
कुशीनगर:आमरण अनशन कर रहे ग्रामीणों की हुई जीत, एसडीएम के लिखित आश्वासन के बाद अनशन समाप्त
गांव की खुली बैठक में ग्रामीण नियमानुसार करेंगे कोटेदार का चयन
लोकायुक्त न्यूज
कुशीनगर। जिले के अडरौना गांव में राशन वितरण की दुकान को लेकर ग्रामीणों द्वारा चल रहे तीन दिन के आमरण अनशन का सुखद अंत हो गया। 10 लोगों की तबीयत बिगड़ने और रामकोला के पूर्व विधायक रामानंद बौद्ध की पहल के बाद एसडीएम मौके पर पहुंचे और घंटों तक ग्रामीणों से बातचीत की। ग्रामीणों ने मौखिक आश्वासन को खारिज कर दिया, लेकिन एसडीएम द्वारा लिखित आश्वासन दिए जाने के बाद अनशन समाप्त हुआ। लिखित आश्वासन में कहा गया कि ग्रामीणों की मांग के अनुसार कोटे के चयन के लिए महिला स्वयं सहायता समूह के आवेदन नियमानुसार स्वीकार किए जाएंगे और खुली बैठक में निष्पक्ष रूप से विचार किया जाएगा। साथ ही, पूर्व के सभी चयन रद्द कर दिए गए।
ग्रामीणों की मांग और प्रशासन की लापरवाही
गौरतलब है कि अडरौना गांव के ग्रामीणों ने कुछ दिन पहले कप्तानगंज तहसील में पहुंचकर कोटे के चयन में हुई धांधली का विरोध दर्ज कराया था। ग्रामीणों का आरोप था कि अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर सत्ता पक्ष के दबाव में प्रधान के रिश्तेदारों के समूह को प्राथमिकता दी।ग्रामीणों ने मांग की थी कि कोटे का चयन गांव में मौजूद चार स्वयं सहायता समूहों के बीच खुली बैठक में निष्पक्ष रूप से किया जाए। उनकी चेतावनी के बावजूद प्रशासन ने अनदेखी की, जिसके चलते 15 जनवरी से ग्रामीण आमरण अनशन पर बैठ गए।
पूर्व विधायक की पहल से बनी बात
अनशन के तीसरे दिन 10 लोगों की हालत खराब हो गई। रामकोला के पूर्व विधायक रामानंद बौद्ध ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन को सक्रिय किया। एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाया और उनकी मांगों को लिखित रूप से मान लिया।
अब क्या होगा?
लिखित आश्वासन के तहत कोटे के चयन के लिए आवेदन मांगे जाएंगे, और खुली बैठक में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। प्रशासन द्वारा यह निर्णय ग्रामीणों के लिए बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। इस घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि ग्रामीणों की एकजुटता और दृढ़ संकल्प से बड़े बदलाव संभव हैं।