कुशीनगर:
शिवम के शव का पोस्टमार्टम न कराना बना चर्चा का विषय
पुलिस और पिता के फैसले पर उठ रहे सवाल, गहरी साजिश का अंदेशा
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय परिसर में प्रधानाचार्य रामजी सिंह के 16 वर्षीय पुत्र शिवम प्रताप सिंह का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने और पोस्टमार्टम न कराए जाने का मामला अब चर्चा का विषय बन गया है। शिवम की मौत के रहस्यमय पहलुओं और पोस्टमार्टम से इनकार के कारण इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।कसया क्षेत्र में फाजिलनगर मार्ग पर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के आवासीय परिसर में शिवम का शव बीते बुधवार को मिला था। प्रधानाचार्य रामजी सिंह, जो मकर संक्रांति की छुट्टी पर अपने पैतृक गांव गए हुए थे, लौटने पर बेटे को मृत पाए। घटना की सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन पुलिस ने न तो पोस्टमार्टम कराया और न ही मामले की गहन जांच की। इसके बजाय, शव को पिता के अनुरोध पर अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव भेज दिया गया।
पोस्टमार्टम न कराना क्यों बना सवाल?
शिवम का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने के बावजूद पोस्टमार्टम न कराने का फैसला पुलिस और पिता दोनों को कटघरे में खड़ा कर रहा है। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में पोस्टमार्टम करना न केवल अनिवार्य है, बल्कि न्याय की प्रक्रिया का हिस्सा भी है।
शहरवासियों और जानकारों का कहना है कि पोस्टमार्टम से इनकार कहीं किसी गहरी साजिश की ओर तो इशारा नहीं कर रहा? सवाल यह भी उठता है कि क्या पिता रामजी सिंह पर कोई दबाव था, या फिर इस फैसले के पीछे कोई व्यक्तिगत कारण है?
क्या हो सकता है मौत का कारण?
शिवम की मौत को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।
- आत्महत्या: क्या शिवम ने किसी तनाव, दबाव या शोषण के कारण आत्महत्या की? यदि हां, तो पिता और अन्य करीबी लोग उसकी परेशानी से अनजान क्यों थे?
- हत्या: क्या शिवम की हत्या कर उसे आत्महत्या का रूप दिया गया?
- साजिश: क्या यह घटना किसी गहरे षड्यंत्र का हिस्सा है?
शिवम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ था और महर्षि अरविंद विद्या मंदिर में कक्षा 10 का छात्र था। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या संघ से जुड़े होने के कारण कोई व्यक्तिगत या राजनीतिक कारण तो मौत के पीछे नहीं है?
पुलिस की भूमिका पर सवाल
पुलिस की भूमिका इस पूरे मामले में संदेह के घेरे में है। संदिग्ध परिस्थिति में शव मिलने पर भी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर केवल औपचारिकता पूरी की और बिना पोस्टमार्टम कराए शव को ले जाने की अनुमति दे दी। यह घटना पुलिस की लापरवाही को उजागर करती है और सवाल उठाती है कि क्या स्थानीय प्रशासन अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर है?
पिता की मजबूरी या दबाव?
रामजी सिंह ने पोस्टमार्टम से इनकार क्यों किया, यह सवाल हर किसी को परेशान कर रहा है। क्या यह उनके बेटे की मौत की सच्चाई से बचने का प्रयास था, या फिर कोई मजबूरी या दबाव? जानकारों का मानना है कि किसी भी माता-पिता के लिए अपने बेटे की मौत का कारण जानना प्राथमिकता होती है। फिर ऐसा क्या था जिसने उन्हें पोस्टमार्टम से रोक दिया?
विधि विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि संदिग्ध परिस्थितियों में किसी भी शव का पोस्टमार्टम कराना अनिवार्य होता है। यह न केवल मौत के कारण का पता लगाने में मदद करता है, बल्कि भविष्य में न्याय सुनिश्चित करने के लिए साक्ष्य के रूप में भी कार्य करता है। पुलिस का पोस्टमार्टम न कराना और पिता का इनकार करना, दोनों ही पक्ष गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
समाज में चर्चा का विषय
शिवम की मौत को लेकर कसया और आस-पास के क्षेत्रों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोग इस मामले को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली और पिता के फैसले पर उंगलियां उठा रहे हैं। कुछ का कहना है कि इस मामले में डर और दबाव दोनों शामिल हो सकते हैं, जबकि अन्य इसे प्रशासनिक लापरवाही मान रहे हैं।