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ताहिर हुसैन ने हिंदू विरोधी दंगों के लिए दिया था पैसा: दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में बताया ‘मास्टरमाइंड’, विधानसभा चुनावों के लिए जमानत माँग रहा है AIMIM का प्रत्याशी दिल्ली दंगों के सरगना ताहिर हुसैन ने विधानसभा चुनावों में AIMIM के उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने के लिए हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत की माँग की है। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार (14 मंगलवार) को ताहिर हुसैन की इस माँग का दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध किया। इसके बाद जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसले को सुरक्षित रख लिया। वह अपने चैंबर में फैसला सुनाएँगी। ताहिर हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रिबेका जॉन पेश हुईं और उन्होंने नामांकन दाखिल करने से लेकर चुनाव प्रचार तक के लिए 16 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत की माँग की। वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए एडीशनल सॉलीसिटर ऑफ इंडिया (ASG) चेतन शर्मा और SPP रजत नायर ने इस बेल का विरोध किया। नायर ने कहा कि ताहिर हुसैन समाज के लिए खतरा हैं। शर्मा ने कहा कि नामांकन, स्क्रूटनी और बैंक अकाउंट खोलने के लिए हिरासती परोल दी जा सकती है। हालाँकि, उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने का सख्त विरोध किया। ASG ने कहा कि ताहिर हुसैन ने वीभत्स काम किया है। उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि नामांकन किया जा सकता है, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत नहीं दी जानी चाहिए। शर्मा ने तर्क दिया कि ट्रायल अपने अंतिम चरण है। चुनाव प्रचार के दौरान ताहिर हुसैन इस दौरान गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में चार गवाह पहले ही पलट चुके हैं। शर्मा ने आगे कहा कि ताहिर हुसैन दंगों का मुख्य साजिशकर्ता, सरगना और फंडिंग करना वाला है। वह UAPA और PMLA सहित तीन मामलों में जेल में हैं। ASG शर्मा ने कहा, “यूएपीए और ईडी मामलों में जेल नियम है और जमानत अपवाद है। यहाँ हम इस तथ्य के बावजूद हिरासत पैरोल के लिए तैयार हैं कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। हम मान रहे हैं कि नामांकन दाखिल करने में उनकी सुविधा के लिए हिरासत पैरोल दी जानी चाहिए। दूसरों की तरह वह भी चुनाव लड़ सकते हैं। वे भी जीते हैं। लोग जेल में बैठकर जीते हैं।” वहीं, ताहिर हुसैन की ओर से रिबेका जॉन ने कहा कि PMLA मामले में वह हिरासत की आधी से ज़्यादा अवधि काट चुके हैं और उन्हें अभी तक दोषी भी नहीं ठहराया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि ताहिर हुसैन को 11 एफ़आईआर में बरी किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी जानी चाहिए। दरअसल, दिल्ली दंगों के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में हाईकोर्ट के समक्ष अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई है। अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनके शव को नाले में फेंक दिया गया था। बता दें कि इससे पहले 3 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने ताहिर हुसैन को जमानत देने से इनकार कर दिया था।   Click to listen highlighted text! ताहिर हुसैन ने हिंदू विरोधी दंगों के लिए दिया था पैसा: दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में बताया ‘मास्टरमाइंड’, विधानसभा चुनावों के लिए जमानत माँग रहा है AIMIM का प्रत्याशी दिल्ली दंगों के सरगना ताहिर हुसैन ने विधानसभा चुनावों में AIMIM के उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने के लिए हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत की माँग की है। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार (14 मंगलवार) को ताहिर हुसैन की इस माँग का दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध किया। इसके बाद जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसले को सुरक्षित रख लिया। वह अपने चैंबर में फैसला सुनाएँगी। ताहिर हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रिबेका जॉन पेश हुईं और उन्होंने नामांकन दाखिल करने से लेकर चुनाव प्रचार तक के लिए 16 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत की माँग की। वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए एडीशनल सॉलीसिटर ऑफ इंडिया (ASG) चेतन शर्मा और SPP रजत नायर ने इस बेल का विरोध किया। नायर ने कहा कि ताहिर हुसैन समाज के लिए खतरा हैं। शर्मा ने कहा कि नामांकन, स्क्रूटनी और बैंक अकाउंट खोलने के लिए हिरासती परोल दी जा सकती है। हालाँकि, उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने का सख्त विरोध किया। ASG ने कहा कि ताहिर हुसैन ने वीभत्स काम किया है। उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि नामांकन किया जा सकता है, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत नहीं दी जानी चाहिए। शर्मा ने तर्क दिया कि ट्रायल अपने अंतिम चरण है। चुनाव प्रचार के दौरान ताहिर हुसैन इस दौरान गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में चार गवाह पहले ही पलट चुके हैं। शर्मा ने आगे कहा कि ताहिर हुसैन दंगों का मुख्य साजिशकर्ता, सरगना और फंडिंग करना वाला है। वह UAPA और PMLA सहित तीन मामलों में जेल में हैं। ASG शर्मा ने कहा, “यूएपीए और ईडी मामलों में जेल नियम है और जमानत अपवाद है। यहाँ हम इस तथ्य के बावजूद हिरासत पैरोल के लिए तैयार हैं कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। हम मान रहे हैं कि नामांकन दाखिल करने में उनकी सुविधा के लिए हिरासत पैरोल दी जानी चाहिए। दूसरों की तरह वह भी चुनाव लड़ सकते हैं। वे भी जीते हैं। लोग जेल में बैठकर जीते हैं।” वहीं, ताहिर हुसैन की ओर से रिबेका जॉन ने कहा कि PMLA मामले में वह हिरासत की आधी से ज़्यादा अवधि काट चुके हैं और उन्हें अभी तक दोषी भी नहीं ठहराया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि ताहिर हुसैन को 11 एफ़आईआर में बरी किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी जानी चाहिए। दरअसल, दिल्ली दंगों के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में हाईकोर्ट के समक्ष अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई है। अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनके शव को नाले में फेंक दिया गया था। बता दें कि इससे पहले 3 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने ताहिर हुसैन को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

