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कुशीनगर में उत्साहपूर्वक मनाई गई सावित्रीबाई फुले जयंती 

कुशीनगर में उत्साहपूर्वक मनाई गई सावित्रीबाई फुले जयंती 

लोकायुक्त न्यूज blank कुशीनगर। जनपद स्थित वर्मा बौद्ध विहार में समाज सुधारक और भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और महिलाएं शामिल हुईं। कार्यक्रम का शुभारंभ https://youtu.be/UwP_7JutBno?si=tR5NGYCOKVlMhJyn कार्यक्रम की शुरुआत सा नवित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके बाद सभी उपस्थित लोगों ने सावित्रीबाई के जीवन और उनके योगदान को नमन किया। विचार-विमर्श और वक्तव्य मुख्य अतिथि सुनैना सिंह कुशवाहा जो एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने कहा, "सावित्रीबाई फुले ने विषम परिस्थितियों में महिलाओं की शिक्षा का बीड़ा उठाया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उनका जीवन हर महिला के लिए प्रेरणास्त्रोत है।" मुख्य वक्ताओं में सुनैना सिंह कुशवाहा और चंद्रभूषण सिंह यादव ने भी सावित्रीबाई के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका संघर्ष आज के समाज को दिशा देता है। वक्ताओं ने बताया कि सावित्रीबाई ने न केवल महिलाओं को शिक्षा दिलाने का कार्य किया, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय और असमानता के खिलाफ आवाज भी उठाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन कार्यक्रम की अध्यक्षता वृन्दा प्रजापति ने की, जबकि मंच संचालन विकास भारती द्वारा किया गया। आयोजन के संयोजक डॉ. राघवेन्द्र सिंह और सिरजावती बौद्ध थे। डॉ. राघवेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा, "सावित्रीबाई फुले केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जो हमें समाज में शिक्षा और समानता के प्रसार की प्रेरणा देती हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि कोई भी बदलाव शिक्षा से ही संभव है।" बौद्ध भिक्षु का संबोधन कार्यक्रम में बौद्ध भिक्षु डॉ. नन्द रत्न थेरो ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई का योगदान भारतीय समाज के लिए मील का पत्थर है। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही हम एक समतामूलक समाज की स्थापना कर सकते हैं। समारोह का समापन कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने और समाज में समानता व शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने का संकल्प लिया। सावित्रीबाई फुले का योगदान सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्होंने महिलाओं और दलितों की शिक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उनकी जयंती 3 जनवरी को पूरे देश में मनाई जाती है।  
  Click to listen highlighted text! कुशीनगर में उत्साहपूर्वक मनाई गई सावित्रीबाई फुले जयंती  कुशीनगर में उत्साहपूर्वक मनाई गई सावित्रीबाई फुले जयंती  लोकायुक्त न्यूज कुशीनगर। जनपद स्थित वर्मा बौद्ध विहार में समाज सुधारक और भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और महिलाएं शामिल हुईं। कार्यक्रम का शुभारंभ https://youtu.be/UwP_7JutBno?si=tR5NGYCOKVlMhJyn कार्यक्रम की शुरुआत सा नवित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके बाद सभी उपस्थित लोगों ने सावित्रीबाई के जीवन और उनके योगदान को नमन किया। विचार-विमर्श और वक्तव्य मुख्य अतिथि सुनैना सिंह कुशवाहा जो एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने कहा, सावित्रीबाई फुले ने विषम परिस्थितियों में महिलाओं की शिक्षा का बीड़ा उठाया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उनका जीवन हर महिला के लिए प्रेरणास्त्रोत है। मुख्य वक्ताओं में सुनैना सिंह कुशवाहा और चंद्रभूषण सिंह यादव ने भी सावित्रीबाई के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका संघर्ष आज के समाज को दिशा देता है। वक्ताओं ने बताया कि सावित्रीबाई ने न केवल महिलाओं को शिक्षा दिलाने का कार्य किया, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय और असमानता के खिलाफ आवाज भी उठाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन कार्यक्रम की अध्यक्षता वृन्दा प्रजापति ने की, जबकि मंच संचालन विकास भारती द्वारा किया गया। आयोजन के संयोजक डॉ. राघवेन्द्र सिंह और सिरजावती बौद्ध थे। डॉ. राघवेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा, सावित्रीबाई फुले केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जो हमें समाज में शिक्षा और समानता के प्रसार की प्रेरणा देती हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि कोई भी बदलाव शिक्षा से ही संभव है। बौद्ध भिक्षु का संबोधन कार्यक्रम में बौद्ध भिक्षु डॉ. नन्द रत्न थेरो ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई का योगदान भारतीय समाज के लिए मील का पत्थर है। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही हम एक समतामूलक समाज की स्थापना कर सकते हैं। समारोह का समापन कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने और समाज में समानता व शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने का संकल्प लिया। सावित्रीबाई फुले का योगदान सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्होंने महिलाओं और दलितों की शिक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उनकी जयंती 3 जनवरी को पूरे देश में मनाई जाती है।  

कुशीनगर में उत्साहपूर्वक मनाई गई सावित्रीबाई फुले जयंती 

कुशीनगर में उत्साहपूर्वक मनाई गई सावित्रीबाई फुले जयंती 

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कुशीनगर। जनपद स्थित वर्मा बौद्ध विहार में समाज सुधारक और भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और महिलाएं शामिल हुईं।

कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत सा नवित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके बाद सभी उपस्थित लोगों ने सावित्रीबाई के जीवन और उनके योगदान को नमन किया।

विचार-विमर्श और वक्तव्य

मुख्य अतिथि सुनैना सिंह कुशवाहा जो एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने कहा, “सावित्रीबाई फुले ने विषम परिस्थितियों में महिलाओं की शिक्षा का बीड़ा उठाया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उनका जीवन हर महिला के लिए प्रेरणास्त्रोत है।”

मुख्य वक्ताओं में सुनैना सिंह कुशवाहा और चंद्रभूषण सिंह यादव ने भी सावित्रीबाई के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका संघर्ष आज के समाज को दिशा देता है। वक्ताओं ने बताया कि सावित्रीबाई ने न केवल महिलाओं को शिक्षा दिलाने का कार्य किया, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय और असमानता के खिलाफ आवाज भी उठाई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन

कार्यक्रम की अध्यक्षता वृन्दा प्रजापति ने की, जबकि मंच संचालन विकास भारती द्वारा किया गया। आयोजन के संयोजक डॉ. राघवेन्द्र सिंह और सिरजावती बौद्ध थे।

डॉ. राघवेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “सावित्रीबाई फुले केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जो हमें समाज में शिक्षा और समानता के प्रसार की प्रेरणा देती हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि कोई भी बदलाव शिक्षा से ही संभव है।”

बौद्ध भिक्षु का संबोधन

कार्यक्रम में बौद्ध भिक्षु डॉ. नन्द रत्न थेरो ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई का योगदान भारतीय समाज के लिए मील का पत्थर है। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही हम एक समतामूलक समाज की स्थापना कर सकते हैं।

समारोह का समापन

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने और समाज में समानता व शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने का संकल्प लिया।

सावित्रीबाई फुले का योगदान

सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्होंने महिलाओं और दलितों की शिक्षा के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उनकी जयंती 3 जनवरी को पूरे देश में मनाई जाती है।

 

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