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अमरोहा : सदियों पुरानी परंपरा वाली टोपियाँ बनी भाईचारे की मिसाल अमरोहा : सदियों पुरानी परंपरा वाली टोपियाँ बनी भाईचारे की मिसाल लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश में जनपद अमरोहा के मोहल्ला बटवाल में रहने वाला एक मुस्लिम परिवार सदियों से सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश कर रहा है। यह परिवार हर साल होली के पवित्र पर्व के लिए बेहद खास तरीके से रंग-बिरंगी टोपियां तैयार करता है। इन टोपियों को देशभर में पसंद किया जाता है और लोग इन्हें खास तौर पर मंगवाते हैं। https://youtu.be/9qL9xBg0EtI?si=W-Qfb7ycXDum9z8Z परिवार के टोपी कारीगर हुजैफा बेग ने बताया कि यह परंपरा उनके पूर्वजों से चली आ रही है। उन्होंने कहा, "इस काम में भले ही मुनाफा बहुत ज्यादा नहीं होता, लेकिन दिलों को जोड़ने वाली इस परंपरा को निभाने से जो खुशी और संतोष मिलता है, उसकी कोई कीमत नहीं है।" देशभर से आते हैं ऑर्डर : इस परिवार को अमरोहा के अलावा देश के कई बड़े शहरों से होली की टोपियों के ऑर्डर मिलते हैं। टोपियां तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह से हाथों से की जाती है, जिसमें महीनों की मेहनत लगती है। ये टोपियां सिर पर सजने वाली रंगीन परंपरा के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी हैं। हुजैफा बेग ने बताया, "हमारी कोशिश होती है कि हर साल बेहतर डिजाइन और गुणवत्ता की टोपियां बनाएं। ये टोपियां सिर्फ एक वस्तु नहीं हैं, बल्कि एक संदेश हैं कि धर्म और समुदायों से परे हम सब एक हैं।" मेलजोल और भाईचारे की मिसाल यह परंपरा यह साबित करती है कि अमरोहा की छोटी-छोटी गलियां भी बड़े संदेश दे सकती हैं। मोहल्ला बटवाल के इस परिवार की मेहनत और समर्पण देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द की प्रेरणा बन रही है। बाइट : हुजैफा बेग, टोपी कारीगर "हम इस काम को सिर्फ व्यवसाय नहीं मानते, यह हमारे लिए एक जिम्मेदारी है। होली की टोपियां तैयार करना हमें खुशी देता है, क्योंकि इससे हम अलग-अलग धर्मों के बीच प्यार और अपनापन फैला पाते हैं।" अमरोहा का यह अनोखा परिवार साबित करता है कि प्यार और भाईचारा किसी धर्म या जाति से नहीं, बल्कि इंसानियत से ऊपर होता है।   Click to listen highlighted text! अमरोहा : सदियों पुरानी परंपरा वाली टोपियाँ बनी भाईचारे की मिसाल अमरोहा : सदियों पुरानी परंपरा वाली टोपियाँ बनी भाईचारे की मिसाल लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश में जनपद अमरोहा के मोहल्ला बटवाल में रहने वाला एक मुस्लिम परिवार सदियों से सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश कर रहा है। यह परिवार हर साल होली के पवित्र पर्व के लिए बेहद खास तरीके से रंग-बिरंगी टोपियां तैयार करता है। इन टोपियों को देशभर में पसंद किया जाता है और लोग इन्हें खास तौर पर मंगवाते हैं। https://youtu.be/9qL9xBg0EtI?si=W-Qfb7ycXDum9z8Z परिवार के टोपी कारीगर हुजैफा बेग ने बताया कि यह परंपरा उनके पूर्वजों से चली आ रही है। उन्होंने कहा, इस काम में भले ही मुनाफा बहुत ज्यादा नहीं होता, लेकिन दिलों को जोड़ने वाली इस परंपरा को निभाने से जो खुशी और संतोष मिलता है, उसकी कोई कीमत नहीं है। देशभर से आते हैं ऑर्डर : इस परिवार को अमरोहा के अलावा देश के कई बड़े शहरों से होली की टोपियों के ऑर्डर मिलते हैं। टोपियां तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह से हाथों से की जाती है, जिसमें महीनों की मेहनत लगती है। ये टोपियां सिर पर सजने वाली रंगीन परंपरा के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी हैं। हुजैफा बेग ने बताया, हमारी कोशिश होती है कि हर साल बेहतर डिजाइन और गुणवत्ता की टोपियां बनाएं। ये टोपियां सिर्फ एक वस्तु नहीं हैं, बल्कि एक संदेश हैं कि धर्म और समुदायों से परे हम सब एक हैं। मेलजोल और भाईचारे की मिसाल यह परंपरा यह साबित करती है कि अमरोहा की छोटी-छोटी गलियां भी बड़े संदेश दे सकती हैं। मोहल्ला बटवाल के इस परिवार की मेहनत और समर्पण देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द की प्रेरणा बन रही है। बाइट : हुजैफा बेग, टोपी कारीगर हम इस काम को सिर्फ व्यवसाय नहीं मानते, यह हमारे लिए एक जिम्मेदारी है। होली की टोपियां तैयार करना हमें खुशी देता है, क्योंकि इससे हम अलग-अलग धर्मों के बीच प्यार और अपनापन फैला पाते हैं। अमरोहा का यह अनोखा परिवार साबित करता है कि प्यार और भाईचारा किसी धर्म या जाति से नहीं, बल्कि इंसानियत से ऊपर होता है।