ताहिर हुसैन ने हिंदू विरोधी दंगों के लिए दिया था पैसा: दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में बताया ‘मास्टरमाइंड’, विधानसभा चुनावों के लिए जमानत माँग रहा है AIMIM का प्रत्याशी

दिल्ली दंगों के सरगना ताहिर हुसैन ने विधानसभा चुनावों में AIMIM के उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने के लिए हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत की माँग की है। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार (14 मंगलवार) को ताहिर हुसैन की इस माँग का दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध किया। इसके बाद जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसले को सुरक्षित रख लिया। वह अपने चैंबर में फैसला सुनाएँगी।

ताहिर हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रिबेका जॉन पेश हुईं और उन्होंने नामांकन दाखिल करने से लेकर चुनाव प्रचार तक के लिए 16 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत की माँग की। वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए एडीशनल सॉलीसिटर ऑफ इंडिया (ASG) चेतन शर्मा और SPP रजत नायर ने इस बेल का विरोध किया। नायर ने कहा कि ताहिर हुसैन समाज के लिए खतरा हैं।

शर्मा ने कहा कि नामांकन, स्क्रूटनी और बैंक अकाउंट खोलने के लिए हिरासती परोल दी जा सकती है। हालाँकि, उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने का सख्त विरोध किया। ASG ने कहा कि ताहिर हुसैन ने वीभत्स काम किया है। उन्होंने तर्क दिया कि चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि नामांकन किया जा सकता है, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

शर्मा ने तर्क दिया कि ट्रायल अपने अंतिम चरण है। चुनाव प्रचार के दौरान ताहिर हुसैन इस दौरान गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में चार गवाह पहले ही पलट चुके हैं। शर्मा ने आगे कहा कि ताहिर हुसैन दंगों का मुख्य साजिशकर्ता, सरगना और फंडिंग करना वाला है। वह UAPA और PMLA सहित तीन मामलों में जेल में हैं।

ASG शर्मा ने कहा, “यूएपीए और ईडी मामलों में जेल नियम है और जमानत अपवाद है। यहाँ हम इस तथ्य के बावजूद हिरासत पैरोल के लिए तैयार हैं कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। हम मान रहे हैं कि नामांकन दाखिल करने में उनकी सुविधा के लिए हिरासत पैरोल दी जानी चाहिए। दूसरों की तरह वह भी चुनाव लड़ सकते हैं। वे भी जीते हैं। लोग जेल में बैठकर जीते हैं।”

वहीं, ताहिर हुसैन की ओर से रिबेका जॉन ने कहा कि PMLA मामले में वह हिरासत की आधी से ज़्यादा अवधि काट चुके हैं और उन्हें अभी तक दोषी भी नहीं ठहराया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि ताहिर हुसैन को 11 एफ़आईआर में बरी किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

दरअसल, दिल्ली दंगों के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में हाईकोर्ट के समक्ष अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई है। अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनके शव को नाले में फेंक दिया गया था। बता दें कि इससे पहले 3 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने ताहिर हुसैन को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

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