Welcome to Lokayukt News   Click to listen highlighted text! Welcome to Lokayukt News
Latest Story
blankखरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यासblankअनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश?blankपडरौना उपकेंद्र से कल पांच घंटे रहेगी बिजली आपूर्ति बाधितblankकुशीनगर में 26 सितंबर को लगेगा एक दिवसीय रोजगार मेलाblank950 कैप्सूल नशीली दवा के साथ युवक गिरफ्तार, बाइक भी जब्तblankकल सुबह 9 बजे से 3 बजे तक दुदही क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति रहेगी बन्दblankबेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए गोडरिया फीडर पर छटाई अभियान शुरूblankप्रेमी संग मिलकर पत्नी ने पति की हत्या, 24 घंटे में पुलिस ने किया खुलासाblankराष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 140251 वादों का हुआ निस्तारणblankसपा नेता जावेद इकबाल ने लगाई चौपाल, किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरा
Update : संभल जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित Update : जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश के संभल में चर्चित जामा मस्जिद परिसर के अंदर स्थित एक कुएं को लेकर विवाद ने हाल के दिनों में तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार और जामा मस्जिद कमेटी के बीच इस कुएं की स्थिति को लेकर असहमति है। https://youtu.be/A-InxmNLuYY उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जामा मस्जिद और उसके परिसर में स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना हुआ है। इस दावे का मस्जिद कमेटी ने पुरजोर विरोध किया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह भूमि मस्जिद की निजी संपत्ति है और सदियों से इसका धार्मिक महत्व है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पहले तय तारीख पर होनी थी, लेकिन इसे एक हफ़्ते के लिए टाल दिया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 4 मार्च 2025 तय की गई है। जामा मस्जिद कमेटी के शाही अध्यक्ष जफर अली ने बताया कि अदालत ने उन्हें इस मामले में स्थिति को स्पष्ट करने के लिए और समय दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद और परिसर की जमीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से मस्जिद की है, और सरकार का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है। सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक भूमि का उपयोग धार्मिक या निजी उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि मस्जिद और कुएं का निर्माण एक सार्वजनिक क्षेत्र पर हुआ है, और इसकी जांच रिपोर्ट पहले ही कोर्ट में पेश की जा चुकी है। यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। वहीं, सरकार इस मामले को कानूनी नजरिए से देख रही है। अब 4 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि मामले को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए। मस्जिद कमेटी को अपनी दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इस विवाद का हल अदालत के फैसले के बाद ही हो सकेगा।   Click to listen highlighted text! Update : संभल जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित Update : जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया लोकायुक्त न्यूज़  उत्तर प्रदेश के संभल में चर्चित जामा मस्जिद परिसर के अंदर स्थित एक कुएं को लेकर विवाद ने हाल के दिनों में तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार और जामा मस्जिद कमेटी के बीच इस कुएं की स्थिति को लेकर असहमति है। https://youtu.be/A-InxmNLuYY उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जामा मस्जिद और उसके परिसर में स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना हुआ है। इस दावे का मस्जिद कमेटी ने पुरजोर विरोध किया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह भूमि मस्जिद की निजी संपत्ति है और सदियों से इसका धार्मिक महत्व है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पहले तय तारीख पर होनी थी, लेकिन इसे एक हफ़्ते के लिए टाल दिया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 4 मार्च 2025 तय की गई है। जामा मस्जिद कमेटी के शाही अध्यक्ष जफर अली ने बताया कि अदालत ने उन्हें इस मामले में स्थिति को स्पष्ट करने के लिए और समय दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद और परिसर की जमीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से मस्जिद की है, और सरकार का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है। सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक भूमि का उपयोग धार्मिक या निजी उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि मस्जिद और कुएं का निर्माण एक सार्वजनिक क्षेत्र पर हुआ है, और इसकी जांच रिपोर्ट पहले ही कोर्ट में पेश की जा चुकी है। यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। वहीं, सरकार इस मामले को कानूनी नजरिए से देख रही है। अब 4 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि मामले को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए। मस्जिद कमेटी को अपनी दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इस विवाद का हल अदालत के फैसले के बाद ही हो सकेगा।

Update : संभल जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित

Update : जामा मस्जिद का कानूनी विवाद, सामाजिक और धार्मिक पहलू से जुड़े मामले की सुनवाई हेतु सुप्रीमकोर्ट में तारीख निर्धारित

मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया

लोकायुक्त न्यूज़ 
उत्तर प्रदेश के संभल में चर्चित जामा मस्जिद परिसर के अंदर स्थित एक कुएं को लेकर विवाद ने हाल के दिनों में तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार और जामा मस्जिद कमेटी के बीच इस कुएं की स्थिति को लेकर असहमति है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जामा मस्जिद और उसके परिसर में स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना हुआ है। इस दावे का मस्जिद कमेटी ने पुरजोर विरोध किया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि यह भूमि मस्जिद की निजी संपत्ति है और सदियों से इसका धार्मिक महत्व है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पहले तय तारीख पर होनी थी, लेकिन इसे एक हफ़्ते के लिए टाल दिया गया है। अगली सुनवाई की तारीख 4 मार्च 2025 तय की गई है।

जामा मस्जिद कमेटी के शाही अध्यक्ष जफर अली ने बताया कि अदालत ने उन्हें इस मामले में स्थिति को स्पष्ट करने के लिए और समय दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद और परिसर की जमीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से मस्जिद की है, और सरकार का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है।

सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक भूमि का उपयोग धार्मिक या निजी उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि मस्जिद और कुएं का निर्माण एक सार्वजनिक क्षेत्र पर हुआ है, और इसकी जांच रिपोर्ट पहले ही कोर्ट में पेश की जा चुकी है।

यह मामला केवल कानूनी विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि इसके सामाजिक और धार्मिक पहलू भी जुड़े हुए हैं। मस्जिद कमेटी और स्थानीय समुदाय ने सरकार के दावों को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। वहीं, सरकार इस मामले को कानूनी नजरिए से देख रही है।

अब 4 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि मामले को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाए। मस्जिद कमेटी को अपनी दलीलें पेश करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इस विवाद का हल अदालत के फैसले के बाद ही हो सकेगा।

  • Related Posts

    खरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास

    खरदर माता स्थान का होगा सौंदर्यीकरण, विधायक पी.एन. पाठक ने किया 1.53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास लोकायुक्त न्यूज कसया, कुशीनगर। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन कसया नगर पालिका परिषद…

    अनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश?

    अनामिका के बदलते बयान: कानून से खिलवाड़ या दबाव की साज़िश? पहले अभियुक्त बनाया, फिर आरोप को दिया झूठा करार, अब कोर्ट मे सच बोलने की कही बात लोकायुक्त न्यूज…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    error: Content is protected !!
    Click to listen highlighted text!