अमरोहा : सदियों पुरानी परंपरा वाली टोपियाँ बनी भाईचारे की मिसाल

अमरोहा : सदियों पुरानी परंपरा वाली टोपियाँ बनी भाईचारे की मिसाल

लोकायुक्त न्यूज़ 
उत्तर प्रदेश में जनपद अमरोहा के मोहल्ला बटवाल में रहने वाला एक मुस्लिम परिवार सदियों से सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश कर रहा है। यह परिवार हर साल होली के पवित्र पर्व के लिए बेहद खास तरीके से रंग-बिरंगी टोपियां तैयार करता है। इन टोपियों को देशभर में पसंद किया जाता है और लोग इन्हें खास तौर पर मंगवाते हैं।

परिवार के टोपी कारीगर हुजैफा बेग ने बताया कि यह परंपरा उनके पूर्वजों से चली आ रही है। उन्होंने कहा, “इस काम में भले ही मुनाफा बहुत ज्यादा नहीं होता, लेकिन दिलों को जोड़ने वाली इस परंपरा को निभाने से जो खुशी और संतोष मिलता है, उसकी कोई कीमत नहीं है।”

देशभर से आते हैं ऑर्डर : इस परिवार को अमरोहा के अलावा देश के कई बड़े शहरों से होली की टोपियों के ऑर्डर मिलते हैं। टोपियां तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह से हाथों से की जाती है, जिसमें महीनों की मेहनत लगती है। ये टोपियां सिर पर सजने वाली रंगीन परंपरा के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी हैं।

हुजैफा बेग ने बताया, “हमारी कोशिश होती है कि हर साल बेहतर डिजाइन और गुणवत्ता की टोपियां बनाएं। ये टोपियां सिर्फ एक वस्तु नहीं हैं, बल्कि एक संदेश हैं कि धर्म और समुदायों से परे हम सब एक हैं।”

मेलजोल और भाईचारे की मिसाल यह परंपरा यह साबित करती है कि अमरोहा की छोटी-छोटी गलियां भी बड़े संदेश दे सकती हैं। मोहल्ला बटवाल के इस परिवार की मेहनत और समर्पण देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द की प्रेरणा बन रही है।

बाइट : हुजैफा बेग, टोपी कारीगर
“हम इस काम को सिर्फ व्यवसाय नहीं मानते, यह हमारे लिए एक जिम्मेदारी है। होली की टोपियां तैयार करना हमें खुशी देता है, क्योंकि इससे हम अलग-अलग धर्मों के बीच प्यार और अपनापन फैला पाते हैं।”

अमरोहा का यह अनोखा परिवार साबित करता है कि प्यार और भाईचारा किसी धर्म या जाति से नहीं, बल्कि इंसानियत से ऊपर होता है।

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