कुशीनगर:नेबुआ नौरंगिया सीएचसी में लापरवाही का खुलासा,पैसे नहीं देने पर प्रसूता को रोका, ऑडियो-वीडियो वायरल
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर: जिले के नेबुआ नौरंगिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एक और शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसमें प्रसव के बाद एक महिला को जबरन अस्पताल में रोककर पैसे वसूले गए। इस घटना का ऑडियो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा रुपये की मांग करते हुए बातचीत सुनी जा सकती है।
नॉर्मल डिलीवरी के बाद भी लिया गया पैसा
स्थानीय क्षेत्र के सिसवनिया गांव निवासी अंजली देवी, पत्नी प्रमोद यादव, को आंगनवाड़ी कार्यकत्री अमरावती देवी द्वारा रविवार को नेबुआ नौरंगिया सीएचसी में भर्ती कराया गया था। रविवार दोपहर 2 बजे महिला ने सामान्य प्रसव से एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। हालांकि, जन्म के तुरंत बाद ही अस्पताल प्रशासन ने दवा और इलाज के नाम पर पैसे वसूलना शुरू कर दिया।
डिस्चार्ज के लिए मांगे गए ₹1000, पैसे नहीं देने पर रोका
सोमवार को जब अस्पताल से डिस्चार्ज की प्रक्रिया शुरू हुई, तो आंगनवाड़ी कार्यकत्री द्वारा प्रसूता से ₹1000 की मांग की गई। जब महिला के परिजनों ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए पैसे देने में असमर्थता जताई, तो अस्पताल कर्मियों ने उसे डिस्चार्ज करने से मना कर दिया और जब तक पैसे नहीं मिलेंगे, तब तक अस्पताल में ही रोकने की धमकी दी।
परिजनों के विरोध पर हुआ हंगामा
परिजन जब अस्पताल पहुंचे और स्वास्थ्य कर्मियों से इस जबरन वसूली का कारण पूछने लगे, तो दोनों पक्षों में जमकर बहस हुई। मामले ने तूल पकड़ लिया और अस्पताल परिसर में हंगामा मच गया। बाद में कुछ संभ्रांत नागरिकों के हस्तक्षेप से विवाद शांत हुआ और महिला को डिस्चार्ज किया गया।
ऑडियो-वीडियो वायरल, प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव
इस पूरे घटनाक्रम का ऑडियो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें रुपये की लेन-देन से जुड़ी बातचीत साफ सुनी जा सकती है। इस वीडियो के सामने आने के बाद प्रशासन पर दोषी स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।
नेबुआ नौरंगिया सीएचसी की बदहाल व्यवस्था पर सवाल
यह कोई पहला मामला नहीं है, जब नेबुआ नौरंगिया सीएचसी में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार उजागर हुआ हो। इससे पहले भी इस अस्पताल में इलाज के नाम पर पैसे मांगने, लापरवाही और सुविधाओं के अभाव की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। लेकिन, प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।