक और प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ टीबी रोगियों को पोषण पोटली भी देनी थी।
इसके बाद जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक प्रस्तावित थी। राज्यपाल का यह दौरा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को अंतिम पायदान तक पहुंचाने और नशा मुक्ति अभियान व मानव तस्करी पर रोक लगाने को लेकर दिशा-निर्देश देने के लिए आयोजित किया गया था।हालांकि, जिला प्रशासन ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने के बजाय अपनी अव्यवस्थाओं को छुपाने में अधिक ध्यान दिया।
कार्यक्रम में मीडिया को सीमित करने की कोशिश की गई, जिससे कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, समाचार एजेंसियों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा जिले से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं सहित 85% मीडिया ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया। चर्चा यह भी रही कि प्रशासन ने केवल चुनिंदा स्थानीय पत्रकारों को ही कार्यक्रम की कवरेज की अनुमति दी थी, जिससे लखनऊ और दिल्ली से प्रकाशित समाचार पत्रों के पत्रकारों ने इसे कवर नहीं किया। सूत्रों के अनुसार, अपर जिलाधिकारी वैभव मिश्र नहीं चाहते थे कि प्रशासन की खामियां उजागर हों, इसलिए सिर्फ दस स्थानीय पत्रकारों को पास जारी किए गए। लेकिन प्रशासन की यह कोशिश भी कार्यक्रम में मौजूद बच्चों की दयनीय स्थिति को छुपाने में असफल रही। सुबह आठ बजे से मौजूद मासूम बच्चे भूख और प्यास से बेहाल नजर आए, लेकिन किसी अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की बात कही, लेकिन जिस तरह कार्यक्रम में मासूम बच्चों को घंटों तक भूखा-प्यासा रखा गया, उसने प्रशासन के दावों की पोल खोल दी। इस अव्यवस्था से स्थानीय लोगों में नाराजगी है और उन्होंने जिला प्रशासन की इस लापरवाही की कड़ी आलोचना की है।