
दिल्ली में 8 विधायकों ने आप का छोड़ा साथ-दिया इस्तीफा,आइये जानते हैं किस-किसने छोड़ा साथ?
लोकायुक्त न्यूज़
नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) के आठ विधायकों का पार्टी छोड़ना राजनीतिक हलकों में बड़ा मुद्दा बन गया है। इन विधायकों ने पार्टी से नाराजगी और अंदरूनी विवादों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी अब अपने मूल सिद्धांतों और भ्रष्टाचार-विरोधी नीतियों से भटक चुकी है, जिसके कारण उन्होंने यह कड़ा कदम उठाया।
इस्तीफा देने वाले विधायकों की सूची :-
1. राजेश ऋषि (जनकपुरी विधानसभा)
2. नरेश यादव (महरौली विधानसभा)
3. भावना गौड़ (पश्चिम विहार)
4. रोहित महरौलिया (किराड़ी)
5. बीएस जून (मॉडल टाउन)
6. मदन लाल (कस्तूरबा नगर)
7. पवन शर्मा (त्रिनगर)
8. गिरीश सोनी (मंगोलपुरी)
इस्तीफे के क्या हैं कारण –
टिकट कटने की नाराजगी :
इन विधायकों का कहना है कि पार्टी ने आगामी चुनावों में उन्हें टिकट नहीं दिया, जिससे वे निराश हुए। उनका आरोप है कि पार्टी ने उनकी मेहनत और प्रदर्शन को नज़रअंदाज कर नए चेहरों को मौका दिया।
भ्रष्टाचार के आरोप :
महरौली के विधायक नरेश यादव ने अपने बयान में कहा कि आम आदमी पार्टी, जो कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी थी, अब खुद “भ्रष्टाचार के दलदल” में फंस गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने कई भ्रष्ट नेताओं को अपने साथ जोड़ लिया है, जिससे पार्टी का उद्देश्य और छवि धूमिल हो गई है।
मूल सिद्धांतों से भटकाव :
विधायकों ने आरोप लगाया कि अन्ना आंदोलन से निकली यह पार्टी अब अपने मूल सिद्धांतों जैसे पारदर्शिता, ईमानदारी, और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से दूर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पार्टी में अब कार्यकर्ताओं और नेताओं के योगदान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।
क्षेत्रीय विकास की अनदेखी :
कुछ विधायकों ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में जनता के लिए काम किया, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनकी समस्याओं को नज़रअंदाज किया। इससे उनकी जनता के प्रति जवाबदेही प्रभावित हुई।
विधायकों का बयान :
नरेश यादव ने अपने इस्तीफे के पत्र में लिखा:
“मैंने महरौली में 10 वर्षों तक ईमानदारी से काम किया, लेकिन अब आम आदमी पार्टी में ईमानदारी की कोई जगह नहीं है। जनता ने मुझे बताया कि पार्टी भ्रष्टाचार में लिप्त हो चुकी है। मैंने इसीलिए पार्टी छोड़ने का फैसला किया।”
अन्य विधायकों ने भी इसी तरह के बयान जारी किए, जिसमें उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर अपने समर्थकों और जनता के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया।
राजनीतिक असर :
इन इस्तीफों से आम आदमी पार्टी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
विपक्षी दल इस स्थिति को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर सकते हैं और पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा सकते हैं।
चुनावी रणनीति पर असर : पार्टी को अब इन आठ सीटों पर नए चेहरों को उतारना होगा, जिससे क्षेत्र में मतदाताओं के रुझान पर प्रभाव पड़ सकता है।
आगे का रास्ता :
इस्तीफा देने वाले विधायकों का कहना है कि वे ईमानदारी और जनसेवा की राजनीति जारी रखेंगे। हालांकि, यह देखना होगा कि ये विधायक किस दल का रुख करते हैं या फिर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ते हैं।
यह घटनाक्रम आम आदमी पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण है, खासकर तब जब चुनाव नज़दीक हैं। अब यह देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस संकट से कैसे निपटता है।