
सीएमओ साहब! लापरवाही से मौत की नींद सुलाने वाले अस्पताल कब होंगे सील?
_एक सप्ताह में जिले के दो अस्पतालों ने छीनी दो जिंदगियां_
_जनपद के हाटा स्थित सिंह मैक्स अस्पताल और कसया एनएच-28 पर संचालित आरएस अस्पताल बना घायलों की मौत का कारण_
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। जनपद में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से निजी अस्पतालों में डॉक्टरों की मनमानी और लापरवाही से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अधिकतर अवैध रूप से संचालित अस्पताल या बड़े नामों के फर्जी बोर्ड लगाकर चलाए जा रहे अस्पताल ही इस लापरवाही के सबसे बड़े केंद्र बने हुए हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं। इसका नतीजा यह है कि बीते शुक्रवार को हाटा नगर में संचालित सिंह मैक्स अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही के कारण एक प्रसूता की मौत हो गई, जबकि शनिवार को कसया एनएच-28 पर स्थित सरस ग्रुप के आरएस अस्पताल ने पांच घंटे तक घायल युवक को इलाज के अभाव में मौत के मुंह में धकेल दिया। हैरानी की बात यह है कि अब तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी किसी भी अस्पताल के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर सके हैं।
मामला-1: सिंह मैक्स अस्पताल में प्रसूता की मौत
हाटा नगर के वार्ड नंबर 17 निवासी 25 वर्षीय सुमन को प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिजन सिंह मैक्स अस्पताल लेकर पहुंचे थे। ऑपरेशन के बाद महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। डॉक्टरों ने जच्चा-बच्चा दोनों को स्वस्थ बताया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद अस्पताल प्रशासन ने बताया कि प्रसूता की हालत बिगड़ गई है। परिजनों के मुताबिक, अस्पताल प्रशासन ने महिला को देखने भी नहीं दिया और खुद ही उसे एंबुलेंस में गोरखपुर लेकर चला गया, जहां उसकी मौत की सूचना दी गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने समय रहते इलाज नहीं किया और लापरवाही के कारण महिला की जान चली गई। मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता बनी हुई है और अभी तक अस्पताल के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
मामला-2: आरएस अस्पताल में घायल युवक की मौत
कसया एनएच-28 पर स्थित सरस ग्रुप के आरएस अस्पताल की लापरवाही के कारण सड़क दुर्घटना में घायल अभय की मौत हो गई। परिजनों के अनुसार, दुर्घटना के बाद अस्पताल पहुंचने पर वहां मौजूद दो नर्सों ने डॉक्टर को बुलाने का आश्वासन दिया और भर्ती की प्रक्रिया पूरी कराई। लेकिन रात ढाई बजे से सुबह आठ बजे तक डॉक्टर अस्पताल नहीं पहुंचा। इस दौरान नर्सें बार-बार अस्पताल संचालक से बात कर डॉक्टर के आने का आश्वासन देती रहीं। सुबह आठ बजे परिजनों से एक लाख रुपये जमा करने को कहा गया, जिसके बाद डॉक्टर के आने और इलाज शुरू होने की बात कही गई। परिजनों ने रुपये जमा कर दिए, लेकिन इलाज के अभाव में अभय की हालत बिगड़ती गई और अंततः सुबह नौ बजे उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने गोरखपुर रेफर कर दिया। मृतक के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने जानबूझकर इलाज में देरी की और पैसे ऐंठने के बाद भी कोई चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं की। इस मामले में भी स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही देखने को मिल रही है, क्योंकि अब तक अस्पताल को सील नहीं किया गया और न ही इसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की गई।
स्वास्थ्य विभाग पर सवाल
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 2024 में भी पडरौना नगर के छावनी (कसया-पडरौना मार्ग) स्थित सरस अस्पताल में लापरवाही के कारण एक नवजात की मौत हो गई थी। परिजनों ने डॉक्टर और अस्पताल संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की जांच में लापरवाही की पुष्टि होने के बावजूद अस्पताल संचालक ऊंची पहुंच के चलते गिरफ्तारी से बच गए थे। आज भी वही कहानी दोहराई जा रही है। सिंह मैक्स और आरएस अस्पताल की घोर लापरवाही से दो जिंदगियां चली गईं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
प्रशासन की निष्क्रियता और जनता का आक्रोश
इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि जब तक दोषी डॉक्टरों और अस्पताल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। प्रशासन को चाहिए कि अविलंब इन अस्पतालों को सील कर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में किसी और की जान न जाए।